आदमपुर का सुग्गा गडही बना जुआ गड़ही, सफ़ेदपोशो के संरक्षण में होता है क्रिकेट बेटिंग से लेकर मोबाइल लोटरी तक का खुल्लम खुल्ला जुआ

तारिक आज़मी

वाराणसी। पुलिस प्रशासन लाख कोशिशे कर ले, मगर सट्टा और जुआ माफिया अपनी जड़े  छोड़ने को तैयार ही नहीं है। एक पूरा का पूरा इलाका आज जुआ की चपेट में आ चूका है। खुल्लम खुल्ला मोबाइल लोटरी से लेकर क्रिकेट तक पर सट्टा लगाने और लगवाने का कारोबार इस इलाके में झूम का हो रहा है। इस जुआ के अड्डो को कुछ सफ़ेद पोशो का संरक्षण हासिल होने के कारण यह कारोबार दिन दुनी रात चुगुनी तरक्की कर रहा है और स्थानीय पुलिस के नज़र में भी नही आ पाया है। कारोबार में जहा सफ़ेद पोशो का संरक्षण हासिल है वही कुछ दबंग मनबढ़ युवको का भी साथ इस कारोबार को मिला हुआ है। किसी ने कोई दिक्कत किया तो ये मनबढ़ युवक उसको सलट लेने की क्षमता रखते है।

इसका एक उदहारण भी कल शनिवार को सामने आया जब एक शिकायतकर्ता अपनी शिकायत लेकर थाना आदमपुर पंहुचा। आदमपुर थाना प्रभारी सतीश सिंह ने शिकायत पर गौर-ओ-फिक्र किया और लिखित तहरीर लेकर स्वयं जाँच का आश्वासन भी पीड़ित को दिया है। पीड़ित ने अपनी शिकायत में भी इस इलाके में जुआ होने और क्रिकेट मैच पर सट्टा करवाने का इस इलाके के कतिपय सफेदपोशो पर आरोप लगाया है। आदमपुर पुलिस को प्राप्त शिकायत पर पुलिस गहराई से चिंतन मनन कर रही है कि इस कारोबार पर कैसे शिकंजा कसा जाये।

कौन है असली क्षेत्र का सट्टा कारोबारी

बहरहाल, शिकायतकर्ता के शिकायत और गोपनीय सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं को आधार माने तो क्षेत्र के एक मशहूर फुल्मशीन वाले जिनको इलाके का बच्चा बच्चा जानता है के सबसे छोटे पुत्र परवेज़ के द्वारा इलाके में क्रिकेट पर बुकी की तर्ज पर सट्टा खिलवाया जाता है। कारोबार परवेज़ मिया का अकेले का नही है बल्कि क्षेत्र में एक अन्य इस कारोबार का पार्टनर होना बताया जाता है। पार्टनर का नाम तो स्पष्ट नही हो पाया है मगर बताया जाता है कि क्षेत्र का कोई दबंग ही इसका पार्टनर है। इस करोबार का सञ्चालन मशहूर फुलमशीन वाले के खुद के घर में होता है। वही इसकी जड़ शहर के आस पास के इलाको में फैली है।

आस पास के इलाको में भी होता है इसका कारोबार

फुलमशीन वाले साहब के पुत्र का कारोबार केवल इस क्षेत्र तक ही सिमित नहीं है। किसी कैफ़ी और ओम नामक मुंबई के बुकी के द्वारा इस कारोबार का सञ्चालन यही युवक कतुआपूरा के नसीम के द्वारा भी करवाता है। वही दूसरी तरफ सूत्रों की माने तो हरतीरथ स्थित एक सकरी गली की ऊँची इमारत में भी इस कारबार की दूसरी ब्रांच है। इसके कारोबार की तीसरी ब्रांच बनिया टेलीफोन एक्सचेंज के पास और एक लहुराबीर पर होता है।

मोबाइल लोटरी का भी होता है सञ्चालन

इसी युवक के द्वारा एक अन्य कारोबार मोबाइल लोटरी का सञ्चालन भी किया जाता है। क्षेत्र के कुछ नवयुवको के द्वारा यह इसका सञ्चालन सडको पर चलते फिरते करवाता है। इन युवको को एक दिहाड़ी के तौर पर निश्चित रकम देने के बाद कारोबार पर पूरी पकड़ रखने वाला यह युवक अपने साथ मनबढ़ युवको का एक गैंग भी रखता है। इस गैंग का मुख्य काम किसी के पास पैसा अगर बकाया हो तो बाहुबल से निकालना होता है। शनिवार को इसका एक जीता जागता उदहारण निगाहों के सामने से गुज़रा है, जिसको देखा कर वास्तव में विश्वास हो गया कि इस कारोबार में अपराधी से लेकर सफ़ेदपोश तक काले कारोबार की मोटी कमाई तलाश रहे है।

क्या हुआ था

शनिवार को शाम लगभग 5-5:15 के समय एनआई बनारस नामक मैरेज हाल के बाहर दो युवक एक अकेले युवक को जमकर धमकिया और गालिया दे रहे थे। आसपास भीड़ भी दूर से मूकदर्शक बनी हुई थी। धमकी और गलिया देने वाले युवको का नाम बेचू और लड्डू बताया गया। इस दौरान जब बीच बचाव करने गये तो देखा एक साहब के कमर पर कट्टा भी था। बड़ी बड़ी डिंगो के बीच मुख्य सट्टा माफिया परवेज़, के अलावा किसी फैजी और ओम का नाम बार बार लेकर आस पास के लोगो के बीच भी दहशत पैदा किया जा रहा था।

