पीएनयु क्लब के सदस्यों द्वारा पुलिस कर्मियों की थर्मल स्कैनिंग प्रकरण, कई अनसुलझे सवाल अभी बाकि है, क्या अब थर्मल स्कैनिग करने वाले सदस्य करवायेगे खुद की जाँच
तारिक आज़मी
वाराणसी। शहर का बहुप्रतिष्ठित क्लब प्रभुनारायण यूनियन क्लब यानी पीएनयु क्लब और विवादों का आपस में चोली दामन का साथ नज़र आता है। कभी किसी प्रकरण को लेकर तो कभी किसी प्रकरण को लेकर एक दुसरे के विरुद्ध बयानबाजी के बीच आपसी खीचातानी के दौरान सभी एक दुसरे के सामने महारथी ही दिखाई देते है। इसी बीच रूटीन चेकिंग कहे अथवा फिर आबकारी की छापेमारी मगर जो भी हुआ हो क्लब एक बार फिर चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है।
क्लब के खुद को पदाधिकारी कहने वाले जहा ये दावा कर रहे है कि उनके क्लब का बार सीज नही है तो वही विभागीय सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार शासन के आदेशो पर सभी बार और शराब की दुकाने सीज कर दिया गया है। फिर आखिर पीएनयु क्लब का बार नही सीज हो यह सवाल ही नही उठता है। मगर हमको क्या है ? हम कौन से रईसों के शौक पाल कर क्लब में जाकर बैठने वाले है। हम तो समाज के वह हिस्सा है जिसको क्लब में जाना तो दूर खुद के परिवार से मिलने की जल्दी फुर्सत नही मिल पाती है।
बहरहाल, हमारा मुद्दा क्लब के आपसी विवाद अथवा फिर क्लब के बार को लेकर तो है ही नहीं। हम तो बस यु ही सोशल मीडिया सर्च कर रहे थे तो कुछ फोटो हमको उपलब्ध हो गए। इन फोटो में दिखाई दे रहा था कि कुछ लोग पुलिस कर्मियों की थर्मल स्कैनिंग कर रहे है। सुरक्षा के शुन्य इन्तेजामत के साथ फोटो के साथ दावे किये गए थे कि पीएनयु क्लब के सदस्यों द्वारा प्रशासन की अनुमति से पुलिस कर्मियों की थर्मल स्कैनिग किया गया। इस दौरान चौकाघाट, अन्ध्रापुल सहित सिगरा में थर्मल स्कैनिग का दावा फोटो के साथ सोशल मीडिया पर किया गया था। हमको कुछ अटपटा लगा तो क्या करे जब अटपटा है तो लग गया अटपटा। क्योकि फोटो में जो लोग थर्मल स्कैनिग की बात कर रहे है उनमे से एक दो को मैं भी जानता हु। इनमे से कोई चिकित्सक अथवा चिकित्सीय सेवा का हिस्सा भी नही है, फिर भी दावा था कि प्रशासनिक अनुमति के बाद थर्मल स्कैनिग किया गया।
पहले दावा किया गया कि एसएसपी वाराणसी ने इसकी अनुमति दिया था। मगर एक मीडिया हाउस ने जब इस सम्बन्ध में जानकारी इकठ्ठा कर प्रकाशित किया तो एसएसपी के द्वारा इसकी अनुमति की कोई बात सामने नहीं आई। इसके बाद आज एक सोशल मीडिया पर नज़र पड़ी तो क्लब के एक सदस्य क्षेत्राधिकारी (यातायात) द्वारा अनुमति की बात सामने आई। अब जो समझ नही आने वाली बात है वो ये है कि मुख्य चिकित्साधिकारी के द्वारा इस प्रकार की अनुमति दिया जाता है। फिर क्षेत्राधिकारी (यातायात) ने ये अनुमति कैसे दे दिया ?
दूसरी बात जो समझ के थोडा सा परे है कि थर्मल स्कैनिग कर रहे सदस्यों के पास किसी प्रकार की चिकित्सीय डिग्री (हमारी जानकारी में, हां हो सकता है इनमे से किसी के पास अति गोपनीय चिकित्सीय डिग्री हो) नहीं है। फिर आखिर ये थर्मल स्कैनिग कर कैसे रहे थे ? एक छोटी सी मशीन टेम्प्रेचर हेतु लेकर उसको ओंन आफ करके बॉडी टेम्प्रेचर बता देना क्या स्कैनिग का हिस्सा था ? दूसरी बात थर्मल स्कैनिग का दावा करने वाले इन सदस्यों के पास खुद की सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम नहीं दिखाई दे रहे थे। हाफ आस्तीन की शर्ट अथवा टी-शर्ट पहनकर इस प्रकार की स्कैनिग करना क्या खुद को खतरे में डालना नही है ?
बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल तो ये उठता है कि इन लोगो के द्वारा थर्मल स्कैनिग की रिपोर्ट किसको प्रेषित किया जा रहा था ? उस रिपोर्ट का आधार क्या था ? क्योकि सूत्र और मौके के कुछ प्रत्यक्षदर्शी तो ये भी कहते सुने गए है कि इनके साथ कोई चिकित्सक था ही नही। वही दूसरी तरफ सीएमओ कार्यालय के सूत्रों की माने तो ऐसी अनुमति किसी मेडिकल अथवा पैरामेडिकल के व्यक्ति अथवा संस्था को दिया जाता है, वही सूत्रों ने ये भी बताया है कि कोई लिखित हमारे पास आकडे नही आये है और न ही रिपोर्ट आई है जिससे हम इस संस्था द्वारा थर्मल स्कैनिंग की पुष्टि कर सके।
तो क्या थर्मल स्कैनिंग के नाम पर केवल और केवल लॉक डाउन में घूमना मकसद था ? दूसरी बात जिस मशीन से इन लोगो ने चेकअप करने का दावा किया है वह मशीन अगर किसी पॉजिटिव मरीज़ की जाँच किये होगी तो बकिया के लोगो को भी तो इस संक्रमण के संभावित खतरे में डाल दिया है। यही नहीं ऐसे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आकर जाँच करने वाले खुद ही संक्रमित हो सकते है।
अब क्या होगी थर्मल स्कैनिंग करने वाले सदस्यों की खुद की जाँच
थर्मल स्कैनिग करने वाले सदस्यों के दावो को अगर हकीकत माने तो इन लोगो ने चौकाघाट, अन्ध्रापुल जैसे इलाको के साथ साथ सिगरा में भी पुलिस कर्मियों की जाँच किया था। अब जब एक नही बल्कि 8 पुलिस कर्मी कोरोना पॉजिटिव सिगरा क्षेत्र के मिले है तो कही ऐसा तो नही कि उनके संपर्क में ये लोग भी आये हो। अगर ऐसा हुआ होगा तो इन सदस्यों पर भी संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में सावधानी हटी दुर्घटना घटी के तर्ज पर क्लब के उन सदस्यों को अपनी खुद की जाँच भी सबसे पहले करवा लेना बुद्धिमानी प्रतीत होती है। यही नही जाँच के बाद जब तक रिपोर्ट न आये तब तक क्वारटीन हो जाना चाहिए।
अगले अंक में हम आपको बतायेगे ऐसे और भी अनसुलझे सवाल और तलाशने की कोशिश करेगे उनका जवाब। जुड़े रहे हमारे साथ