CAA-NRC-NPR के खिलाफ मिलकर सड़क पर लड़ने की जरूरत है : जस्टिस कोल्से पाटिल
वाजिद अली/ तारिक खान
इलाहाबाद. महाराष्ट्र के पूर्व न्यायाधीश कोलसे पाटिल ने CAA NRC NPR विरोधी अधिवक्ता मंच, इलाहाबाद द्वारा संविधान और नागरिकता विषय पर विचार गोष्ठी जो दौलत हुसैन इंटर कॉलेज नूरुल्ला रोड इलाहाबाद पर आयोजित हुई में शिरकत किया,
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि 99 फीसद लोगों की लड़ाई एक प्रतिशत लोगों से है, एक प्रतिशत लोग 99 प्रतिशत लोगों को अलग अलग करके राज कर रहे हैं। इतनी बड़ी ताकत से लड़ने के लिए हमें महात्मा गांधी अंबेडकर, भगत सिंह, सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख, पेरियार के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने कहा कि संविधान की शुरुआत कई तरह से हो सकती थी लेकिन उस समय बहुत बहस के बाद ‘हम भारत के लोग’ से शुरु किया गया। जिससे जनता की ताकत स्थापित होती है। उस समय जो संविधान के खिलाफ थे वही CAA-NRC-NPR लाए हैं। जिससे वे संविधान को ख़त्म करना चाहते हैं, क्योंकि संविधान समानता का अधिकार देता है जिसको आरएसएस व वर्तमान सत्ता बर्दास्त नहीं करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि आज एक बड़ी आबादी को दोयम दर्जे की शिक्षा प्रदान की जा रही है, ताकि लोग बराबरी की लड़ाई न लड़ सकें। सत्ताधारी ताकतें हमें वास्तविक दुनिया के बजाय काल्पनिक दुनिया की ओर ले जाना चाहते हैं ताकि वास्तविक लड़ाई न लड़ी जा सके। उन्होंने जजों से जस्टिस मुरलीधरन की तरह बनने की अपील करते हुए कहा कि हम सब को इंसानियत व मानवता के लिए लड़ना है, काम करना है इसके लिए घर – घर, गांव -गांव जाना होगा।
मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल अजीज कुरेशी ने न पाने पर दुःख व्यक्त करते हुए अपने वक्तव्य को रिकार्ड कर भेजा, जिसमे उन्होंने CAA को आवश्यक बताते हुए संविधान विरोधी बताया और इसके खिलाफ हो रहे आंदोलन को देश की रक्षा का आंदोलन बताया। सम्मेलन को हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सर्वेश ने संबोधित करते हुए कहा कि नागरिकता के बारे में संविधान के प्रावधानों की चर्चा की। सम्मेलन को प्रो. अली अहमद फातमी साहेब ने संबोधित करते हुए साझा संस्कृति बारे में अनेक उदाहरण रखा। सम्मेलन को पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता कमरुल हसन सिद्दीकी साहेब, जावेद मोहम्मद, सहित विभिन्न जिलों से आये अधिवक्ताओं सहित अधिवक्ता मोहम्मद सईद, नाथूराम बौद्ध, राम कुमार गौतम , राकेश प्रसाद, आदि ने संबोधित किया।
सम्मेलन में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें,प्रस्ताव पारित करते हुए निम्नलिखित मांगे सरकार से किया गया।
1- डॉक्टर कफील सहित इस संबंध में गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को न सिर्फ रिहा किया जाए, बल्कि उन पर लगाए गए सभी मुकदमों को वापस लिया जाय।
2- आजमगढ़ के बिलरियागंज में 39 लोगों पर लगाया गया देशद्रोह का मुकदमा वापस लिया जाए, और प्रदर्शन करने के अधिकार के इस्तेमाल के लिए इनपर देशद्रोह का मुकदमा लगाने वालों पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
3- उत्तर प्रदेश में 23 और दिल्ली में 34 लोगों की मौत के जिम्मेदार पुलिस कर्मियों और उनके सांप्रदायिक सहयोगियों पर हत्या के मुकदमे दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाय।
4- बिना जांच के लोगों पर फर्जी मुकदमें थोपने वाले पुलिस कर्मियों और संबंधित थानों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाय।
5- प्रदर्शनकारियों को बिना जांच के संपत्तिजब्ती, वसूली, जुर्माने आदि किसी भी तरह की नोटिस भेजने की गैरकानूनी कार्यवाही को तुरंत बंद किया जाय।
6- न्यायधीशों पर सरकारी दबाव डालने, न्याय की प्रक्रिया में सरकारी हस्तक्षेप करने की आपराधिक काम को तुरंत बंद किया जाय।
7- शांतिपूर्ण ढंग से महीनों से प्रदर्शन कर रहे लोगों को प्रताड़ित करने, इनपर हमला करने, धमकी देने, उन्हें बार-बार नोटिस भेजने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए।
8- प्रदेश और देश भर में चल रहे CAA NRC NPR विरोधी आंदोलन का सम्मान करते हुए, उनसे बात की जाय, और इस विभाजनकारी कानून को वापस लिया जाय।
हम सभी लोकतंत्र समर्थक, संविधान में यकीन रखने वाले अधिवक्ता मंच यह घोषणा करते हैं कि हम इस विभाजनकारी कानून CAA, तथा इसकी सहयोगी प्रक्रिया NPR NRC के विरोध में संगठित रहेंगे। यह अधिवक्ता मंच इन आंदोलनों के समर्थन में सक्रिय रहेगा, साथ ही आंदोलनकारियों पर लादे गए मुकदमों की पैरवी में तत्पर रहेंगे। CAA NRC NPR विरोधी अधिवक्ता मंच अपनी इस ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी का निर्वाह ज़िम्मेदारी पूर्वक करेगा।
सम्मेलन के दूसरे सत्र का संचालन अधिवक्ता माता प्रसाद पाल ने किया तथा तीसरे सत्र का संचालन काशन सिद्दीकी और नौशाद गयूर ने किया।