कोरोना काल में भी दुकान मालिकों की मनमनानी के चलते किरायेदार व्यापारियों की बढ़ी मुश्किले
अहमद शेख
पलिया कलां खीरी÷ एक ओर जहां कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को लेकर पूरा विश्व खौफ ज़दा दिखाई दे रहा है इस मामहामारी के स॔क्रमण से आमजन को बचाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा लगाये गये लाॅकडाउन ने जहां इस महामारी से तो कुछ राहत मिलती दिखाई दी थी,लेकिन इस लाॅकडाउन ने पूरे देश की आर्थिक व्यवस्था को पूरी तरह से ज़मीनी स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है और देश की स्थिति पर संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहें हैं। जहां पहले हमारे देश की आर्थिक व्यवस्था मजबूत घरेलू खपत और निवेश से आर्थिक विकास दर 2019-20 में 7.1 फीसदी अनुमान लगाया गया।
उस समय 2019 और 2020 में आर्थिक वृद्धि दर क्रमश: 7.6 तथा 7.4 फीसदी रहने की संभावना जताई गई थी ।लेकिन इस वक्त एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसार 2020 में भारत की वैश्विक आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया है और कहा है कि कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में प्रवेश कर रही है और ऐसी स्थिति में लोग जहां देश को मज़बूती देने के लिये लगातार सहयोग करते भी दिखाई दिये जिसमें बड़ी कंपनियों के मालिकों और सेलिब्रिटी के साथ-साथ आम आदमी भी देश के हित के लिए प्रधानमंत्री कोष में सहायता राशि भेजी थी।
इस कोरोनावायरस में लगाये गये लॉकडाउन के चलते आम आदमियों के स्थिति काफी दयनीय हो गई थी लोग अपने घरों में रहकर ही भुखमरी की कगार पर आ गए थे लेकिन ऐसे में सरकार द्वारा लगातार आमजन को सहायता प्रवाहित की जा रही थी जिसमें समाजसेवी भी लगातार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थे और इसके अलावा सरकार ने बहुत सी सहूलियतों की भी आमजन के लिए घोषणा की थी जिसमें घरेलू गैस,बिजली का बिल, बीमा जैसी कंपनियों के अलावा आने जाने की सुविधाओं को भी शामिल किया था लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण घोषणा की गई थी जो घरों में रह रहे किरायेदारों और व्यापारियों से संबंधित थी जिसमें घर के मालिक के द्वारा किराए को ऐसे कोरोनाकाॅल में लेने से पूरी तरह से मना कर दिया था और ऐसा न करने वालों पर कड़ी कार्यवाही के भी निर्देश दिए थे कुछ इस तरह ही दुकान मालिकों को भी आदेश जारी किए थे की दुकान मालिकों के द्वारा किराया ना लिया जाए और ना ही किराए में किसी प्रकार की बढ़ोतरी की जाए।
लेकिन इन सब आदेशों को ताक पर रखकर लखीमपुर खीरी जिले के तहसील पलिया में दुकान मालिकों के हौसले लगातार बुलंद दिखाई दे रहे हैं वह इस कोरोना कॉल जैसी भीषण आपदा में भी दुकान मालिक दुकानों के किराये में बढोत्तरी कर रहें हैं और पिछले किराये को उसी बढ़ोत्तरी दर से देने की बात कर रहें हैं।
वहीं गर दुकानदार कोरोना काल के चलते लगाये गये लॉकडाउन जैसी समस्याओं को उनके सामने रखकर गुज़ारिश करता है कि वह किराए में बढ़ोतरी ना करें तो वह उनसे दुकान को खाली करने की धमकी भी देते नज़र आ रहे हैं।जिसमें बड़े दुकानदारों को तो कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है लेकिन ऐसे में छोटे दुकानदारों को भारी समस्याओं में समाहित कर दिया है छोटे दुकानदारों की हालत इस कदर खराब हो चुकी है जहां लॉकडाउन ने उनकी दुकानदारी पर काफी प्रभाव डाला था वही दुकान की किराए में बढ़ोतरी उनके लिए जी का जंजाल बन चुकी है देखा जाए तो ऐसे दुकान मालिक उनको मानसिक प्रताड़ना देने का कार्य कर रहे हैं। जिससे साफ देखा जा सकता है कि वह सरकार द्वारा किए गए आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं। लेकिन देखा जा रहा है कि ऐसे दुकान मालिक दंबग प्रवत्ति के हैं जिनको न ही सरकार के आदेश की परवाह है और न ही लोगों के दुख दर्द की,उनको केवल अपनी मोटी रकम से मतलब है।
सूत्रों की माने तो ऐसे दुकान मालिकों के अधिकतर गैरकानूनी कार्य है जिनमें तस्करी से लेकर बिना साहूकारा लाइसेंस के ब्याज का मोटा कार्य भी शामिल है जो सरकार का टैक्स तो चोरी करते ही हैं साथ ही अपनी दंबगयी से सरकारी आदेश होने के बावजूद आदेशों की अवहेलना भी करते हैं ,लेकिन जिम्मेदारों के द्वारा इन पर कोई ध्यान न दिये जाने पर इनके हौसले पूरी तरह से बुंलद हो चुके हैं।
वहीं बातचीत में कुछ पीड़ित दुकानदारों ने बताया कि इस वक्त उनके हालात बहुत ज्यादा ही खराब हैं इतने दिनों दुकाने बंद होने से जहां उनकी दुकानदारी में काफी फर्क पड़ा है तो वही अब घरों में भुखमरी जैसे हालात पैदा कर दिये हैं और सबसे बड़ी समस्या उनके सामने यह भी है कि वह अपना दुखड़ा किसके पास जाकर रोयें वह न तो किसी से किसी प्रकार की सहायता ले सकते हैं और न ही किसी से कुछ बोल सकते हैं दिल में और दिमाग में तो बहुत दर्द है लेकिन आखों से भी छलका कर ज़ाहिर नहीं कर सकते बस ऊपरी हंसी से खुद को तसल्ली दे लेते हैं दूसरी वज़ह यह भी है कि वह उनका ज़मीर गंवारा नहीं करता कि किसी से वह सहालता लें। आप सबसे बड़ा सवाल उठता है कि सरकार जहां आमजन को राहत देने का कार्य कर रही है वही कुछ ऐसे दबंग दुकान मालिक दुकान किरायेदारों को मानसिक प्रताड़ना देने का कार्य कर रहें हैं लेकिन जिम्मेदारों का गैर जिम्मेदारना रवैय्या उनको काफी बल दे रहा है ।जिन पर कार्यवाही करना बहुत ही जरूरी हो गया है वरना वह दिन दूर नहीं की हमारे अन्नदाता (किसानों) के जैसे अब छोटे दुकानदार भी अपनी जिंदगी को आत्महत्या का रूप देकर अपनी जीवनलीला खत्म करना शुरू कर दें। अगर ऐसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ये दंबग दुकान मालिक या फिर सरकार ?
फिलहाल ऐसे विश्वव्यापी संकट में दुकान मालिकों के लिये हमारे सरकार द्वारा कुछ सज़ा भी संबंधित धाराओं में मुकर्र की गयी है जिस पर जल्द कार्यवाही की जाये ।जिससे की पीड़ित दुकानदारों को दंबग दुकान मालिकों से कुछ राहत मिल सके।