दालमंडी – सकरी गली में बाहुबली का नियमो को ताख पर रख होता बड़ा निर्माण, ढही अचानक मुंडेर की दिवार, बचा बड़ा हादसा,
तारिक आज़मी
वाराणसी। शहर का दालमंडी क्षेत्र अक्सर ही चर्चा में रहता है। मैं पहले आपको दालमंडी क्षेत्र से अपना तात्पर्य बता देता हु। वैसे तो अमूमन दालमंडी एक छोटी जगह का नाम है। मगर आम बोल चाल की भाषा में दालमंडी का तात्पर्य दालमंडी, सराय, छत्ताताले, हडहा जैसे निकटवर्ती मुहल्लों से लगाया जाता है। बढ़ते कारोबारी जगह के कारण इस क्षेत्र में संपत्ति के भाव भी आसमान छूने को बेताब है। बढ़ते भाव के साथ यहाँ संपत्ति विवाद भी बढ़ता गया है।
इस इलाके में काफी ऐसे भवन है जिनके संपत्ति मालिक अपनी संपत्ति को भव्य भवन का रूप देने से आर्थिक रूप से कमज़ोर है। ऐसे ही आर्थिक रूप से कमज़ोर संपत्ति मालिको के बीच अचानक बिल्डर्स की एक बड़ी फ़ौज क्षेत्र में उभर आई है। दुपट्टे से लेकर कुख्यात रहने वाले अचानक सभी बिल्डर बने दिखाई देने लगे है। कह सकते है कि इस इलाके में बिल्डर्स की एक बड़ी फ़ौज अचानक उभर कर सामने आ गई है। सुनने में तो ऐसा भी आता है कि इनमे से काफी बिल्डर्स पहले कुख्यात भी रह चुके है। ये संपत्ति मालिको से 60-40 पर सौदा तय करते है। अर्थात निर्मित भवन की 60% मालियत बिल्डर्स की और शेष 40 फीसद मलियत और भवन की छत संपत्ति स्वामी की होती है।
बिल्डर्स एग्रीमेंट अक्सर करके 100 रुपया के स्टाम्प पर बनता है जिसमे दोनों पक्ष हस्ताक्षर करते है और फिर अवैध रूप से संपत्ति का निर्माण शुरू हो जाता है। सुना जाता है कि वीडीए के समस्त नियम ताख पर धर कर चंद सिक्को की खनक से स्थानीय अभियंता से हेल्लो हेल्लो करके काम शुरू हो जाता है। नक्शा पास होना तो दूर की बात रही निर्माण के लिए मानको का भी प्रयोग नही होता है और लगभग हर निर्मित अथवा निर्माणाधीन भवन में बेसमेंट बेधड़क निकाले जाते है।
ऐसे ही एक भवन का निर्माण क्षेत्र के एक बहुचर्चित बिल्डर्स बनकर उभरे शख्स नूर आलम के द्वारा सराय हड़हा भवन संख्या Ck 46/67 में होना बताया जा रहा है। भवन बिना किसी रोक टोक के सकरी गली में जमकर नियमो की धज्जिया उड़ाते हुवे बन कर तैयार भी हो गया है। अब निर्माणकर्ता बिल्डर का नाम नूर आलम सुना जा रहा है तो फिर आखिर आपत्ति कौन कर सकता है। भला इलाके में किसकी मजाल जो नूर आलम के खिलाफ खड़ा हो जाए। शासन प्रशासन तक अपनी बड़ी ऊँची पहुच रखने का दावा करने वाले बिल्डर साहब की धाक भी इलाके में भरपूर है। किसी की मजाल नही जो साहब के सामने ऊँची आवाज़ में बात कर ले। फिर उनका विरोध कोई करे ऐसी मजाल भला किसमें हो सकती है।
बहरहाल, आज शुक्रवार को निर्माण में बरती जा रही लापरवाही ने एक बड़ा हादसा कर डाला होता। वह तो क्षेत्रिय लोगो की किस्मत अच्छी थी कि मौके पर कोई हताहत नही हुआ। हुआ कुछ इस तरह से कि सकरी गली में चल रहे निर्माण कार्य के कारण छत के मुंडेर की एक दिवार भरभरा कर धराशाही हो गई। क्षेत्र में अफरा तफरी का माहोल कायम हो गया। एक चीख पुकार का माहोल कायम था। मगर अचानक आवाजो पर लगाम लग गई क्योकि निर्माण साहब का था। लोग खामोश हो गये, मगर सुगबुगाहट होना शुरू हो गई और मामला पुलिस की जानकारी में आ गया। मौके पर पहुची पुलिस ने पहले भवन स्वामी को बुलाया और बात किया। भवन स्वामी ने खुद को बचाने के लिए बताया कि एक डेढ़ साल पहले हुवे निर्माण में छत के मुंडेर की दिवार गिर गई है। जबकि मौके से बिल्डर महोदय कही चले गये थे।
हकीकत जो हमारे सूत्रों ने हमको बताया वह यह निकल कर सामने आई कि भवन का निर्माण बिल्डर कॉन्ट्रैक्ट के तहत नूर आलम नाम के बिल्डर के द्वारा करवाया जा रहा है। लगभग निर्माण कार्य पूरा हो चूका है और मौके पर छत के मुंडेर की दिवार गिर पड़ी है। भवन निर्माण का कोई वैधानिक नक्शा पास नही है मगर निर्माण वीडीए के क्षेत्रिय अभियंता और भुनिरिक्षक के संज्ञान में है। मौखिक रूप से उन्होंने नक्शा ही नही पास किया बल्कि निर्माण की पूरी खुली छुट दे रखा है। बीच बीच में साहब आते जाते रहते है। अब इतनी दूर से आने के कारण उनके गाडी में तेल भी तो खर्च होता है।
वैसे एक बात तो स्पष्ट है कि इस तरीके के अवैध निर्माणों को वीडीए के क्षेत्रिय जेई और भुनिरिक्षको का पूरा संरक्षण रहता है, मगर कोई विवाद होने पर क्षेत्रिय थाने को ज़िम्मेदार माना जाता है। विवाद और इस इलाके का पुराना चोली दामन का साथ है तो विवाद की स्थिति में पसीने बहाने का काम पुलिस करती है। मगर मेहनत की मलाई तो वीडीए के साहब लोग ही खाते है। अब देखना होगा कि इस प्रकरण में भवन के निर्माणकर्ता बिल्डर पर स्थानीय चौक पुलिस शिकंजा कसती है अथवा साहब के ऊँची पकड़ के आगे पुलिस ढीली पड़ जाती है। शायद पिक्चर अभी बाकी है तो वही दालमंडी की हमारी इसके पूर्व चल चुकी सीरीज में कहानी अब और भी बाकी है। हम जल्द ही बतायेगे कि आखिर किस प्रकार इस क्षेत्र के सभी बाहुबली आज बिल्डर बन बैठे है। आखिर नियमो को ताख पर रखकर कैसे वीडीए क्षेत्र में बेसमेंट का जाल बिछवा रहा है। जुड़े रहे हमारे साथ…..