शास्त्रीय संगीत पर आधारित ऑनलाइन सप्त दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में बताई संगीत में सौंदर्य भाव की भूमिका
करिश्मा अग्रवाल
मेरठ। कनोहर लाल स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय मेरठ के संगीत तबला विभाग द्वारा शास्त्रीय संगीत पर आधारित ऑनलाइन सप्त दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के पंचम दिवस का विषय था संगीत एवं सौंदर्य। सत्र का शुभारंभ प्राचार्य किरण प्रदीप की अनुमति से हुआ । कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन डॉ वेणु वनिता ने किया । कार्यक्रम में महाविद्यालय की शिक्षिकाएं देश के विभिन्न प्रदेशों से विद्यार्थी संगीतज्ञ शिक्षक एवं सुधी श्रोता ऑनलाइन जुड़े रहे
सर्वप्रथम डॉ मधुरानी शुक्ला ने बंदिश में सौंदर्य को अपना विषय बनाया और कई बंदिशों को गाकर प्रस्तुत किया तत्पश्चात प्रोफ़ेसर विधि नागर जीने नृत्य में सौंदर्य एक व्यक्तिगत अनुभूति पर प्रदर्शन आत्मक व्याख्यान प्रस्तुत किया पंचम दिवस की प्रथम वक्ता के रूप में अनहद लोक पत्रिका के संपादक डॉ मधुरानी शुक्ला ने बंदिशो के सौंदर्य की चर्चा करते हुए सर्वप्रथम भारतीय शास्त्रीय संगीत में सत्यम शिवम सुंदरम की परिभाषा देते हुए नाद से श्रुति श्रुति से स्वर स्वर से राग रागों के अंतर्निहित आलाप राग आदि की चर्चा करते हुए रागआधारित बंदिशों की विस्तृत चर्चा की आपने लय भाव अलंकार गति शब्द इन सभी के आधार पर आधारित बंदिशों के माध्यम से सौंदर्य के विविध पक्ष को दर्शाया एवं विविध बंदिशों को गाकर बहुत ही सरल ढंग से विद्यार्थियों को समझाया।
पंचम दिवस की दितीय वक्ता के रूप में मंच कला संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से डॉ विधि नागर ने नृत्य में सौंदर्य की अभिव्यक्ति के विभिन्न पहलुओं की चर्चा की सौंदर्य का क्या महत्व क्या है, वह किस प्रकार से किया जाता है कहां-कहां अपेक्षित है कहां-कहां लोग उसे किस प्रकार से ग्रहण करते हैं इसकी चर्चा करते हुए आपने नायक नायिका भेद नृत्य में अभिनय के विभिन्न आयाम आंगिक, वाचिक, अहारिक और सात्विक इन चारों अभिनय के रूपों का भी प्रस्तुतीकरण किया और छोटी-छोटी वीडियो द्वारा उसे बहुत ही सुस्पष्ट किया अंत में प्रो पंकज माला शर्मा चंडीगढ़ एवं प्रोफेसर स्वतंत्र शर्मा ,प्रयागराज ने इस सत्र की समीक्षा करते हुए सभी को आशीर्वचन दिए। कार्यक्रम की तकनीकी सहयोग के लिए दीपक राठी जी ने सक्रियता के साथ निभाया।