अधिकारियों के बंद चेंबर में लगे हीटर, प्रसव मरीज बगैर कंबल रहे ठिठुरते

फारुख हुसैन

मोहम्मदी लखीमपुर खीरी- सर्दी चरम सीमा पर पहुंची 50 वर्षों का रिकॉर्ड टूट कर 3 डिग्री तक पारा पहुंच गया।महिला अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है। मगर अस्पताल में सर्दी बचाव के इंतजाम न होने से उनका हाल बेहाल बना हुआ है। तीमारदार घर से रजाई और बिस्तर लाकर सर्दी बचाव करने को मजबूर है। जबकि महकमे के अधिकारी और बाबू अपने कमरों में हीटर जलाकर गर्म रख रहे हैं।

ठंड की चपेट में आकर बच्चे और बुजुर्ग कोल्ड डायरिया एवं निमोनिया की चपेट में आकर अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। महिला अस्पताल में प्रसव के लिए प्रतिदिन 10 से 15 महिलाएं भर्ती हो रही है।सर्दी के इन सबका हाल बेहाल बना हुआ है। न तो अस्पताल में ठंड से बचाव की कोई व्यवस्था है। भर्ती मरीजों को रजाई आदि नहीं मिल रही हैं।गलन से बचाव के नाम पर मरीजों को सिर्फ एक कंबल मिलना चाहिए वह भी नहीं मिल रहा है।ऐसी ठिठुरन में मरीजों का कंबल के सहारे रात काटना मुश्किल होता लेकिन वह भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध नहीं है।

मीडिया के साथियों ने जब मरीजों से जाकर संपर्क किया तो बेला तुरखिया की श्रीमती अंगूरा देवी पत्नी अजय पाल ग्राम बिजौली सहसपुर कमलजीत पत्नी रविंद्र सिंह शहनाज पत्नी लल्लन निवासी नई बस्ती प्रतिभा पत्नी सुशील ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए बताया रात भर कोई भी ठंड से बचाव है। सामग्री हम लोग प्रदान ना होने से हमारे साथ भर्ती मरीज एवं तीमारदारों को खंड से रात बितानी पड़ी इसीलिए हम सब को मजबूरन प्राइवेट अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है। खिड़कियां के शीशे टूटे हुए हैं। जिससे निरंतर हवा आती रहती है।रात भर परेशानी का सामना हम सभी को करना पड़ा मुझे डर था कहीं बच्चों का स्वास्थ्य और खराब न हो जाए।

प्रसव के लिए भर्ती मरीजों ने लगाए आरोप

प्रसव के लिए पत्नी शहनाज को शुक्रवार दिन में अस्पताल लेकर आए थे तो सब के बाद वार्ड में भर्ती किया गया ठंड से बचने के लिए कुछ नहीं मिला न ही बाहर अलाव की व्यवस्था थी।इसलिए मजबूरन घर से लगाए लाकर मैंने अपने मरीज को ठंड से बचाया।

लल्लन निवासी नई बस्ती मोहम्मदी

मैंने अपनी पत्नी अंगूरा देवी को प्रसव हेतु सीएचसी लाया था।वार्ड में भर्ती कराया सर्दी से बचाव की कोई व्यवस्था तक नहीं थी।ऐसी भीषण शीतलहर में रात काटना मुश्किल हो गया।पत्नी एवं नवाजात को सर्दी से बचाने के लिए खुद मुझे बंदोबस्त करना पड़ा।

बाबूजी ना ही कंबल मिला ना ही मिली चादर – अजय पाल प्रसूता का पति

महिला अस्पताल में अवस्थाएं हावी हैं।मरीजों को बेहद लापरवाही बरती जा रही है। बृहस्पतिवार को प्रसव के लिए भर्ती हुई कमलजीत पत्नी रजविंदर को बिना चादर के बेड पर बैठा दिया गया।वक्त काफी देर तक बेड पर पड़ी ठंडी रबर पर बैठी रही न ही तो उनको कंबल दिया गया और न ही रबर पर चादर डाली गई।

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