फिर गरजा अतिक्रमण पर नगर निगम का बुलडोज़र, परिजनों का आरोप गरीबो पर ही गरजते है नगर निगम के बुलडोज़र
तारिक आज़मी
वाराणसी. नगर निगम का बुलडोज़र एक बार फिर अतिक्रमण पर गरजा है। इस बार यह अतिक्रमण अभियान प्राथमिक पाठशाला नगर निगम मछोदरी के पूर्व नगर निगम कर्मचारी को प्रद्दत सरकारी आवास पर अवैध निर्माण को लेकर गरजा है। वही कर्मचारी के परिजनों का आरोप रहा कि नगर निगम द्वारा पूर्व में किसी प्रकार की नोटिस नही दिया गया है। साथ ही परिजनों का आरोप था कि केवल गरीबो पर ही नगर निगम कार्यवाही कर रहा है। इस दौरान मौके पर मौजूद नगर निगम के अधिकारियो ने नोटिस देने के साक्ष्य भी पत्रकारों को दिखाये।
उच्चतर माध्यमिक पाठशाला मछोदरी के पश्चिमी दक्षिणी कोने पर नगर निगम के पूर्व कर्मी राम समुझ मिश्रा को एक सरकारी आवस सेवा काल हेतु मिला था। इस दौरान काफी समय से निवास कर रहे राम समुझ मिश्रा और उनके परिजनों ने मिले आवस में पक्का निर्माण भी करवा लिया था। पिछले वर्ष 2018 के नवम्बर में राम समुझ मिश्रा सेवा काल पूरा कर रिटायर्ड हो गये। परिजनों की माने तो नगर निगम से उनके फण्ड इत्यादि का बकाया अभी तक भुगतान नही हुआ है।
इस दौरान नगर निगम के उक्त विद्यालय को तोड़ कर पार्किंग के साथ स्कूल बनाने का प्रोजेक्ट चालू हो गया। इस दौरान नगर निगम अधिकारियो के अनुसार कई बार आवास और अवैध निर्माण खाली करवाने का नोटिस दिया गया। निगम अधिकारियो ने फोटो और वीडियो पत्रकारों को दिखाते हुवे बताया कि 26 सितम्बर को अंतिम नोटिस दिया गया और तीन दिन का समय आवास खाली करने का दिया गया। मगर अतिक्रमणकारियों ने अतिक्रमण न हटाया और न ही खाली किया। वही राम समुझ मिश्रा और उनके परिजनों का आरोप था कि हमको किसी भी प्रकार की नोटिस नही मिली है और न ही हमको बताया गया। सीधे आज आकर परिजनों को घर के बाहर निकाल कर भवन तोड़ दिया गया। जिससे हमारा लाखो का सामान भी टूट गया।
बहरहाल, उक्त निर्माण को नगर निगम के प्रवर्तन दल ने ज़मीदोज़ कर डाला। इस दौरान नगर निगम तहसीलदार विनय कुमार मिश्रा, कर अधीक्षक संतोष कुमार, जोनल अधिकारी संजय श्रीवास्तव के साथ प्रवर्तन दल मौजूद रहा। प्रवर्तन दल का नेतृत्व कर्नल राघवेन्द्र नाथ कर रहे थे। वही टूटे भवन में निवास करने वाले रामसमुझ मिश्रा के बड़े बेटे विजय मिश्रा ने पत्रकारों से कहा कि हमको किसी प्रकार की कोई नोटिस दिए बगैर हमारे लाखो के माल सहित निर्माण को तोडा गया है। जबकि हम प्रवर्तन दल से एक सप्ताह का समय मांग रहे थे। मगर प्रवर्तन दल के द्वारा हमारी एक न सुनी गई। हम मामले को न्यायालय में लेकर जायेगे।