रामलीला में अधर्मी रावण का हुआ वध

बापूनन्दन मिश्र

(मऊ) तिनहरी हकारीपुर रामलीला कमेटी द्वारा चलाया जा रहा 29 सितंबर से नारद मोह की लीला प्रारंभ होकर आज 9 अक्टूबर को रावण वध और राम राजगद्दी तक की रामलीला की गई जिसमें राम रावण युद्ध के पहले से ही तैयारियां प्रारंभ हो गई रावण के मन में अनेक प्रकार के विचार आने जाने लगे कभी उसको लगता था क्या मैं भी भगवान राम से ले वैर लिया

फिर अचानक उसके मन में विचार आता है चलो अच्छा किया हमने कम से कम उसी बहाने मेरी मुक्ति भी तो हो जाएगी और वह अपने वचनों पर अड़ा रहा रणभूमि में लक्ष्मण के हाथों में मेघनाथ की मृत्यु के बाद तो रावण बावला सा हो गया और जोर जोर से दहाड़ने लगा चिक्कार करने लगा उधर भगवान राम अपनी सेनाओं के साथ अपने दल में सुग्रीव और जामवंत के साथ मंत्रणा कर रावण पर किस प्रकार विजय प्राप्त कर सकें उसकी योजना बनाने में लगे थेअगले दिन दोनों में घमासान युद्ध हुआ और अनाचार दुराचारी कुरीतियों को जन्म देने वाला उस रावण का राम के हाथों वध कर दिया गया और विभीषण के हाथों में भगवान राम ने स्वर्ण लंका को सुरक्षित देकर अयोध्या के लिए प्रस्थान कर दिया

भाई भरत भगवान राम की आगमन के लिए बहुत व्यथित थे की कहि भगवान मुझे भूल तो नही जाएंगे यदि भगवान राम नहीं आए तो हम अपना प्राण त्याग देंगे तभी हनुमान जी के द्वारा सूचना प्राप्त हुई और भगवान राम की आने की खबर मिली जिससे पूरी अयोध्या में खुशी का माहौल हो गया और गुरु वशिष्ठ ,तीनो माताएं तथा सभी अयोध्या वासियों के साथ भगवान राम राज गद्दी पर विराजमान हुए रामलीला में मंचन किए हुए सभी प्रतिभागी गांव के ही थे राम के रूप में श्याम सुंदर त्रिपाठी, लक्ष्मण अनुराग त्रिपाठी , और रावण राजेश सिंह ,मेघनाथ शिव प्रताप त्रिपाठी, संचालन आर्यन त्रिपाठी द्वारा किया गया

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