तैयार है गंबूसिया – सिर्फ खीरी ही नही बल्कि सीतापुर में भी यह करेगी मच्छरों का खात्मा
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी÷ लखीमपुर खीरी जिले के सीएमओ आवास पर बनवाए गए तालाब में तैयार हुई गंबूसिया मछली अब खीरी के साथ ही सीतापुर में भी मच्छरों का खात्मा करेगी। सीतापुर के सहायक निदेशक मत्स्य व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सीएमओ आवास से यह मछली लेकर गए हैं। सीतापुर में मछली पाली जाएगी साथ ही तालाबों में भी डाली जाएगी।
मच्छर जनित बीमारियों पर अंकुश लगाने के लिए गंबूसिया मछली बहुत उपयोगी है। यह मछली मच्छरों के लार्वा को खा जाती है। मच्छर कम होने से मच्छरजनित बीमारियों पर रोक लगेगी। इसको देखते हुए सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने अपने आवास पर एक तालाब बनवाकर उसमें यह मछली पाली। मछली अब भारी संख्या में तैयार हो चुकी है। इनको तालाबों में छोड़ा जा रहा है।
मछली खाना स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा है। लेकिन एक मछली ऐसी है जिसको पालने से बीमारियां दूर होती हैं। वह भी मच्छर जनित बीमारी। इस मछली का उपयोग देखते हुए सरकार इसको बढ़ावा दे रही है। जिले में मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के लिए सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने पहल करते हुए अपने आवास पर तालाब बनवाया। यहां गंबूसिया मछली पाली। अब यह मछली तैयार हो गई है। जिले के तालाबों में छोड़ा जा रहा है।
खीरी जिले में इस मछली के तैयार होने की जानकारी मिलने के बाद सीतापुर के अधिकारी भी जिले में पहुंचे और सीएमओ से सम्पर्क किया। सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि सीतापुर के अधिकारी मछली ले गए हैं। गंबूसिया मछली की खासियत होती है कि यह पानी में पैदा होने वाले मच्छर के लार्वा को खा जाती है। इससे मच्छर पैदा नहीं होते और आसपास के लोगों को मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियों मलेरिया, डेंगू और चिकुनगुनिया होने का खतरा कम हो जाता है। गंबूसिया मछली साफ पानी में ऊपरी सतह पर रहती है जहां मच्छर के लार्वा रहते हैं। गंबूसिया को मच्छरों के लार्वा विशेषकर पसंद होते हैं, इसलिए ऐसे पानी में लार्वा पैदा होते ही यह उनको खा जाती है। एक गंबूसिया मछली रोज 100 से 300 लार्वा तक खा सकती है, इसलिए अपने लगभग पांच साल के जीवनकाल में यह लाखों लार्वा का खात्मा कर देती है। इसको घरों में भी पाला जा सकता है।