पशु तस्करी – बईमानी के धंधे में ईमानदारी का तड़का, जाने पशु तस्करों का क्या है पुलिस से बचने का नया फंडा

तारिक आज़मी

वाराणसी। पशु तस्करी अपने शबाब पर है। ऐसा नही की पुलिस कार्यवाही नही करती है। हकीकत तो यह है कि पुलिस जमकर कार्यवाही करती है और काफी पशुओ को पकडती है। इस दौरान कभी कभार को अगर छोड़ दिया जाए तो पशु तस्कर भी पकडे जाते है। इन सभी सख्तियो के बावजूद भी पशु तस्करी अपने चरम पर है। पशुओ को एक शहर से दुसरे शहर में ले जाने के लिए पशु तस्कर एक से एक जुगत लगाया करते है।

कहा से आते है पशु

पशु तस्कर पशुओ को गाव के इलाको से काफी सस्ते दामो में खरीदते है। अधिकतर पशु पडवा (भैस का नर बच्चा) होता है। पशुओ का मूल्य वैसे तो उनके अनुमानित वज़न के अनुसार लगता है। ग्रामीण इलाको में अगर 100 किलो वज़न का पडवा लिया जाए तो अधिकतम 5 से 7 हज़ार का पड़ता है। वही गोवंश तो और भी सस्ता पड़ जाता है। यहाँ तक कि कई जगहों पर ये तस्कर मुफ्त में गोवंश पा जाते है। जबकि कटान हेतु इनका मूल्य आराम से 15-17 हज़ार पडवा का और गोवंश जो लगभग मुफ्त में मिल जाते है का लगभग दस हज़ार मिल जाता है। इस बड़े मुनाफे के कारण पशु तस्कर दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की भी करते रहते है। माल उनका पकड़ा जाए उनके सेहत पर अधिक असर नही डालता है। एक एक जानवर पर उनको 8 से 10 हज़ार का बड़ा मुनाफा होता है। इस मुनाफे के लिए वह यह अनैतिक कार्य करते रहते है।

अक्सर पकडे जाते है

पशु तस्करी के मामले अक्सर ही पकडे जाते रहे है। इसके बावजूद जितना पकड़ा जाता है उससे अधिक पशु तस्कर कारोबार करते है। ये एक बड़ा व्यवसाय बनकर उभरा हुआ है। इस पुरे मामले में पुलिस लगातार कार्यवाही करती रहती है। मगर वह कहावत है डाल डाल और पात पात तो पुलिस अगर डाल डाल है तो तस्कर भी पात पात चलते रहते है। इसके नए नए फार्मूले निकालते रहते है। कभी ट्रको में और लोडरो में होने वाली तस्करी टैंकरों तक पहुच चुकी है।

क्या है पशु तस्करों का पुलिस से बचने का नया फार्मूला

इस दौरान पशु तस्कर भी हाईटेक होते जा रहे है। पशु तस्कर नए नए फार्मूले का इजाद करते रहते है। उनके हथकंडो की नई नई तरकीबे अकसर पकड़ में आती रही है। इस दौरान अब जो तरकीब पशु तस्करों ने निकाली है वह पुलिस से बचने का एक अमोघ अस्त्र साबित हो रहा है। पशु तस्कर अब पशु चिकित्सको के पशुओ की बिमारी का फर्जी प्रमाण पत्र लेकर चलते है। प्रमाण पत्र उक्त पशु चिकित्सक जारी करते है अथवा कलाकारी के द्वारा बनाया जाता है ये तो जाँच का विषय है क्योकि कोई भी पशु चिकित्सक ऐसे प्रमाण पत्र जारी करने की बात नही करेगा।

ताज़ा मामला लंका क्षेत्र का प्रकाश में आया है। यहाँ थाना प्रभारी भारत भूषण के नेतृत्व में पुलिस ने पशुओ की एक गाडी पकड़ी। गोपनीय सूत्रों की माने तो पशु तस्करों ने इस गाडी के सही होने का दावा किया और सभी कागजात के साथ एक पशु चिकित्सक का पत्र भी दिखाया। जो यह प्रमाणित करता था कि उक्त पशुओ को कुछ बिमारी है और उनका इलाज करवाने भेजा जा रहा है। पुलिस इस पत्र को देख कर गाडी छोड़ने वाली ही थी कि तभी थान प्रभारी को पत्र पर कुछ शक हुआ। उन्होंने गाडी रुकवा कर पत्र की तफ्तीश किया। जो जानकारी निकल कर सामने आई वह वाकई चौकाने वाली थी।

पत्र को जारी करने वाले पशु चिकित्सक के सम्बन्ध में जानकारी पुलिस को प्राप्त हुई कि उक्त पत्र ही फर्जी है। जिस पशु चिकित्सक द्वारा यह पत्र जारी होने की बात हो रही है, वह तो २ सितम्बर से किसी मामले में मोहनिया जेल में बंद है। जबकि पत्र 7 सितम्बर को जारी किया गया था। यह घटना इस बात को साबित करती है कि पशुओ की तस्करी में संलिप्त लोग आखिर किस स्तर तक जाकर काम कर रहे है। गाडियों से पशुओ की तस्करी करने हेतु फर्जी पत्रों को भी निर्गत कर रहे है।

पकडे गए पशुओ की सुपुर्दगी में भी करते है तस्कर खेल

अमूमन तस्करी के पकडे गए पशुओ की सुपुर्दगी किसी व्यक्ति विशेष को दिया जाता है। गोवंश के मामले में यह थोडा अलग होता है। अक्सर इसकी सुपुर्दगी गोसेवा संस्थाओ को दिया जाता है। पड़वों की सुपुर्दगी में भी बड़ा खेल पशु तस्कर सजा कर रखते है। सूत्रों की माने तो पशु तस्करों के खुद के आदमी थानों से ऐसे पशुओ की सुपुर्दगी ले लेते है। कुछ समय के अन्दर ही इन पशुओ को वापस से बेच दिया जाता है। उन सुपुर्दगी लेने वालो के हाथो में भी इस काम के लिए मोटी रकम लगती है। कई इस प्रकार के कार्य करने वाले शहर मे होने की अपुष्ट सूचनाये भी हमको प्राप्त हुई है। यदि अब तक पड़वो की सुपुर्दगी लेने वाले एक साल के व्यक्तियों से उन जानवरों की जांच किया जाए तो एक बड़ा खेल भी खुल कर सामने आएगा।

मोटे पशु कारोबारी है शहर में

शायद ही कोई ऐसा इलाका है जहा पशुओ का कारोबार नही होता हो। मगर इसका गढ़ कुछ इलाके बन चुके है। जिसमे मुख्य है कैंट थाना क्षेत्र का कचहरी इलाका, आदमपुर थाना क्षेत्र का कोइला बाज़ार, जैतपुरा क्षेत्र का सरैया चेतगंज क्षेत्र का नई सड़क चिकियाना, भेलूपुर थाना क्षेत्र का गौरीगंज बजरडीहा इत्यादि। ऐसा नही है कि इस इलाको के हर कुरैशी अथवा हर मांस कारोबारी इस श्रेणी में आते है। ये संख्या केवल एक दो के तय्दात में ही है।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *