“पं० रामाश्रय झा ‘रामरंग’ समिति” द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय कार्यशाला में शास्त्रीय संगीत के महत्वपूर्ण बिंदुओं से कराया अवगत
करिश्मा अग्रवाल
“पं० रामाश्रय झा ‘रामरंग’ समिति” द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय कार्यशाला के पंचम दिवस का आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। चतुर्थ सत्र का शुभारंभ कार्यशाला के आयोजक डॉ० रामशंकर के निर्देशन में रामरंग परिवार की ओर से प्रणव शंकर ने सत्र के गुरु डॉ अविराज तायड़े के स्वागत एवं परिचय से किया। डॉ अविराज तायड़े हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रख्यात गायक हैं, साथ ही विभिन्न सम्मानो जैसे-पंडित भीमसेन जोशी कला गंधर्व सम्मान, पंडित गजानन अनंत जोशी अवॉर्ड बेस्ट एम्पलाई अवॉर्ड पुरस्कार आदि विशेष सम्मानो से सम्मानित है। उन्होंने संगीत के विविध प्रयोग भी किए हैं जिसमें संगीत चिकित्सा पद्धति पर किया गया कार्य प्रमुख है।
सत्र का आरंभ डॉ अविराज तायड़े ने सर्वप्रथम आयोजन हेतु आयोजक मंडल के सदस्यों, विदुषी शुभा मुद्गल तथा डॉ० राम शंकर जी को विशेष धन्यवाद देते हुए किया। तत्पश्चात विद्यार्थियों को गुरु के सानिध्य में कैसे रहा जाए, कैसे सीखा जाए, वहां तक पहुंचने का क्या मार्ग है और उनके निर्देशन में कैसे रियाज करना चाहिए। समर्पण सेवा भाव रियाज़ करने का सही तरीका जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं से अवगत कराया। उन्होंने गला तैयार करने के लिए कैसे अभ्यास किया जाए तान कैसे तैयार की जाए एवं गले के लिए लाभकारी आयुर्वेदिक काढ़े के बारे में भी बताया एवं राग भैरव में रियाज का तरीका बताते हुए बैरागी भैरव में ‘रे सांवरिया हो नहीं आए…‘बंदिश गाकर सत्र का समापन अत्यंत सुंदर ढंग से किया।
यह सत्र विद्यार्थियों के लिए विशेष लाभकारी रहा अंत में रविराज ने आयोजक मंडली को धन्यवाद प्रदान किया। संगीत चिंतक प्रोफेसर मुकेश गर्ग भी पूरे सत्र में रहे और अंत में उन्होंने अपनी बात रखी। कार्यशाला में लगभग 3०० प्रतिभागी ऑनलाइन उपास्थित रहे।