फिरौती की रकम 30 लाख भी गई और नहीं मिला बेटा, 6 हिरासत में, एसएसपी ने कहा पकडे गए लोगो ने कबूला 27 जून को ही कर दिया था संजीत की हत्या

आदिल अहमद

कानपुर। विकास दुबे काण्ड के दरमियान एक जघन्य अपराध और पुलिस की बड़ी लापरवाही दब कर रह गई। जब एक बाप का नवजवान एकलौता बेटा अपहरण कर लिया जाता है। अपहरण के बाद आई फिरौती की काल के बाद भी पुलिस नही चेतती है और परिजनों को उलटे फिरौती की रकम दे देने के लिए प्रोत्साहित करती है। वही फिरौती की रकम भी बाप अपना एकलौते जवान बेटे को बचाने के लिए मकान बेच कर इंतज़ाम करता है। शर्म तो शायद कानपुर के पूर्व बर्रा इस्पेक्टर रणजीत राय को तब भी नही आई होगी जब एक बाप ने अपनी बेटी के शादी हेतु रखे गहने तक बेच कर फिरौती की रकम 30 लाख का इनजाम किया। उसके बाद भी इन्स्पेक्टर रणजीत राय ने परिजनों को प्रत्साहित किया कि आप जैसे ही फिरौती की रकम देंगे हम अपहरणकर्ताओं को धर दबोचेगे।

रणजीत राय साहब शायद अपहरणकर्ताओं से लुका छिपी का खेल खेल रहे थे और इस खेल में भी शातिर अपहरणकर्ताओं ने बाज़ी मारी और पुलिस टीम के आँखों के सामने से फिरौती की रकम लेकर फुर्र हो गए और इस्पेक्टर रणजीत राय केवल हाथ मलते रह गए। जीरो पोलिसिंग का अंदाज़ दिखाने वाले राय साहब ने किसी जीपीएस तक का भी इंतज़ाम नहीं लगाया था। किडनैपेर्स पैसे लेकर भाग गए।

इसके बाद परिजनों ने एसएसपी ऑफिस के सामने धरना दे डाला। मामला तब जाकर मीडिया की जानकारी में आया और पुलिस एक्शन मोड़ में आई। रणजीत राय को सस्पेंड कर दिया गया और कानपुर के सुपर काप्स की एक टीम गठित करके मामले के खुलासे के लिए लगाया गया। पुलिस टीम फिरौती देने के दस दिनों बाद अब जब खुलासे के पास पहुची है तो गमो का पहाड़ अपहृत संजीत यादव के परिजनों पर पड़ गया है। ताज़ा मिली जानकारी के अनुसार अपहरणकर्ताओं ने पुलिस से स्वीकार भी किया है कि 26-27 जून की रात को ही उन्होंने संजीत यादव का कत्ल कर दिया था और लाश को पांडू नदी में फेक दिया था। इस सम्बन्ध में देर रात 2 बजे एसएसपी कानपुर के द्वारा वीडियो बयान भी जारी करके इसकी पुष्टि किया गया है। वही पुलिस के हाथ अभी तक संजीत की लाश नही लगी है।

बेटे को बचाने में गई जायदात, फिर भी नही मिला बेटा

बेटे को बचाने के लिए पहले मकान बेच डाला। पुलिस के द्वारा भरोसा दिलाये जाने के बाद उस मकान की बिक्री के मिले पैसो से फिरौती की रकम दे डाली। बहुत भरोसा दिलवाया था पुलिस ने कि फिरौती की रकम देने जा रहे है, हम अपहरणकर्ताओं को पकड़ लेंगे और आपके बेटे को बरामद कर लेंगे। एक बाप ने अपने एकलौते बेटे को बचाने के लिए खुद का मकान तक बेच डाला। किसी तरह तीस लाख फिरौती की रकम इंतज़ाम हुई। जाने कितने अरमानो पर घडो पानी पड़ गया।

इसके बाद आज जब संजीत यादव कांड में पुलिस खुलासे के करीब पहुची तो उसको जानकार हैरानी हुई। जिस संजीत यादव के लिए फिरौती दिया गया था उसको तो पखवारा पहले ही मार दिया गया था। पुलिस ने संजीत के ही छह दोस्तों को हिरासत में लिया है, जिन्होंने पैसों के लिए उसका अपहरण किया था। पुलिस ने अस्पताल में काम करने वाले व कुछ बाहरी दोस्तों को आज बृहस्पतिवार को पकड़ लिया है। वही एसएसपी द्वारा जारी बयान से जानकारी मिली है कि अपहृत संजीत यादव की हत्या हो चुकी है। संजीत की लाश को बरामद करने के लिए एक टीम गाजियाबाद और दूसरी बिंदकी भेजी गई है। अपहर्ता पुलिस से बचने के लिए चार पहिया वाहन से इधर-उधर घूम रहे थे। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार गुरुवार देर रात पुलिस ने संजीत की बाइक, बैग आदि बरामद करने के लिए पांडु नदी में गोताखोर उतरवाए और जाल भी डलवाया लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा।

क्या है पूरा प्रकरण

बर्रा थाना क्षेत्र के बर्रा-5 इलाके के निवासी चमन सिंह यादव के इकलौते बेटा संजीत कुमार (28) का 22 जून की शाम अपहरण हो गया था। दूसरे दिन परिजनों ने पूर्व थाना प्रभारी रणजीत राय से बेटे के लापता होने की तहरीर दी थी। इसके बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी रही। इसके बाद 29 जून की शाम से अपहर्ताओं ने पिता को फोन कर 30 लाख की फिरौती मांगनी शुरू कर दी।

परिजनों की माने तो उन्होंने इसकी जानकारी तत्कालीन थाना प्रभारी रणजीत राय को प्रदान किया। रणजीत राय ने परिजनों को फिरौती की रकम इंतज़ाम करने को कहा और कहा कि फिरौती की रकम देते समय ही अपहरणकर्ताओं को पकड़ लेंगे। इसके बाद परिजनों के अनुसार उन्होंने अपना मकान बेच कर 30 लाख का इंतज़ाम किया। 13 जुलाई की रात पुलिस ने फिरौती की रकम लेकर परिजनों को भेजा। पुलिस की किरकिरी तब हो गई जब अपहर्ता गुजैनी पुल से फिरौती की रकम लेकर फरार हो गए और पुलिस देखती ही रह गई। इस घटना के बाद एसएसपी दिनेश कुमार पी ने इंस्पेक्टर रणजीत राय को निलंबित कर दिया था। इसके बाद एसओजी, सर्विलांस टीम और कई थानों की पुलिस खुलासे में लगाई गईं।

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