CAA-NRC-NPR के मुखालिफ प्रदर्शनकारियों की लगी होर्डिंग प्रकरण में हाईकोर्ट इलाहाबाद बेंच का आया फैसला, तत्काल हटे होर्डिंग, 16 तक दे रिपोर्ट – Updated
तारिक खान
प्रयागराज.उत्तर प्रदेश सरकार को हाई कोर्ट इलाहाबाद ने बड़ा झटका देते हुवे CAA-NRC-NPR के मुखालिफ प्रदर्शनकारियों की लगी होर्डिंग प्रकरण में इन पोस्टरों और होर्डिंग को तत्काल हटवाने का निर्देश जारी किया है।
प्रकरण में आज सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पूरे शहर से पोस्टर हटवाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही लखनऊ प्रशासन से 16 मार्च तक इस मामले पर रिपोर्ट मांगी गई है। (विस्तृत समाचार प्रतीक्षित)
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प्राप्त समाचारो के अनुसार कल रविवार को हाईकोर्ट ने छुट्टी वाले दिन इस केस में सुनवाई करते हुए सोमवार को आदेश जारी करने की बात कही थी। आज सुबह से ही कोर्ट परिसार के आसपास लोगो की भीड़ इकठ्ठा थी। गौरतलब हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने होर्डिंग मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। यह मामला उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले से जुड़ा है, जिसके तहत राजधानी लखनऊ में बीते गुरुवार कुछ होर्डिंग्स लगा दिए गए थे। इन होर्डिंग्स में 53 लोगों के नाम, उनकी तस्वीर और पता दर्ज है। पूर्व आईपीएस अफसर एस।आर। दारापुरी और सामाजिक कार्यकर्ता और अभिनेत्री सदफ जफर का भी इसमें नाम है।
लखनऊ प्रशासन और पुलिस के मुताबिक, यह लोग पिछले साल नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन में शामिल थे और प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचे नुकसान की इन लोगों से भरपाई के लिए यह होर्डिंग लगाया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन होर्डिंग्स को सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद वहां लगाया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों की ओर से जानकारी दी गई कि जनहित को ध्यान में रखते हुए सभी नियमों के तहत यह होर्डिंग्स वहां लगाए गए हैं। होर्डिंग्स लगाए जाने को लेकर किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है।
लखनऊ में का विरोध करने वालों में पूर्व आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा होर्डिंग मामले का स्वतः संज्ञान लेने का स्वागत किया है। दारापुरी ने कहा कि शहर में होर्डिंग लगाया जाना उनकी निजता, सम्मान और नागरिकों की आजादी के अधिकार का हनन है। उन्होंने कहा, ‘इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा की गई कार्यवाही का मैं स्वागत करता हूं। जिस तरह का व्यवहार राज्य सरकार कर रही है और हमारे होर्डिंग लगा रही है, न्यायपालिका द्वारा इसका संज्ञान लिया जाना एक स्वागत योग्य कदम है।’