राजस्थान सरकार पर संकट और कांग्रेस में खीच-तान, क्या गिरेगी सरकार ? जाने क्या हुआ अभी तक का घटनाक्रम
आदिल अहमद
डेस्क। राजस्थान सरकार पर लगातार संकट के बादल घिरते दिखाई दे रहे है। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले में बयान जारी करते हुवे कहा था कि भाजपा उसके विधायको को खरीदने की कोशिश कर रही है। गहलोत ने भाजपा पर 10-15 करोड़ में एक विधायक खरीदने का आरोप भी लगाया था। इसके बाद से बीते दो दिनों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मतभेद बढ़ने के बाद डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपने नज़दीकी विधायकों के साथ दिल्ली का रुख़ कर लिया है। वही बताया जा रहा है कि सचिन पायलट दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में है।
कुर्सी को लेकर है पुरानी आपसी खीचतान
गौरतलब हो कि मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान पुरानी है। वर्ष 2018 में हुए आम चुनावों में कांग्रेस की जीत के साथ ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने आ गए थे। दोनों के आपसी टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी। विवाद के पीछे मात्र कुर्सी की चाहत थी। जहा कांग्रेस हाई कमान अनुभव को वरीयता देना चाहती थी तो वही सचिन पायलट के साथ के विधायक सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहते थे। कांग्रेस हाईकमान ने अनुभव को तरजीह दिया और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी देने के बाद सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा था।
एसओजी को जो कांग्रेस विधायक दल ने बीजेपी नेताओं द्वारा खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी उस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, चीफ व्हिप एवम अन्य कुछ मंत्री व विधायकों को सामान्य बयान देने के लिए नोटिस आए हैं। कुछ मीडिया द्वारा उसको अलग ढंग से प्रस्तुत करना उचित नहीं है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 12, 2020
इसके अलावा सचिन पायलट को वर्त्तमान समय में कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष का भी पद प्रदान किया गया है। वही उनके पास ग्रामीण विकास विभाग का मंत्री पद भी है। मगर सचिन पायलट को इससे भी संतोष शायद नही था और राजनैतिक महत्वाकांक्षा के कारण आगे की भी सोच रहे थे। वही अनुभव और युवा जोश में आपसी टकराव भी दिखाई देता था। सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच आंतरिक प्रतिद्वंदिता चलती रही है।
इस दरमियान राज्य के स्पेशल आपरेशन ग्रुप यानी एसओजी ने सरकार गिराने की कोशिश के आरोपों की जाँच शुरू कर दिया। इस जांच के दौरान मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री को पूछताछ का नोटिस जारी कर देने के बाद तनाव और भी चरम पर पहुच गया। दरअसल राज्य में कथित हॉर्स ट्रेडिंग (विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त) के प्रयासों की जांच कर रही एसओजी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, पार्टी के चीफ़ व्हिप के अलावा कई मंत्रियों और विधायकों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है।
इस नोटिस के बाद कुछ मीडिया हाउस ने अपनी टीआरपी के खातिर मुद्दे को काफी बाधा चढ़ा कर पेश करना शुरू कर दिया। इस दरमियान मामले को सियासत का रुख दिखाई देने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ट्वीट में कहा है कि ये नोटिस सामान्य बयान देने के लिए आया हैं और मीडिया में इसकी अलग ढंग से व्याख्या की जा रही है।
क्या है विधानसभा की स्थिति
200 विधायकों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं। इनमें बसपा के छह विधायक भी शामिल हैं जो अपनी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं। इसके अलावा प्रदेश के 12-13 स्वतंत्र विधायकों का समर्थन भी गहलोत सरकार को हासिल है। यानी यदि संख्या की बात की जाए तो गहलोत सरकार मज़बूत स्थिति में है। 2018 के चुनावों में बीजेपी ने 73 सीटें जीती थीं। अभी की स्थिति में कांग्रेस गठबंधन के पास बीजेपी के मुक़ाबले 48 विधायक अधिक हैं।
भाजपा के संपर्क में है सचिन पायलट – सूत्र
दूसरी तरफ दिल्ली पहुचे सचिन पायलट सूत्रों का कहना है कि बीजेपी की ओर से कहा गया है कि पहले वह राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार गिराएं। हालांकि बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद देने से इनकार किया है। क्योंकि राज्य में नेतृत्व को लेकर बीजेपी खुद उहापोह की स्थिति में है। वसुंधरा राजे के समर्थन में 45 विधायक हैं। वहीं कांग्रेस आलाकमान ने भी सचिन पायलट से बात की है और सभी मुद्दों को समझाया है। कांग्रेस अशोक गहलोत से भी नाराज है क्योंकि विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में सचिन पायलट को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया है।
दरअसल राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने शनिवार को प्रेस कॉन्फेंस करके कहा था कि उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए विधायकों को लालच दिया जा रहा है। इस दौरान कांग्रेस के सूत्रों की माने तो लॉकडाउन से पहले सचिन पायलट ज्योतिरादित्य सिंधिया से काफी चर्चा कर रहे थे। बीजेपी ने भी राज्यसभा चुनाव के समय राज्य में खेल करने करने की कोशिश की थी लेकिन नाकाम रही थी। लेकिन सचिन पायलट अब पूरी तरह से बड़ा फैसला लेने को तैयार हैं।
राज्यसभा सीट के लिए हुवे मतदान के बाद एसओजी का हुआ था गठन
राज्यसभा की दो सीटों के लिए हुए चुनाव के समय भी लगे थे। जिसकी जांच के लिए सीएम गहलोत ने एसओजी का गठन किया था। एसओजी 3 निर्दलीय विधायकों को पूछताछ के लिए बुलाया। साथ ही 10 जून को उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को भी समन भेज दिया। सचिन पायलट इसके बाद नाराज हो गए और उन्होंने इसको सीएम अशोक गहलोत की चाल बताया। क्योंकि गृहमंत्रालय भी उन्हीं के पास है और एसओजी उन्हीं के अधीन आता है। हालांकि एक समन सीएम को भी एसओजी ने भेजा है लेकिन पायलट समर्थक इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि पायलट को समन भेजकर प्रताड़ित करने की मंशा है।
कांग्रेस है तैयार, नही होगी मध्य प्रदेश जैसी स्थिति
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कल बीजेपी पर आरोप लगाए थे कि राजस्थान की सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पूरे मामले के बारे में बताया जा चुका है। पार्टी के एक सीनियर लीडर ने कहा कि वह इस मसले पर पूरी तरह से तैयार हैं और मध्य प्रदेश जैसी स्थिति दोहराने नहीं देंगे। वहीं सोनिया गांधी ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है।
क्या बोली भाजपा
इस मामले में राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पुनिया का आरोप है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का निशाना तो उनके ही पार्टी के उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट पर है और ये आरोप कांग्रेस की अंदरूनी कलह को दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘झगड़ा उनका है हमारा क्या लेना देना। हम तो कांग्रेस के खेल में दर्शक हैं और वो हमें लांछित कर रहे हैं। एसओजी ने जो नाम उजागर किया है वो खुद ही मना कर रही है तो ये तो सिर्फ लांछित करने का काम हो रहा है।’