अध्ययन दर्शाता है कि भारत में दस में से आठ बच्चे ओरल हैल्थ समस्याओं से पीड़ित है
संजय ठाकुर
मुंबई. कोलगेट पामोलिव (इंडिया) लिमिटेड के लिए कांतर आईएमआरबी द्वारा किए गए नए अध्ययन में सामने आया है कि भारत में 10 में से 8 बच्चों को ओरल हैल्थ की समस्या है, यानि इस पर तत्काल ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। इनमें से कुछ प्रमुख ओरल हैल्थ की समस्याओं में प्लाक का जमना, दांतों पर सफेद धब्बे, विजिबल केयरीज़, मसूढ़ों का सूजना, सांस में बदबू और मसूढ़ों से खून आना शामिल है। सर्वे में सामने आया कि 3 में से 2 बच्चों को कैविटी है या कैविटी उत्पन्न होने की आशंका है। अध्ययन में यह भी सामने आया कि 10 में से 9 व्यस्कों को एक प्रमुख ओरल हैल्थ समस्या है।
अध्ययन यह भी प्रदर्षित करता है कि पूरे देश में बच्चों में ओरल हैल्थ की समस्याएं बहुत ज्यादा हैं – पूर्वी भारत (89 प्रतिशत), पश्चिम भारत (88 प्रतिशत), उत्तर भारत (85 प्रतिशत) और दक्षिण भारत (64 प्रतिशत)। कुछ बड़े शहरों में ओरल हैल्थ की समस्याएं बहुत ज्यादा पाई गईं, इनमें मुंबई (90 प्रतिशत), कोलकाता (93 प्रतिशत), हैदराबाद (82 प्रतिशत), दिल्ली (79 प्रतिशत), चेन्नई (60 प्रतिशत) एवं बैंगलोर (46 प्रतिशत) हैं।
सर्वे में एक बात और सामने आई कि बच्चों के डेंटल हैल्थ की वास्तविकता एवं उनके माता-पिता द्वारा उनके डेंटल हैल्थ के बारे में बनाई धारणाओं के बीच बहुत बड़ा अंतर था। यह स्पष्ट असमानता ज्यादातर कम जागरूकता से प्रेरित है की ओरल हैल्थ उनके बच्चों के लिए कितना महत्वपूर्ण है। सर्वे शामिल 10 में से 8 माता-पिता का मानना था कि उनके बच्चों के दांत सेहतमंद हैं, जबकि दांतों की जाँच में पता चला कि इनमें से 80 प्रतिशत बच्चों को एक प्रमुख ओरल हैल्थ समस्या है। बच्चों की ओरल हैल्थ की वास्तविकता और उसके बारे में माता-पिता की धारणा के बीच यह अंतर कोलकाता (92 प्रतिशत) में सर्वाधिक था, जिसके बाद मुंबई (88 प्रतिशत) और हैदराबाद (80 प्रतिशत) का स्थान आता है।
अध्ययन में यह खुलासा भी हुआ कि भारत में ज्यादातर बच्चे ओरल केयर की जरूरी विधियों, जैसे दिन में दो बार ब्रश करने और नियमित तौर पर डेंटल चेकअप का पालन नहीं करते। सर्वे में शामिल 70 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे दिन में दो बार ब्रश नहीं करते और उनमें से 60 प्रतिशत पिछले एक साल में डेंटिस्ट के पास नहीं गए। इसके अलावा सर्वे में यह भी सामने आया कि प्रतिदिन मिठाई खाने वाले 10 में से 8 बच्चों को ओरल हैल्थ की समस्या है। सर्वे में लगभग 44 प्रतिशत बच्चों को दांतों के बड़े इलाज, जैसे रिस्टोरेशन, रूट कैनाल या एक्स्ट्रैक्षन कराने की जरूरत है।