मऊ- न खाता न बही, जो चौकी प्रभारी बेलौली कहे वही सही, सम्पत्ति विवाद में न्यायालय से स्टे होने के बावजूद दबाव बना कर लिखवाया सुलहनामा
तारिक आज़मी
मऊ। कहा जाता है कि थाना चौकी देश के नागरिको को न्याय दिलाने का एक माध्यम होता है। मगर जब न्याय की आस में कोई व्यक्ति थाना चौकी जाए और उसके साथ ही अन्याय कर दिया जाए, तो व्यवस्था से इंसान का विश्वास ही उठ जाता है। ऐसा ही कुछ मामला जनपद के मधुबन थाना क्षेत्र के बेलौली पुलिस चौकी का सामने आया है जब एक संपत्ति का विवाद जिसका प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है, में एक पक्ष पर दबाव बना कर पुलिस चौकी में ही हस्ताक्षर करवा लिये जाने का आरोप सामने आया है।
प्रकरण में प्राप्त समाचारों के अनुसार बेचन यादव के पुत्र देवेन्द्र यादव का क्षेत्र में ईट भट्टा है। पीड़ित देवेन्द्र के आरोपों को आधार माने तो वर्ष 2008 में पास ही एक अन्य संपत्ति अराजी नंबर 57 का जुज़ भाग क्रय करने हेतु सम्पूर्ण रकम 3।79 लाख रुपया पूर्ण भुगतान कर संपत्ति के उक्त भाग पर कब्ज़ा कर लिया। भू स्वामी के द्वारा रजिस्ट्री हेतु समय माँगा गया। कुछ समय के उपरान्त रजिस्ट्री हेतु लगातार कोई न कोई बहाना बनाया जाता रहा। समय बीतता देख क्रेता के द्वारा मामले का एक किता मुकदमा संख्या 297/08 सिविल जज जूनियर डिविज़न में दाखिल किया जिस पर वर्त्तमान में सम्मानित अदालत ने संपूर्ण अराजी पर ही स्टे आर्डर प्रदान कर दया।
पीड़ित का आरोप है कि इस दौरान संपत्ति का बढ़ता भाव विक्रेताओं के मन में लालच पैदा करने लगा। उम्होने स्थानीय पुलिस चौकी के प्रभारी से कह कर देवेन्द्र यादव को पुलिस चौकी बुलवाया और मामले में पुलिस वालो ने दबाव बनाना शुरू किया कि प्रकरण में अपनी दी गई रकम लेकर मकान खानी कर दो। बताया जाता है कि इस दौरान देवेन्द्र यादव लाख कहते रहे कि साहब मामला न्यायलय में विचाराधीन है, प्रकरण में स्टे भी है मगर उनकी एक न सुनी गई और चौकी प्रभारी ने खुद बोल कर अपने यहाँ के कारखास सिपाही राय साहब से लिखवा कर दबाव बना कर समझौते के पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिया।
प्रकरण में देवेन्द्र यादव ने इसकी जानकारी स्थानीय लोगो को दिया। मामला मीडिया के भी संज्ञान में आने के बाद जब प्रकरण के बारे में जानकारी इकठ्ठा करने के लिए आज दिनांक 15 सितम्बर को लोग पुलिस चौकी बेलौली गए तो मालूम चला कि चौकी इंचार्ज छुट्टी पर है। पुलिस चौकी के कारख़ास सिपाही राय साहब ने मामले में पहले तो सबको हडदब में लेना चाहा मगर जब लोग इस इस प्रकरण में उनसे ही सवाल पूछने लगे तो आखिर उन्होंने बैक फुट अपना लिया। इसके बाद एक शिकायती प्रार्थना पत्र दिखाते हुवे कहा कि एक शिकायती प्रार्थना पत्र थाना मधुबन प्रभारी को दिला है जिसकी जाँच के दौरान यह समझौता किया गया है।
प्रार्थना पत्र जो आप तस्वीर में देख रहे है दिखाने के बाद तो और भी कई सवाल खड़े हो गए। प्रार्थना पत्र थाना प्रभारी मधुबन को संबोधित तो है मगर थाना प्रभारी मधुबन ने कही भी इस प्रार्थना पत्र पर बेलौली चौकी इंचार्ज को मार्क कर जाँच हेतु अथवा कार्यवाही हेतु नही लिखा है। इस तरह से प्रार्थना पत्र के सम्बन्ध में स्थानीय पुलिस का दावा भी संदिग्ध प्रतीत हुवा, वही सुलहनामे के लेखक स्थानीय चौकी के कारख़ास सिपाही इस बात से खुद को बचाते हुवे दिखाई दिए कि मामले में सुलह अगर हुई है तो फिर देवेन्द्र यादव खुद पढ़े लिखे है तो उनसे सुलहनाम क्यों नहीं लिखवाया गया। आखिर किस आधार पर दीवान जी ने खुद सुलहनामा लिखा है।
बहरहाल, पीड़ित देवेन्द्र यादव फिलहाल खुद अचरज में है। मामले में उन्होंने प्रार्थना पत्र देकर पुलिस अधीक्षक मऊ अनुराग आर्य से मदद की गुहार लगाया है। प्रकरण को लेकर क्षेत्र में तरह तरह की चर्चा व्याप्त है। पुलिस के कार्यशैली पर जमकर लोगो के बीच चर्चा-ए-आम हो रही है। अब देखना होगा कि देवेन्द्र यादव को क्या न्याय मिलता है अथवा पुलिस चौकी प्रभारी के कोप का उनको शिकार होना पड़ता है। सब मिला कर कहा जा सकता है कि पिक्चर अभी बाकी है।