विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला का हुआ शुभारम्भ
निलोफर बानो
रामनगर। विश्व प्रसिद्द रामनगर की रामलीला का शुभारंभ आज रावण जन्म के प्रसंग से हुआ। रावण ने भाइयों समेत घोर तप आरंभ किया। भगवान ब्रह्मा ने प्रसन्न होकर रावण को वरदान दिया। ब्रह्मा जाने से पहले लंकिनी से कहते हैं कि राक्षस राज रावण लंबे समय तक लंका पर राज करेगा, लेकिन एक समय ऐसा आएगा जब एक वानर का मुक्का तुमको विकल कर देगा। तब तुम समझ लेना कि रावण का अंत निकट आ गया है।
ब्रह्मा से अभय का वरदान पाने के अहंकार में रावण ने अत्याचार शुरू कर दिया। कुबेर से पुष्पक विमान छीन लिया। मेघनाद ने देवराज इंद्र को जीता और इंद्रजीत की उपाधि पाई। अति तो तब हुई जब रावण ने राज्य में वेद-पुराण और श्राद्ध-हवन आदि पर रोक लगा दी। राक्षसों के अत्याचार से धरती कांप उठी। इंद्र की सलाह पर भयभीत देवों-ऋषियों ने बैकुंठ धाम जाकर भगवान विष्णु की स्तुति की। गाय का रूप धारण कर पृथ्वी ब्रह्मा जी के पास जाती हैं। रामचरित मानस के बालकांड की चौपाई के बाद लीला को कुछ समय के लिए विराम दिया गया।
इसके साथ दूसरे प्रसंग में लाल श्वेत महताबी रोशनी से नहाया रामबाग पोखरा क्षीरसागर में तब्दील हो गया। शेष शैय्या पर लेटे श्रीहरि की झांकी सजाई गई। उनके चरण दबातीं भगवती लक्ष्मी व नाभि से निकले कमल पुष्प पर आसीन ब्रह्मा की मनोहारी झांकी देख श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव का जयघोष किया।
परंपरा के अनुसार शाम लगभग पांच बजे दुर्ग से काशी राज परिवार के प्रतिनिधि अनंत नारायण सिंह की बग्घी पर शाही सवारी निकली। सबसे आगे पुलिस की जीप और उसके पीछे बनारस स्टेट का ध्वज लिए घुड़सवार चले। दुर्ग से बाहर आते ही इंतजार में खड़े अपार जनसमुदाय ने हर हर महादेव के उद्घोष से अगवानी की। लीला स्थल पर 36वीं वाहिनी पीएसी की टुकड़ी ने प्लाटून कमांडर रमाकांत यादव के नेतृत्व में हाथी पर सवार अनंत नारायण सिंह को सलामी दी।
दोपहर दो बजे पंच स्वरूपों का व्यासगणों की निगरानी में साज-शृंगार किया गया। मुकुट पूजन कर विधि विधान से धारण कराया गया। चार बजे उन्हें कंधे पर बैठा कर दुर्ग पहुंचाया गया। रस्म पूरी कर बैलगाड़ी से उन्हें लीला स्थल ले जाया गया। इसके साथ ही लीला स्थल जयघोष से गूंज उठा।