देश में अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक, उद्यमी विफलता के डर से नए प्रोजेक्ट शुरू करने में झिझक रहे – डॉ मनमोहन सिंह

तारिक खान

नई दिल्ली: देश में गिरती हुई अर्थव्यवस्था पर पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह ने चिंता व्यक्त किया है। मनमोहन सिंह ने देश की जीडीपी की 4.5 फीसद की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक बताया। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिह अर्थव्यवस्था पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन में अपना विदाई भाषण दे रहे थे। उन्होंने भाषण में कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है लेकिन मैं यह भी कहूंगा कि हमारे समाज की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है।

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सामने आए जीडीपी के आंकड़े 4.5 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर है। यह साफ तौर पर अस्वीकार्य है। देश की आकांक्षा 8-9 प्रतिशत की वृद्धि दर है। पहली तिमाही की 5.1 प्रतिशत जीडीपी से दूसरी तिमाही में 4.5% पर पहुंचना चिंताजनक है। आर्थिक नीतियों में कुछ बदलाव कर देने से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद नहीं मिलेगी।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति सामाजिक स्थिति से प्रभावित होती है। उन्होंने कहा, ‘हमारा समाज गहरे अविश्वास, भय और निराशा की भावना के विषाक्त संयोजन से ग्रस्त है। यह देश में आर्थिक गतिविधियों और वृद्धि को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था के सालाना आठ प्रतिशत की वृद्धि के लिए हमें समाज के वर्तमान डर के माहौल को आत्मविश्वास के माहौल में बदलना होगा। अर्थव्यवस्था की स्थिति समाज की स्थिति का प्रतिबिंब होती है। हमारा भरोसे और आत्मविश्वास का सामाजिक तानाबाना नष्ट हो चुका है।

उन्होंने आगे कहा कि आपसी विश्वास हमारे सामाजिक लेनदेन का आधार है और इससे आर्थिक वृद्धि को मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि कई उद्योगपतियों ने मुझे बताया कि वे सरकारी अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के डर में रहते हैं। बैंकर क्षतिपूर्ति न भरनी पड़े, इस डर से नए लोन नहीं देना चाहते। उद्यमी विफलता के डर से नए प्रोजेक्ट शुरू करने में झिझक रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार और अन्य संस्थानों में बैठे नीति निर्धारक सच बोलने या बौद्धिक रूप से ईमानदार नीतिगत चर्चा में भाग लेने से डरते हैं। विभिन्न आर्थिक पक्षों में गहरा भय और अविश्वास है।

सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि समाज में गहरे तक पैठ बना चुके संदेह को दूर करते हुए अर्थव्यवस्था की मदद करें। उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करूंगा कि समाज में ‘गहराती आशंकाओं’ को दूर करें और देश को फिर से एक सौहार्दपूर्ण तथा आपसी भरोसे वाला समाज बनाएं जिससे अर्थव्यवस्था को तेज करने में मदद मिल सके।

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