आचार्य बाबूराम अवस्थी की याद में अनेक संस्कृत विद्वानों ने संस्कृत की कविताएं पढ़ी
फारुख हुसैन
लखीमपुर- खीरी। दशहरा मेला के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत चौथा दिन संस्कृत कवि सम्मेलन के नाम रहा जिसमें आचार्य बाबूराम अवस्थी की याद में अनेक संस्कृत विद्वानों ने देश-विदेश के कोनों से आकर संस्कृत की कविताएं पढ़ी धर्म ग्रंथों से लेकर प्रकृति का सौंदर्य वर्णन सामाजिक नीतियों कुरीतियों को उठाती गिराती संस्कृत की रचनाएं लोगों की प्रेरणा स्रोत बनती रही। वही आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की छात्राओं ने आचार्य बाबूराम अवस्थी के गीत भी तबला और हारमोनियम पर सस्वर प्रस्तुत किए।
दशहरा मेला के इस संस्कृत कवि सम्मेलन की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई जिसमें राम मोहन गुप्त के संचालन में मुख्य अतिथि जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन विनीत मनार ने दीप प्रज्वलन कर के कार्यक्रम की शुरुआत की इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ.सुरचना त्रिवेदी, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष निरुपमा वाजपेयी डॉ. सतीश कौशल वाजपेयी मेला कमेटी अध्यक्ष सर्वेश वर्मा मेला प्रभारी अमरदीप मौर्य मौजूद रहे।
सरस्वती वंदना के साथ शुरू हुए संस्कृत कवि सम्मेलन में आचार्य बाबूराम अवस्थी के चित्र पर माल्यार्पण करके मुख्य अतिथि ने कहा कि आचार्य जी जैसे महापुरुष वर्षों में जन्म लेते हैं। वे चलती फिरती संस्कृत की पाठशाला थे संस्कृत कवि सम्मेलन में आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की छात्राओं ने आचार्य बाबूराम अवस्थी के लोकगीतों का सस्वर गायन किया। इस दौरान स्थानीय कवियों में प्रणव त्रिवेदी ने संस्कृत की रचना पढ़कर लोगों की वाहवाही लूटी वहीं दस्ताने पढ़ा कर तुम शक्ल लोग कल्याणम रामू दशानन हतावान, दिल्ली विश्वविद्यालय के सुप्रसिद्ध गीत रचयिता रमाकांत शुक्ल के अनुच्छेदोचेछेदेंन शुभकामना अभिनंदनम पड़ा तो पूरा पंडाल झूम गया
आचार्य बाबूराम अवस्थी की पुत्री ने हे शुभ्रवस्त्रावृता शुभम मंदार समिति हंस सिद्धि सुविचार वाणी सपने धनी कुरूत्वम जननीमाम रचना प्रस्तुत की प्रणव सुलक्ष्ने देववाणी देववाणी मातरम वंदे करके मां शारदे की वंदना की इसके अलावा मीना कुमारी जसविंदर कौर साक्षी अवस्थी साधना तिवारी प्रियांशी स्नेहा गुप्ता पूजा वाज बेरिया श्रीवास्तव जोया खान ने आचार्य बाबूराम अवस्थी के संस्कृत श्लोक गीत प्रस्तुत किए। अन्य कवियों में अभिषेक शाश्वत यज्ञ प्रकाश बाजपेई डॉक्टर उमापति मिश्र ने प्रियं भारतम् रचना प्रस्तुत की कृपा शंकर मिश्र प्रोफ़ेसर बृजेश कुमार शुक्ल रामाश्रय यादव अनंतराम शास्त्री जैसे विद्वानों ने रात्रि दो बजे तक अपनी संस्कृत रचनाओं से श्रोताओं को बांधे रखा।