हरियाणा कैबिनेट में ये चेहरे हो सकते हैं शामिल, कई ऐसे जिन पर टिकीं सभी की निगाहें

अब्दुल बासित मलक

हरियाणा में गठबंधन की सरकार में मनोहर लाल की नई फौज बनने को तैयार है। दिग्गज मंत्रियों के हारने के बाद सरकार में आए नए चेहरों की लॉटरी लगना तय है। इस बार सरकार में पहली बार के विधायकों की भी किस्मत खुल सकती है। जबकि छह बार विधायक रहे अनिल विज का मंत्री बनना तय है। विज अंबाला छावनी से जीतते आ रहे हैं। इस बार भी मंत्रियों में सिर्फ अनिल विज और बनवारी लाल ही मंत्री के तौर पर सरकार की लाज बचाने में कामयाब हुए हैं। भाजपा के जीतने वाले विधायकों में विज सबसे ज्यादा वरिष्ठ हैं। उनके बाद घनश्याम सर्राफ का नंबर आता है।

हालांकि पिछली सरकार में घनश्याम सर्राफ को भाजपा ने नकार दिया था। उनसे मंत्री बाद में छीन लिया था। उनके साथ एक अन्य मंत्री को भी मंत्री पद से हटाया गया था। ऐसे में इस बार घनश्याम सर्राफ का नंबर लगेगा या नहीं यह कहना मुश्किल है, लेकिन वरिष्ठता के क्रम में इस बार मुख्यमंत्री के बाद अनिल विज को रखना सरकार की मजबूरी होगी।

विज अपने क्षेत्र से निर्विवाद चुन कर आए मंत्री हैं। उनके खेल और स्वास्थ्य विभाग में काम के चलते ही विज को जनता ने पसंद किया है। खेल कोटे से चुनकर आए विधायकों में हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह की भी लॉटरी लग सकती है। जबकि नांगल चौधरी से लगातार दूसरी बार विधायक बने पूर्व आईएएस अभय सिंह यादव को भी मंत्री पद हासिल हो सकता है। अभय यादव को प्रशासनिक अनुभव है और साथ ही वे दूसरी बार चुनकर आए विधायक हैं।

पंजाबी कोटे से थानेसर विधायक सुभाष सुधा और सीमा त्रिखा में से एक मंत्री बनने की लाइन में हैं। सुधा मनोहर लाल के करीबी हैं और साथ ही उन्होंने दिग्गज नेता अशोक अरोड़ा को हराया है। इस बार यह मुकाबला कांटे का था।

हरियाणा में इस बार निर्दलीय विधायकों को भी सरकार को साधना पड़ेगा। लिहाजा एक दो निर्दलीय को भी मंत्रीपद देना पड़ेगा। दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा गठबंधन में शामिल हो गई है। ऐसे में जेजेपी को अहम मंत्रालया मिल सकते हैं।

2014 की विधानसभा में अध्यक्ष पद पर रहे कंवरपाल गुर्जर की भी मंत्री बनने की तीव्र इच्छा है। पिछली सरकार में भी वे मंत्रीपद की लालसा रखे हुए थे, लेकिन उन्हें स्पीकर पद की जिम्मेदारी दे दी गई। इस बार वे जीत कर मैदान में आ गए हैं। लिहाजा सरकार को उन्हें मंत्री बनाकर यमुनानगर का का भी प्रतिनिधित्व करना होगा, क्योंकि यमुनानगर हरियाणा के उन जिलों में से हैं जहां का प्रतिनिधित्व कम होता है।

हालांकि सरकार में अनिल विज के साथ कदमताल करना मुश्किल होता है, क्योंकि विज का अपना अलग काम करने का अंदाज है। लेकिन बाद में मनोहर लाल ने उनके साथ भी तालमेल बिठा लिया था। शुरुआती दौर में थोड़ी मुश्किलें आई थीं। जिन्हें बाद में साध लिया गया। विज टेढ़े अफसरों को साधने में भी महिर हैं।

इस बार वित्त मंत्री के लिए रहेगी अनुभवी की तलाश इस बार वित्त मंत्री के लिए अनुभवी चेहरे की तलाश होगी। यह मंत्रालय चलाना आसान काम नहीं होगा। पिछली सरकार के कैप्टन अभिमन्यु ने वित्त विभाग संभाला था, लेकिन इस बार इस महकमे के लिए कौन सा चेहरा सूट करेगा। सरकार इस बात को लेकर मंथन में है। अधिकतर विधायक ऐसे हैं जो पहली बार जीते हैं, ऐसे में अनुभव की तलाश जारी है।

विधानसभा चुनाव के बाद सुधीर सिंगला, नरेंद्र गुप्ता, डॉ। कमल गुप्ता, ज्ञान चंद गुप्ता और दीपक मंगला के नाम की चर्चा है। नरेंद्र गुप्ता विपुल गोयल की टिकट कटने के बाद जीते हैं। जबकि डॉ। कमल गुप्ता दूसरी बार विधायक बने हैं। पंचकूला से ज्ञान चंद गुप्ता भी दूसरी बार विधायक बने हैं। दीपक मंगला सीएम की पसंद के आदमी हैं। ऐसे में लॉटरी किसकी लगेगी यह कहना मुश्किल है।

हरियाणा में सुभाष बराला, कैप्टन अभिमन्यु और ओम प्रकाश धनखड़ चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में महिपाल ढांडा, कमलेश ढांडा, जेपी दलाल और प्रवीण डागर जीते हैं। इनमें से एक चेहरे को मंत्री बनाना मजबूरी होगी क्योंकि यह पार्टी के टिकट पर जीत कर आए हैं। पार्टी ने 20 जाटों को टिकट दिए थे। जिसमें से चार जीत कर आए हैं।

सूबे से निर्दलीय विधायकों में बलराज कुंडू का नाम सबसे ऊपर है। इसके अलावा रणधीर गोलन और रणजीत सिंह के नाम की भी चर्चा है। जिसमें से कम से कम दो मंत्री बन सकते हैं। बाकी निर्दलीयों को भी सरकार को साधना होगा। लिहाजा बाकी को चेयरमैनी का ढांढस बंधाना पड़ेगा।

पिछड़ा वर्ग से सरकार में इंद्री से रामकुमार कश्यप का नाम आगे चल रहा है। इनेलो से राज्यसभा सांसद रह चुके कश्यप को मनोहर लाल ने ही भाजपा में शामिल किया था। अब उन्हें मंत्री पद से नवाजा जा सकता है, क्योंकि वे पिछड़ा वर्ग से आते हैं। कर्ण देव कांबोज पिछली सरकार में मंत्री थे, वे भी इंद्री से थे, लिहाजा कश्यप को इंद्री का प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।

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