लखीमपुर खीरी – जारी है घाघरा नदी का कहर, कई गाँव बने टापू
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी÷ क्षेत्र के बगहा गांव में घाघरा नदी का कहर जारी है। बीते तीन दिनों में गांव के छह लोगों के घर नदी में समा गए। लोग अपने घरों को खाली कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। खास बात यह है कि सिंचाई विभाग ने यहां बचाव कार्य शुरू किया था जो लगभग सात दिनों से बंद है। नदी कटान कर रही है। लोगों में सिंचाई विभाग के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है।
बगहा गांव में करीब बीस दिन पहले नदी ने कटान शुरू किया था। कटान की खबर सज्ञान में आते ही बाढ़ व सिंचाई विभाग ने गांव में बचाव कार्य तेज किया। बताया जाता है कि करीब सात दिन पहले विभाग ने बचाव कार्य बंद कर दिया। इसके बाद देखने नहीं पहुंचे। जबकि नदी का कटान लगातार जारी है। बीते तीन दिनों में गांव के सद्दीक, अमीन, मगरे, छोटकन्ने, नजीर, लियाकत आदि के घर नदी में समा गए। कटान की जद में सुफियान सहित अन्य लोगों के घर हैं। लोग अपने घरों को खाली करके पलायन कर रहे हैं। घरों का मलवा निकाल रहे हैं। परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि कटान रोकने के लिए विभाग ने काम बंद कर दिया है। घर का सामान निकालते समय गांव का एक युवक नदी में गिर गया। गांव वालों ने किसी तरह से उसे बचाया।
सुजईकुंडा मार्ग पर बाढ़ का पानी कई गाँव बने टापू
घाघरा नदी के उफनाने से सुजईकुंडा मार्ग पर बाढ़ का पानी भर गया है। इससे करीब 20 गांव टापू बन गए हैं। गांव वाले तहसील मुख्यालय या जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए नाव से रास्ता पार कर रहे हैं। नाव का साधन भी दिन में है। शाम को अंधेरा होने के बाद नाव बन्द हो जाती है और लोग अपने गांव में ही रह जाते हैं। रात में इमरजेंसी में निकलने के लिए 20 किलोमीटर से भी अधिक का चक्कर लगाकर जाना पड़ता है। यह हालात लगभग हर साल घाघरा के उफनाने पर होते हैं। यहां एक पुल दशकों पहले कट गया था इसके बाद इसे अब तक सहीं नहीं किया गया है। बारिश में बीस गांवों के लोगों का संपर्क कर जाता है। हालांकि यह हालात तब हैं जब जिले में बाढ़ के हालात नहीं हैं।
घाघरा नदी का जलस्तर बीते दो दिनों से बढ़ा है। जलस्तर बढ़ने से घाघरा नदी का पानी सुजईकुंडा-धौरहरा मार्ग पर भर गया है। इससे यहां आवागमन ठप हो गया है। प्राइवेट नाव से यह रास्ता पार करना पड़ता है। दिन में तो नाव चलती है लेकिन रात में नाव न चलने से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। बताते चलें कि करीब 30 साल पहले घाघरा की बाढ में धौरहरा-सुजई कुन्डा मार्ग पर बना पुल बह गया था। यह आज भी ऐसे ही पड़ा है। बारिश के दिनों में धौरहारा से सुजई कुंडा सहित अन्य करीब बीस गांवों के लिए यह रास्ता चार महीने बंद रहता है। लोग बीस किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय कर धौरहरा आते हैं।
हर चुनाव में नेता सुजई कुंडा सहित अन्य गांवों की सुविधा के लिए इस पुल को बनवाने का वादा करते हैं लेकिन चुनाव बाद भूल जाते हैं। इस साल फिर घाघरा नदी के उफनाने से यहां पर बाढ़ का पानी भर गया और रास्ता बंद हो गया। अब यहां पर नाव चल रही है। नाव से सुजई कुन्डा, मंगरौली, पंडितपुरवा, सुजई, खालेपुरवा, धारसीदासपुरवा, नयापुरवा, टीकादास पुरवा, मंगलदीनपुरवा, बिजहा, भट्टपुरवा, हरसिहपुर सहित अन्य गांवों के लोग तहसील मुख्यालय आने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं। गांव के लोगों का कहना है कि दिन में तो नाव से रास्ता पार हो जाता है लेकिन रात में अगर अचानक कहीं जाना हो तो लहबड़ी होते हुए अतिरिक्त 20 किलोमीटर की यात्रा तय करनी पड़ती है। यहां बाढ़ का पानी भरने से लोग नाव से ही नदी पार कर रहे हैं।