जब नाम इतना भारी भरकम हो तो फिर किसकी मजाल जो कोई बोल दे। शराब की बदबू इन दोनों युवको के किरदार को साफ़ साफ़ ज़ाहिर कर रही थी। इस दौरान कुछ अन्य सफ़ेदपोशो के नाम इन युवको के द्वारा लिया जा रहा था और लगातार धमकिया तथा फाड़ देने चीर देने और गलियों से तीसरे युवक से रकम की मांग कर रहे थे। जानकारी करने पर पता चला कि तीसरे युवको को पहले इन युवको के गैंग द्वारा क्रिकेट पर सट्टा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। फिर इसके बाद कुछ हार जाने के बाद इस युवक से दस हज़ार की मांग होने लगी। पीड़ित युवक ने अनुसार उसने कुछ पैसे देकर मामले को रफादफा करवाने का अनुरोध इन दबंगों से किया था।

पीड़ित के अनुसार इसके बाद कुछ समय तो ये दबंग शांत रहे मगर उसके बाद दुबारा इन दबंग युवको के द्वारा परेशान करना शुरू कर दिया। इसी कड़ी में आज उसको इस प्रकार सरेराह धमकी दिया गया और लगभग एक हमला किया गया। पीड़ित ने घटना के सम्बन्ध में लिखित शिकायत स्थानीय थाना आदमपुर को दिया गया है। पुलिस मामले की जाँच कर रही है। घटना के समय कई लोग मौके पर उपस्थित थे।

क्या करती है पुलिस

अगर स्थानीय पुलिस की कार्यशैली को देखे तो इसमें कोई शक नही कि थाना प्रभारी सतीश सिंह मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी है। स्थानीय पुलिस चौकी के द्वारा इस प्रकार के प्रकरण में केवल लकीर के फ़कीर की भूमिका ही दिखाई जाती है। इस प्रकरण में भी ऐसा ही है। पुलिस पर जब भी जुआ के लिए कोई कार्यवाही की बात सामने आती है तो पुराने सटोरियों के ऊपर ही शिकंजा कसा जाता है। क्षेत्र के एक पुराने सटोरिये शानू के ऊपर ही शिकंजा रहता है और कार्यवाही भी हो जाती है। जबकि हकीकत ये है कि इस कारोबार के अन्दर सफ़ेदपोशो के संरक्षण पर कभी कोई कार्यवाही नही हुई।

मौजूदा हालत में अगर सूत्रों की माने तो पुराने लाटरी कारोबारी शानू और उसके साथियों द्वारा पुलिस के कसे शिकंजे के बाद से कारोबार को बंद करके टोटो चलाने और चलवाने के कारोबार शुरू कर दिया है। इसके बाद ये कारोबार फुलमशीन वाले के पुत्र महोदय ने अपने हाथो में ले लिया और एक बड़े कारोबार की तरह इस काम को करवाया जाने लगा, सूत्रों की माने तो मोबाइल लाटरी को कोइला बाज़ार के तस्लीम नामक युवक के द्वारा संचालित किया जाता है और पुरे कोइला बाज़ार रोड पर घूम कर कारोबार किया जाने लगा है।

क्या किया पुलिस ने कार्यवाही

इस दौरान स्थानीय चौकी इंचार्ज को जब दुबारा क्षेत्र में लाटरी का कारोबार शुरू होने की जानकारी प्राप्त हुई तो पुराने तर्ज पर ही शानू को बुला कर हडकाया गया। मगर इसका नतीजा थोडा अलग निकला। नतीजा ये हुआ कि शानू जो कारोबार अपना बंद कर चूका था ने पुलिस की फटकार तो सुन लिया मगर इसके बाद जाकर जिस युवक तस्लीम के द्वारा कारोबार हो रहा है उसको पकड़ कर कूट दिया। प्रत्यक्षदर्शी सूत्र बताते है कि इस दौरान युवक के पिता स्वयं मूकदर्शक बने रहे।

बहरहाल दो दिन के लिए लोटरी बंद हुई मगर फिर एक बार आपको चाय पान की दुकानों पर जमघट दिखाई दे जायेगा। कार्यवाही के नाम पर अब शुन्य मात्र है। क्षेत्र में शांति रहे भले ही कारोबार कितना भी गलत क्यों न होता रहे इस तर्ज पर चलने वाली स्थानीय पुलिस शायद ही इस कारोबार पर हाथ डाल कर बंद करवाये। क्योकि जग ज़ाहिर है कि कारोबार काला ही सही मगर संरक्षण कई सफ़ेदपोशो का हासिल है। इसमें कोई शक नही कि थाना प्रभारी आदमपुर सतीश सिंह स्वयं जी तोड़ मेहनत करते है। मगर अधिनस्त कितनी मेहनत करते है अथवा गुमराह ही रहते है ये भविष्य में देखने वाली विषय वस्तु होगी। हमको मालूम तो इतना भी है कि समाचार के प्रकाशन के बाद स्थानीय सफ़ेदपोश मामले को मैनेज करने के लिए प्रकरण को दुसरे तरफ घुमाने के लिए पुलिस थाने और चौकी के इर्दगिर्द टहलते दिखाई दे जायेगे।

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