आखिर जवाबदेह कौन होगा, हजारों एकड़ पर खनन वो भी वन विभाग की जमीन परl ऐसा क्यों?
फारुख हुसैन
पलिया कला खीरी= जहां एक ओर सरकार जिस तनम्यता और कड़ाई से खनन पर रोक लगाती नज़र आ रही हैं वहीं उसी रोक का आधार मानकर खनन माफियां उसी तेजी से खनन करते नज़र आ रहें हैं। जो हर किसी की समझ से परे है पर॔तु इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता कि खनन माफियाओं के हौसले किस कदर बुंलद हैं कि उनको किसी का भय नहीं रहा गया है पर॔तु यह भी सोचना गलत नहीं होगा कि इन खनन माफियाओं के हौसलों के पीछे किसी ऊँचे हाथ का साथ जरूर होगा। जिसका जीता जागता सबूत आपके सामने है कि खनन माफियाओं ने सैकड़ों एकड़ या फिर यह कहें कि हजारों एकड़ के हिसाब से वन विभाग की जमीन पर खनन किया जा रहा हैl
खनन का आलम यह है कि खनन होते होते वह एक नहर का रूप ले चुकी है या फिर ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा कि खनन माफियाओं ने कड़ी मश़क्कत और मेहनत कर एक नयी नहर का ही निर्माण कर डाला है। परंतु इस नयी नहर के निर्माण ने एक भयानक स्थिति भी खड़ी कर दी है कि शारदा नदी का रूख ही बदल दिया और वह अब अपने नये रास्ते से बहना शुरू हो गयी है। जो वास्तव में आने वाले दिनों में वनों के लिये एक नये खतरे का संकेत है।
इस समय खनन माफिया वन विभाग के बंद आँखों के वजह से खुलेआम खनन करते नज़र आ रहे हैंl जिससे कि क्षेत्र के ही श्रीनगर के नजदीक में खड़े जंगलो को दिन पर दिन खतरा बढ़ता ही जा रहा हैl बीते वर्षो से आने वाली बाढ़ की भीषण तबाही से न जाने कितनी वन सम्पदा बर्बाद हो गयीl जिससे प्रक्रति के विनाश के साथ-साथ करोडो अरबों रूपयों का वहन भी हुआ और अब मिली भगत से हो रहे खनन से वनसंपदा का कितना नुकसान होगा यह सोचनीय बनता जा रहा है।
उल्लखेनीय है कि क्षेत्र की विशाल शारदा नदी बरसात के दिनों में जो तबाही मचा रही हैl उससे कोई अन्जान नहीं है, जिससे बढ़े नदी के जलस्तर से जंगलों के पेड़ लगातार पानी में समाते जा रहे हैंl देखा जाये तो यह खनन माफिया जंगलों को खत्म करने पर आमदा हुए ही दिखाई दे रहें हैं।
श्रीनगर क्षेत्र में जंगल के किनारे लगातार खनन का काम जारी हैl खनन माफिया नियमित रूप से खनन का कार्य करते चले आ रहे हैं, और इसमें वन विभाग मूकदर्शक की भूमिका निभा रहा है। जिससे यह कहना भी गलत नहीं है कि इस तरह के हो रहे कार्यों से वन विभाग को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है, या फिर यूं भी कहा जा सकता है कि वन विभाग पूरी तरह से अपनी आंखों को बंद किये हुए है और उसकी नाक के नीचे यह खनन का कार्य चल रहा हैं,पर कोई देखने वाला नहीं है।
क्या ये वन विभाग की देन है
खनन की बात की जाए तो ऐसा नहीं कि वन विभाग को इसकी जानकारी नहीं है, पर वन विभाग हमेशा खानापूर्ति करके इतिश्री कर देती हैl जिससे सबको लगता है कि कार्यवाही हो गयीl मगर सब कुछ देखकर नज़र अंदाज करना भी ऐसी कार्यवाही पर शक की निगाह टिका देता हैl कार्यवाही के नाम पर खनन कर रही ट्रैक्टर ट्रालियों को वार्निंग देकर वहां से भगा दिया जाता है। आखिर किस का डर है? किसकी शह पर यह सब काम हो रहा है? जिस वजह से इन बंखौफ खनन माफियाओं पर कार्यवाही नहीं हो पाती हैl
यह सिलसिला ऐसा नहीं आज ही शुरू हुआ हो, अवैध खनन का कार्य बहुत ही लंबे समय से चल रहा है और इस अवैध धंधे में कई बार लोगों ने शिकायतें की किंतु इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। लंबे समय से चल रहा है अवैध खनन करने वाले अकेले ही यह कार्य कर रहे हो या संभव नहीं है और इस पर राजनीतिक संरक्षण कहना भी गलत नहीं होगा। वन विभाग खानापूर्ति के नाम पर कभी-कभी आकर धमका कर चला जाता है इसके अलावा कोई सख्त कार्यवाही करने से बचता है। जिससे वन विभाग की हजारों एकड़ भूमि पर खनन का काम जोरों पर है खनन माफिया खुलेआम बिना सरकार को कुछ रॉयल्टी दिए अपना काम कर रहे हैंl फिलहाल बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब इन बेखौफ हुए खनन माफियाओं पर कोई कार्यवाही हो पायेगी और कब यह रिश्वतखोरी के चेन टूटेगी ?
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