देखे लखनऊ के CAA,NRC के विरुद्ध प्रदर्शन का वीडियो – पुलिस ने कम्बल और खाने का सामन छीना, हौसला नही, खुले आसमान के भी नीचे जारी है प्रदर्शन
आदिल अहमद (इनपुट साभार वहाबुद्दीन)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने हमारे लिए आये कम्बल और बैठने के लिए बिस्तर छीन लिया, बुजुर्गो और बच्चो के लिए आये खाने के सामान भी छीन लिए है। मगर वह हमारे हौसले को नहीं छीन सकती है। ये शब्द मिनी शाहीन बाग़ बने लखनऊ के घंटाघर पर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में धरनारत एक प्रदर्शनकारी ने कहे।
दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर लखनऊ के घंटाघर पर महिलाये जाड़े की सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठी हैं। उनका आरोप है कि पुलिस उन्हें वहां टेंट तो लगाने नहीं दिया बल्कि उनके घरों से भेजे गए कंबल और खाना भी छीन लिया। शुक्रवार को शुरू हुआ धरना आज भी जारी है। लखनऊ के तवारीखी घंटाघर पर औरतों का हुजूम दिखाई दे रहा है। तमाम नकाबपोश औरतें मुट्ठी भींचे इंकलाब के नारे बुलंद कर रही हैं।
शायद ये इनका हौसला ही होगा जिसने उन्हें सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है। औरतों की इस भीड़ में तमाम बूढ़े, जवान, बच्चे…. सब हैं। औरतें आईं तो उनके पीछे बच्चे भी आ गए। शुक्रवार को दोपहर में चंद औरतें हाथों में तख्तियां लेकर घंटाघर पर बैठ गई थीं। उन्हें देखकर और महिलाएं आती गईं और भीड़ जुटती गई। पुलिस ने उन्हें टेंट लगाने की इजाजत नहीं दी।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम चाहते हैं कि यह CAA, NRC जो रिलीजन बेस्ड बिल लागू हुआ है, उसको सरकार वापस ले ले, क्योंकि यह देश को बांटने वाला कानून है। और आप बोलते हो कि हम नागरिकता देना चाहते हैं, लेना नहीं चाहते। हमारे पास कुछ सामान वगैरह आया, कंबल वगैरह थे। तकरीबन 60 से 70 कंबल थे जो पुलिस लेकर चली गई। और जो खाने का सामान था, बच्चों के लिए, बूढ़ों के लिए वह लेकर चली गई।”
बहरहाल, इस प्रदर्शन में आज पुलिस ने आसपास की खाने पीने की दुकानों को बंद करवा दिया। बताया जा रहा है कि सिख समुदाय के कुछ लोगो ने यहाँ आकर चाय और नमकीन वगैरह तकसीम किया। वही पुरे शहर में क्या बल्कि मुल्क में ही घंटाघर अपनी तवारीखी इबारतो के साथ एक और इबारत लिख कर मशहूर हो गया है।
खबर के साथ लगे वीडियो को देर रात लगभग 3 बजे शूट किया गया है। इसको हमारे सहयोगी वहाबुद्दीन के द्वारा शूट किया गया है, इस वीडियो में जहा प्रदर्शनकारी महिलाये “दिल दिया है जान भी देंगे, ये वतन तेरे लिए” का तराना गा रही है वही दुसरे क्लिप में आप सुन सकते है “कोमल है कमज़ोर नहीं, शक्ति का नाम ही नारी है। जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझसे हारी है।” शायद वास्तविकता है की नारी कोमल हो सकती है मगर कमज़ोर नही हो सकती है। जिन परिस्थितयो में ये प्रदर्शन जारी है उसके लिए शायद ये युक्ति ही उचित है।