लोहता के दरोगा का वायरल वीडियो प्रकरण और तारिक़ आज़मी की मोरबतियाँ – लोहता पुलिस का खेल, दरोगा को बचाने के लिए क्या अब पत्रकारो को झूठे मामले में भेजेगी जेल?

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी के लोहता पुलिस के खेल निराले होते जा रहे है साहब। खुद की कमियों को छुपाने के लिए सच का गला घोटने तक को तैयार लोहता पुलिस अपने कारनामो को छुपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है इसका जीता जागता नमूना देखने को मिल रहा है।

मामला एक वायरल वीडियो का है। वायरल हो रहे वीडियो में लोहता थाने में तैनात दरोगा अवधेश तिवारी को थाना परिसर में खुद का पैर दबवाते दिखाया जा रहा है। किसी पार्टी जैसे माहोल में बने इस वीडियो में एक स्थानीय पत्रकार भी दिखाई दे रहा है। दरोगा जी ने कुछ लोगो को ज़मीन पर बैठा रखा हुआ है और एक व्यक्ति दरोगा जी का पैर दबा रहा है। यदि गौर करे तो वीडियो में एक जगह सिगरेट का आदान प्रदान भी दिखाई दे रहा है। इससे यह कयास भी लगाया जा रहा है कि मौके पर शायद जाम भी रहे होंगे, मगर कही वीडियो में ऐसा दिखाई नहीं दिया है। वायरल हुवे वीडियो में दरोगा जी जमकर ज़मीन पर उकडू बैठे लोगो को गालियों का प्रसाद ग्रहण करवा रहे है। इस वीडियो में एक जगह स्थानीय पत्रकार के साथ दरोगा जी जिन्होंने वर्दी की पैंट तो पहना हुआ है मगर शर्ट नही है के साथ फोटो शूट भी करवा रहे है। फोटो शूट में पत्रकार के सर पर एक टोपी दिखाई दे रही है। वैसे ऐसी टोपी लोग जन्मदिन पार्टी में भी लगाते है और होली के रोज़ भी लगा लेते है।

बहरहाल, वीडियो वायरल होने के बाद इसकी जाँच क्षेत्राधिकारी सदर को दिया गया और उन्होंने जांच शुरू भी कर दिया है। कल ही इस मामले में जाँच करने थाने पहुचे क्षेत्राधिकारी को बयान में दरोगा जी जो वर्त्तमान में कार्यवाहक थानाध्यक्ष भी है के द्वरा कहा गया कि वीडियो होली पर का है। जिसमे पैर दबा रहे नाटे नामक व्यक्ति त्योहारी लेने आया था और पैर दबाने लगा जिसको डांट कर हटाया गया। इस बात की पुष्टि कल थाने पर कुछ स्थानीय पत्रकारों के सामने क्षेत्राधिकारी ने भी किया और कहा ऐसा बयान है। मामले में जाँच किया जा रहा है।

खैर साहब, जाँच है और हम जाँच अधिकारी के ऊपर किसी प्रकार का कोई सवाल नही उठा रहे है। मगर दरोगा जी के बयान को लेकर शंका घर कर गई और ये शंका बलवती तब हो गई जब दरोगा जी ने कल ही अपने चाहने वालो की फ़ौज स्थानीय सोशल मीडिया के ग्रुप लोहता DV में उतार कर खुद का समर्थन शुरू करवा दिया। समर्थको ने पहले तो वीडियो दरोगा जी के आवास का बताया। फिर ये भी कहा कि मसाज करवा रहे थे और नाटे मालिश का काम भी करता है। वैसे ये हकीकत है कि नाटे मालिश का काम करता है। फिर कहा गया कि दरोगा जी के घर पर मालिश करने की जगह नही होगी तो थाने पर करवा रहे थे, जैसे काफी लोग घाट पर मालिश करवाते है।

