बलिया –  पीडिता मंजू मिली कमिश्नर से, कहा साहेब थानेदार साहब न दर्ज कर रहे मेरे पति के हत्या का केस, हत्यारों को बचा रहे है

संजय ठाकुर

बलिया। एक तो पति को खोने का गम और उसपर इन्साफ पाने की जद्दोजहद, इस दर्द को अल्फाजो से तो बयान करना मुश्किल ही है। ऐसा ही कुछ हो रहा है मृतक शिक्षक के परिजनों के साथ जहा मृतक मृतक शिक्षक अविनाश चन्द्र पाठक की पत्नी मंजू पाठक अपने पति के मौत का इन्साफ मांगने दर दर भटक रही ही। दूसरी तरफ उभाव थाना प्रभारी ने मुकदमा दर्ज करने से साफ़ साफ़ इनकार किया है। आज आखिर थक हार कर पीडिता मंजू पाठक आजमगढ़ की कमिश्नर कनक त्रिपाठी मुलाकात किया और अपनी गुहार लगाई। इसके बाद कमिश्नर ने थाना प्रभारी से फोन पर बात कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए है।

क्या है मामला

दरअसल, 19 सितम्बर की रात मंजू पाठक के पति अविनाश चंद्र पाठक की संदिग्ध परिस्थितियो में लाश मिली थी। पुलिस को आशंका थी कि पानी में अधिक नशा करने के कारण डूब कर मौत हुई है। पंचनामे में भी इसी प्रकार का शक ज़ाहिर करता हुआ पंचनामा तैयार हुआ। लाश का पोस्टमार्टम हुआ और रिपोर्ट में पानी में दम घुटने को मौत का कारण बताया गया। वही जब मृतक के परिजन इस प्रकरण में नामज़द हत्या का मुकदमा दर्ज करवाने थाने गये तो उनका मुकदमा दर्ज नही किया गया। इस सम्बन्ध में परिजनों ने मुख्यमंत्री जन शिकायत पोर्टल का सहारा लिया और शिकायत किया।

इसके ऊपर थाना प्रभारी उभाव ने स्पष्ट रिपोर्ट दे दिया कि मृतक की स्वतः ही पानी में डूब जाने से मौत हो गई है। न मुकदमा न सुनवाई सीधे फैसले को देख परिजनों में रोष व्याप्त हुआ और वह अधिकारियो के यहाँ चक्कर काटने लगे है। इस दौरान कई जगह सम्बंधित अधिकारियो को मिल कर और पोस्ट से पत्र भेज कर शिकायत दर्ज करवाने का प्रयास किया गया। मगर थाना प्रभारी ने जैसे कसम खा रखा है कि सब हो जाए मुकदमा दर्ज नही होगा। वही मंजू का कहना है कि जिसके ऊपर हम लोगो को शक है उसने मेरे मृतक पति से एक लाख रुपया उधार लिया था और जिस दिन घटना हुई है उस दिन पैसे वापस करने को बुलाया था जहा उनको शराब पिला कर उन्हें पानी में डुबो कर हत्या कर दिया गया। मंजू का कहना है कि आरोपी रामप्रकाश यादव उनके पति को पैसे देने के लिए लेकर गया था। मगर मृतक के पास से पैसे नही मिले है।

क्यों फेल है पुलिस की थ्योरी

उभाव थाना प्रभारी साहब की थ्योरी में कई पेंच है। अगर मृतक की लाश जहा मिली उसका मुआयना किया जाए तो गड्ढे में केवल कमर तक पानी है। इतने पानी में कोई व्यक्ति कैसे डूब सकता है ये समझ के बाहर का मामला लगता है। दूसरी बात ये है कि अगर मृतक पानी में कोई नशा किये हुवे इंसान गिरे तो उसका नशा उतर जाएगा और वह होश में आ जायेगा। दम घुटने की जो थ्योरी पुलिस लेकर चल रही है वह शायद कारगर नही समझ आ रही है।

बहरहाल, अब देखना होगा कि क्या उभाव पुलिस अभी भी मुकदमा दर्ज करती है और पीडिता मंजू को इन्साफ मिलता है या फिर इन्साफ की जद्दोजेहद बाकी है। वैसे थाना प्रभारी का इस प्रकरण में कहना है कि मुकदमा केवल कप्तान साहब के आदेश पर ही दर्ज होगा और अभी तक कोई भी आदेश कप्तान ने नही दिया है।

पीड़िता का आरोप है कि उनके पति की हत्या उन्हीं के साथियों ने की और हत्या को आत्महत्या में बदलने के लिए खेत में उनकी लाश को ऐसे पानी में फेंका गया जिसमें आदमी डूब ही नहीं सकता। उसके बावजूद भी पुलिस ने इसे आत्महत्या का केस मानते हुए मुकदमा दर्ज करने से मना कर दिया। मंजू पाठक ने पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके मृत पति के शरीर पर जो चोट के निशान भी थे लेकिन पोस्टमार्टम में भी कोई चोट का निशान नहीं आया। श्रीमती पाठक ने कमिश्नर आजमगढ़ श्रीमती त्रिपाठी से गुहार लगाई है कि मेरे पति के हत्यारों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करके आरोपियों को जेल भेजा जाए ।

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