नेपाल डॉल्फिन संरक्षण केंद्र के पदाधिकारियों ने डॉल्फिन मछलियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सीमाई क्षेत्र के लोगों से माँगा सहयोग

फारुख हुसैन

लखीमपुर खीरी/नेपाल÷ नेपाल के डॉल्फिन संरक्षण केंद्र के पदाधिकारियों ने डॉल्फिन मछलियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सीमाई क्षेत्र के लोगों से सहयोग मांगा है। उन्होंने इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने और क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद जताई है।कस्बे के पानस होटल में भारतीय क्षेत्र के लोगों और पत्रकारों से सहयोग की अपेक्षा लेकर नेपाल के डॉल्फिन संरक्षण केंद्र कैलाली के अध्यक्ष और सचिव समेत अन्य पदाधिकारी मुखातिब हुए।

डॉल्फिन संरक्षण केंद्र के अध्यक्ष भोजराज ढुंगाना ने डॉल्फिन के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि तिलहा घाट पर बहने वाली कर्णाली नदी में डॉल्फिन मछलियां देखी जाती हैं। इनको संरक्षण देकर इनकी तादाद बढ़ाने की जरूरत है। इससे दोनों देशों में पर्यटन को बढ़ावा और दोनों देशों के लोगों को रोजगार मिलेगा। डॉल्फिन संरक्षण समिति के सचिव जयराज ढुंगाना ने कहा कि तिकुनियां कस्बे से महज कुछ किमी की दूरी पर नेपाल की नदियों में ये मछलियां चार महीने रहती हैं। इनके संरक्षण से ये यहां लगातार रहेंगी। इससे इन जगहों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में आसानी होगी। व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह साही ने डॉल्फिन संरक्षण योजना में दोनों देशों के लोगों के सहयोग की अपेक्षा की।महासचिव तेज बहादुर बोहरा ने कहा कि 14 से 16 सितंबर तक होने वाले डॉल्फिन फेस्टिवल में ज्यादा से ज्यादा लोगों से शामिल होने की अपील की।

सत्ती के पदम प्रकास्वर मंदिर के अध्यक्ष ने मंदिर में स्थित शिवलिंग को विश्व धरोहर बताया।नेपाली पत्रकार प्रेम भट्टराई ने नेपाल और भारत के बीच रोटी-बेटी के रिश्ते को स्थायी बताया। इस दौरान खेमराज कुंवर, रेवंत साउद, आरएन मिश्र, बसंत कुमार,आनंद अग्रवाल, ईश्वरदीन वर्मा, नीरज देववंश, मनोज यादव और विनय गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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