वाराणसी – आदमपुर के ओमकारलेश्वर में हुई दो पक्षों में ढिशुम ढिशुम, दुनिया लड़ रही कोरोना से और यहाँ लॉक डाउन का मज़ाक उड़ाते केले खरीदने बेचने पर लड़ रहे

तारिक आज़मी

वाराणसी. पूरी दुनिया इस समय कोरोना की महामारी से त्राहि त्राहि कर रही है। लोग एक दुसरे की मदद कर रहे है। लोग एक दुसरे के घर अनाज पंहुचा रहे है। कोरोना की महामारी केवल अपने शहर तक ही नही बल्कि अपने क्षेत्र आदमपुर तक पहुच चुकी है। पुलिस अपनी जान जोखिम में डाल कर जी जान से जुटी है कि जनता लॉक डाउन का पालन करे और कोई घर के बाहर न निकले। यह केवल हमारी आपकी सुरक्षा के लिए है कि सभी सुरक्षित रहे। इस प्रयास में कई पुलिस कर्मी कोरोना के चपेट में आ गए है।

मगर इन सबके बीच समाज के दुश्मन समाज का अहित करने को बेताब रहते है। उनको लग रहा है कि ये लॉक डाउन उनके ऊपर ज़ुल्म-ओ-सितम है। सब कुछ मज़ाक है। कुछ तो ऐसे भी है जो यह तक कहते पाए जाते है कि कोरोना नाम की कोई चीज़ है ही नहीं। कमाल करते है साहब, क्या काबुल में सिर्फ घोड़े ही होते है। ऐसे लोगो को आप समाज का दुश्मन भी कह सकते है।

बहरहाल, आते है आज के मुख्य मुद्दे पर। वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र के ओमकारलेश्वर में दो पक्षों के बीच शाम को रोज़ा खोलने के पहले ढिशुम ढिशुम हो गई। इसके बाद ये ढिशुम ढिशुम दो पक्षों के बीच के ढिशुम ढिशुम में तब्दील हो गई। तभी मौके पर किसी ने इसकी सुचना पुलिस को दे डाली। मौके पर पुलिस के आने से फिलहाल तो बवाल टल गया है, मगर रोज़े इफ्तार के बाद अथवा रात को मामले में दुबारा अपना रूप ग्रहण करने की संभावना दिखाई दे रही है। क्षेत्र का माहोल तो फिलहाल रोज़ा इफ्तार के कारण खामोश और शांत है। अब देखना होगा कि पुलिस की सख्त नसीहत के बाद अब आगे कुछ होता है अथवा सब कुछ फिलहाल के लिए ठन्डे बसते में चला जायेगा।

घटना के सम्बन्ध में प्राप्त समाचारों के अनुसार क्षेत्र की गलियों में एक केले वाला ठेले पर केला बेच रहा था। इसी बीच केले को लेने सम्बंधित बात विवाद बनती गई। मोलभाव थोड़ी ही देर में तुनक मिजाजी में तब्दील हो गया और इसी दौरान केला खरीदने की चाहत रखने वाले ने केला बेचने वाले युवक के खीच के एक थप्पड़ रसीद कर डाला। इस थप्पड़ के बाद केले वाला भी हिरा न फिरा एक वापसी तमाचा दे डाला। बात बढ़ गई। बात इस एक थप्पड़ लेंन देन से आगे बढ़कर थोडा बड़े विवाद का शक्ल ले लिया और फिर दो चार थप्पड़ वाला कार्यक्रम केले बेचने वाले के साथ हो गया।

आस पास खड़े लोगो ने मामले को ठंडा कर दिया और मामला ठंडा हो गया। इसी बीच केले वाला जो क्षेत्र के एक मनबढ़ किस्म के युवक का जानने वाला था और पास में ही उसकी रिश्तेदारी थी के पास जाकर घटना के सम्बन्ध में बताया। इस जानकारी के मिलने के बाद दूसरा पक्ष दौड़ता हुआ आया और बात बढती तभी उधर से पुलिस आ गई। पुलिस को देख दौड़ के आते लोग उससे तेज़ रफ़्तार में मैराथन की दौड़ लगा कर वापस चले गए। इसके बाद पुलिस के जाने के उपरान्त दुबारा दौड़ लगा बैठे। बात कुछ बढती तभी घटना की सुचना होने पर तत्काल मौके पर भारी संख्या में पुलिस कर्मी पहुच गए।

घटना के सम्बधं में ऐसे तो किसी ने पुलिस को बताया नही और सभी लोग घटना के समय बाथरूम में थे अथवा सुसु करने गए हुवे थे। जो बाकी बचे थे वो नमाज़ पढ़ रहे थे। किसी ने कुछ देखा नहीं था। वैसे इस जवाब से आप तीन नहीं बल्कि दस बार जोर से हा हां हां करके हस सकते है। मगर इस हँसने का अधिकार तभी आपको होगा जब आप कुछ गलत होने पर वास्तविकता का सही बयान विवेचक को कर सकते है। बहरहाल, पुलिस ने सख्त हिदायत दिया है और कहा है कि अगर कोई विवाद हुआ तो उठा कर दोनों पक्षों को बंद कर देंगे। माहोल अभी तक तो शांत है। क्षेत्र में पुलिस की गश्त बढ़ा दिया गया है। मगर कुछ सवाल अभी भी अनसुलझे है। पहला तो ये कि जब पुरे शहर में सभी दुकाने बद है तो फिर आखिर ये केले वाला कैसे क्षेत्र में घूम कर केला बेच रहा था। आखिर कौन सा ऐसा उसको पास मिल चूका है।

दूसरा सवाल उठता है कि केला खरीदने की चाहत रखने वाले सज्जन के लिये क्या लॉक डाउन नही है। आखिर वो खुद कैसे बाहर निकले थे। क्या उनके लिए लॉक डाउन नही था। या फिर कोई स्पेशल पास लेकर टहल रहे थे। भले कोई भी पक्ष पुलिस को तहरीर दे, या कोई भी पक्ष तहरीर में विवाद का कोई भी कारण लिखे मगर हकीकत में हुआ तो सिर्फ यही इतना है।

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