बहरहाल, हर सवाल का जवाब है। वीडियो पहले दरोगा की के आवास का बताया गया जो देख कर ही सरासर गलत लगता है क्योकि दरोगा जी के ठीक बदल में एक और दरोगा जी लेटे आराम कर रहे है और ज़मीन पर कुछ लोग उकडू बैठे हुवे है जैसे मुजरिम हो। क्या दरोगा जी ऐसे लोगो को अपने घर पर बैठा कर स्वागत करते है। दूसरा नाटे मालिश करता है तो ये सही है कि नाटे मालिश “भी” करता है। मगर एक लम्बे अरसे से नाटे का अधिकतर समय थाने पर ही व्यतीत होता है और नाटे इसका फायदा भी कुछ न कुछ उठाता होगा। इस नाटे को अक्सर ही पुलिस के साथ रात दिन क्षेत्र भ्रमण करते देखा जाता है जबकि ये न तो मुखबिर है और न ही क्षेत्र में इसकी कोई सुनता है. फिर क्यों इसको दरोगा अवधेश ने अपने आसपास रख रखा है इसका जवाब कम से कम हमारे पास तो नहीं है।

इस पुरे मामले में एक वक्तव्य जो सबसे अधिक रोचक था वह ये है कि दरोगा जी के घर पर मालिश की जगह नही है तो थाने पर करवा लिया और कोई गुनाह नही है क्योकि काफी लोग तो घाट किनारे भी मालिश करवाते है। जब यहाँ बात ऐसी है तो काफी लोग देश के खुले में शौच भी करते है भाई फिर उनके लिए हिकारत क्यों ? और फिर क्यों सरकार इतने पैसे खर्च करके लोगो के घरो में शौचालय बनवा रही है। आप इस जवाब पर तीन चार बार हां हां हां करके हंस सकते है क्योकि जोक बढ़िया था।

खैर, मामले में दरोगा जी के साथ थाने के अन्य उनके साथी दरोगा भी दे रहे है। दबाव की सियासत भी शुरू है। सूत्र बताते है कि नाटे को ये कहकर दबाया जा रहा है कि मामले में लोग तुमको जेल भेज देंगे और तुम फंस जाओगे। जबकि हकीकत में नाटे क्यों फंसेगा इस सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है। गरीब आदमी है उससे आप कहेगे कि चौराहे पर पैर दबाओ तो वो दबाने लगेगा। अब ये खुद का पैर दबवा रहे लोगो को सोचना है कि उनकी मान और प्रतिष्ठा क्या है ? सूत्र बताते है कि नाटे को विधिवत समझा दिया गया है कि उसको बयान में क्या कहना है। और वह आज नही कल बयान में यही कहेगा कि त्योहारी लेने गया था साहब………..।

वीडियो के सम्बन्ध में जब पत्रकार से पूछा गया तो उसने वीडियो की सत्यता बताई और कहा कि ये सच है कि वीडियो होली पर किसी ने बनाया होगा मगर वीडियो थाने का ही है। नाटे बेशक मसाज का काम करता है और वह उस समय मसाज ही कर रहा था। बकिया अधिक जानकारी मुझे नही है। वीडियो मेरे द्वारा नही बनाया गया है। मौके पर किसी विवाद से सम्बंधित कुछ लोग आये थे जिनसे पूछताछ चल रही थी। पत्रकार ने बताया कि होली की बधाई देने के बाद दरोगा अवधेश तिवारी ने अपने पास बैठा लिया और एक फोटो खीच गया। इससे ज्यादा कुछ जानकारी नही है क्योकि उसके तुरंत बाद ही मैं वापस आ गया था। वही थाने से सम्बन्धित एक सूत्र ने हमको बताया कि उस दिन क्षेत्र के एक ग्राम सभा के प्रधान से मारपीट के मामले में चार लोगो को थाने लाया गया था जिनका शांति भंग में बाद में चालान किया गया था। ज़मीन पर बैठे ये वही लोग थे। जानकारी ये भी मिली है कि इनमे से एक भिटारी गाव का रहने वाला था. वीडियो में दरोगा जी एक अभियुक्त (?) को वहा बैठे लोगो का पैर छूने के लिए भी कहते है। क्या दरोगा जी ज़बरदस्ती पैर किसी का छुलवा कर किसी की भावनाओं से खिलवाड़ करना चाहते थे। वायरल वीडियो के एक हिस्से में दरोगा जी एक को कहते है कि मैं तुम्हारी गा***मा**** (एक अश्लील शब्द) दूंगा। अब ये तो दरोगा जी अथवा वीडियो में दिखाई दे रहा वो इन्सान ही बता सकता है कि दरोगा जी ने जो कहा तो किया या फिर नही।

