46 साल बाद खुली रियासत की आर्मरी, सोने-चांदी जड़ित हथियार मिले
गौरव जैन
रामपुर। रामपुर के अंतिम शासक नवाब रजा अली खां की जायदाद के बंटवारे की प्रक्रिया के तहत सोमवार को रियासतकालीन आर्मरी के दरवाजे करीब 46 साल बाद खुले तो सबकी आंखें चुंधिया गईं। सोने-चांदी जड़ी तलवारों, खंजर, भालों के साथ ही बड़ी संख्या में विदेशी हथियार भी मिले हैं। इनकी गिनती शुरू कर दी गई है। इस सर्वे में अभी दो दिन और लगने की उम्मीद है।
न्यायालय के आदेश पर जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने आर्मरी का ताला खुलवाने के लिए एसडीएम मान सिंह पुंडीर, सीओ विद्याशंकर शुक्ल और शस्त्रों के जानकार राशिद खां व आमिर खां की कमेटी बनाई थी। एडवोकेट कमिश्नर मुजम्मिल हुसैन व सौरभ सक्सेना ने कमेटी की मौजूदगी में आर्मरी के ताले खुलवाये। यहां नवाब खानदान के सदस्य भी थे। जंग के कारण कुछ ताले चाभी से नहीं खुले तो उन्हें तोड़ दिया गया।
आर्मरी में संदूकों और अलमारियों में बेशकीमती हथियारों का जखीरा रखा था। कुछ हथियारों पर सोना और चांदी भी जड़े थे। एडवोकेट कमिश्नर ने सभी हथियारों की गिनती कराई। इस कार्य में काफी लंबा वक्त लगेगा। पहले दिन सर्वे का काम पूरा नहीं हो सका। अभी दो दिन और गिनती की जाएगी। गिनती में पहले चार सौ से ज्यादा शस्त्र मिले हैं, जिनमें तलवारें, खंजर, भाले, पिस्टल, बंदूकें, रायफल और अन्य हथियार शामिल हैं। शस्त्रों की संख्या हजारों में है। इनमें से कई हथियार लंदन, हॉलेंड, जर्मनी, अमेरिका, स्पेन, जापान आदि देशों की प्रमुख कंपनियों से निर्मित हैं। कुछ रामपुर में ही बने हैं।
इस मौके पर नवाब खानदान से जुड़ी पूर्व सांसद बेगम नूरबानो, पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां, पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की बहू नवाबजादी सबा दुररेज अहमद, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बदर दुररेज अहमद के बेटे ज़ुलनूर अहमद, निगहत आब्दी, एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना, वरिष्ठ अधिवक्ता हर्ष गुप्ता, संदीप सक्सेना, पूर्व मंत्री के पीआरओ काशिफ खां, अधिवक्ता सुयश गुप्ता, दानिश कमर, शकेब अब्बास और शबाब हुसैन मौजूद रहे।