कानपुर के बस अड्डे पर प्रवासी मजदूरों की मदद को बढे हाथ

मो0 कुमैल

कानपुर। देश भर में लॉक डाउन के बाद की प्रवासी मजदूरो की सबसे बुरी स्थिति हुई, भूखे प्यासे प्रवासी मजदूरों ने पहले दौर के लॉक डाउन में खुद का संयम बनाये रखा और अपने प्रवास के दौरान अपने घरो में ही रहे। इस दौरान बढ़ते लॉक डाउन और फिर बेरोज़गारी की भेट चढ़कर प्रवासी मजदूरों ने खुद के लिये घर जाने के अलावा कोई रास्ता नही देख, अपने अपने गृह जनपद को निकल पड़े।

इस दौरान कोई पैदल, कोई सायकल तो कोई अन्य साधनों से घरो को रवाना हो गए। सरकार जब तक इस तरफ ध्यान देती मजदूरों के एक बड़ी भीड़ नेशनल हाईवे पर दिखाई देने लगी। भूखे प्यासे बेबस ये श्रमिक अपने घरो को लौटने को बेताब थे। कई दुर्घटनाये भी हुई। कई उसमे मरे भी। सरकार चेती और फिर मजदूरों के लिए ट्रेन और बस इत्यादि की व्यवस्था हुई। इस दौरान उनके खाने पीने की समस्या बरक़रार रही। इसके बाद कई स्वयं सेवियों ने हाथ बढाया और हाईवे पर उनके लिए खाने पीने के सामनो की मुफ्त व्यवस्था किया।

इसी क्रम में कानपुर जनपद के शहीद मेजर सलमान खान अंतर्राज्यीय बस अड्डा (झकरकटी) एवं सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर मुश्किल की इस घड़ी में विभिन्न प्रदेशों से आये गरीब असहाय प्रवासी मजदूरों को भोजन और लैय्या चना, बिस्कुट एवं जल वितरण का कार्य सम्पादित हुआ। यूनीसेफ एवं श्रम विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित परियोजना क्रमशः  बुक बर्ड वेलफेयर सोसाइटी के सचिव और समाज सेवी सय्यद शमीम हामिद, नया सवेरा की ताकनीकी रिसोर्स पर्सन – अर्शी खान, सोशल डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट सोसाइटी के प्रतीक श्रीवास्तव, एवं रॉबिन हुड आर्मी के सुमित गुप्ता द्वारा आने जाने वाले प्रवासी श्रमिको को पैकेट्स उपलब्ध करवाए गए।

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