बीमार, गरीब बाबूलाल राय का नही कोई पुरसाहाल, कहा है आखिर ज़िम्मेदार
गुलाम आजाद
ज्ञानपुर,भदोही। सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं जहां कई अपात्रों के लिए कारगर साबित हो रही वहीं कुछ ऐसे भी पात्र है जिन्हें इन योजनाओं की नितांत आवश्यकता है। लेकिन अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को समय नही है कि जिले में सही पात्रों को योजनाओं का लाभ मिले। जिले के ज्ञानपुर ब्लाक के कुसौली गांव निवासी बाबूलाल राय भी इन्ही पात्रों की सूची में है। जो अपने 26 वर्ष की उम्र में गरीबी और अपने गंभीर बीमारी से परेशान होकर तिल तिल मरने को मजबूर है। कोई उस असहाय गरीब की सूनने और मदद करने वाला नही दिख रहा है।
ज्ञानपुर के कुसौली निवासी कल्लूराय अपने छोटे बेटे बाबूलाल की बीमारी के ईलाज के लिए दर दर ठोकर खाते रहे लेकिन सिस्टम ने उनकी एक न सुनी और एक माह पहले कल्लूराय की एक सडक दुर्घटना में मौत हो गई। अब बाबूलाल राय अपने घर पर एक टूटी खाट पर मडहे में दिनभर खांसते हुए अपनी जिन्दगी काट रहा है। उसका भाई भी है जो अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए मजदूरी करता है लेकिन उसके पास इतना पैसा नही है कि अपने भाई के ईलाज के लिए कही ले जा सके। दर्द की दवा मेडिकल स्टोर से लाकर अपने भाई बाबूलाल को अपने भाई धर्म का निर्वहन करता है।
बाबूलाल की स्थिति देखकर लगता है कि यदि उसका सही समय पर ईलाज न होगा तो उसे अपने जिन्दगी की जंग में हार माननी पडेगी। बाबूलाल अपनी दशा को लेकर दिनभर खाट पर पडे पडे रोकर जिन्दगी काट रहा है। और भगवान से मांग कर रहा है कि उसे इतना दुःख देने के बजाय मौत दें दे। बाबूलाल की दशा को देखकर लोगों की संवेदनाएं नही जग रही है। कि लोग उस गरीब के सहयोग में आगे आए। जिले में बहुत ऐसे पूंजीपति व समाजसेवी है जो गरीबों के लिए सहयोग करते है।
काश! बाबूलाल पर भी लोगों की कृपा हो जाती और वह युवक अपनी गरीबी व बीमारी से निकल कर सामान्य जिन्दगी जी पाता। जिले के नेता और अधिकारी भी यदि इस गरीब पर ध्यान दें दे तो बेशक बाबूलाल की बीमारी का ईलाज हो और वह सामान्य जिन्दगी जीने लगे। अपनी टूटी खाट और झोपडी में कराहते और रोते हुए बाबूलाल को देखकर पत्थर दिल भी पिघल जाएगा। लोगों से निवेदन है कि बाबूलाल के सहयोग में आगे आएं और उसे नई जिन्दगी देने में यथासंभव सहयोग करें।