लोहता डीवी ग्रुप बना सियासत का अखाडा, सच की दबाई जाती है आवाज़

प्रकरण में लोहता के व्हाट्सएप ग्रुप में सियासत का अखाडा बन गया। वीडियो वायरल करने वाले पत्रकार पर ही सवालो की बौछार होने लगी। दरोगा अवधेश तिवारी के समर्थको ने तत्काल मोर्चा संभाला और दरोगा जी की जयकारा होने लगा। सच बोल देने वाले पत्रकारों को तत्काल ग्रुप से हटा दिया गया। शायद सच का गला दबाने की लोहता पुलिस की विशेष कार्यशैली रही हो। हटाने वाले भी एक दरोगा जी ही है जिन्होंने अनैतिक बातो के प्रतिबन्ध को बताते हुवे ग्रुप से हटा डाला। ऐसा लगा जैसे साहब कहना चाहते है कि अब आप ग्रुप से प्रतिबंधित हो गए तो आपकी पत्रकारिता और आजीविका चली गई हो। जबकि उसी ग्रुप में सत्ता पक्ष के लोगो द्वारा जयकारा किया जाता है। खुद के प्रचार प्रसार के लिए पदाधिकारियों के साथ अपना फोटो डालकर खुद की बड़ी पहचान बताने जैसे पोस्ट शायद ग्रुप से सच की आवाज़ को दबाने वाले दरोगा जी को दिखाई न दे क्योकि सत्ता पक्ष की बात है साहब।

उसी ग्रुप में लंका थाना क्षेत्र के सुन्दरपुर का काण्ड के बाद हुई कार्यवाही के बाद पुलिस के खिलाफ और सत्ता के पक्ष में जयकारा शुरू हुआ तो वो शायद दरोगा जी को दिखाई देने से रह गया होगा। जबकि कार्यवाही झेलने वाले सभी दरोगा उनके खुद के बैच मेट है। मगर उनको शायद यह सब सम्मानजनक लग रहा होगा। समझ तो हम भी सकते है कि आखिर दरोगा अवधेश तिवारी के कहने पर ही ऐसा हुआ होगा। दरोगा दरोगा भाई भाई के साथ सच बोलने वाले का गला दबाया जाना कोई नई बात नही है। इसी प्रकार चंद रोज़ पहले ही एक व्यक्ति ने लोहता थाना क्षेत्र में हो रही चोरियों और पुलिस के खाली हाथ के समबन्ध में एक पोस्ट डाली तो यही सुभाष दरोगा जी ने उसको भी समूह से निकाल डाला था। आखिर कैसे उसकी मजाल हुई जो पुलिस के खाली हाथ और लगातार बढती चोरियों के प्रकरण को दर्शा दिया।

सवाल तो एक ही है कि आखिर कब तक इस तरीके से लोहता पुलिस सच की आवाज़ को दबाती रहेगी। आखिर कब तक पत्रकारों को अपने गुलामी में लेने की कोशिश चलती रहेगी। क्या सच कभी सामने आएगा या फिर ऐसे ही होता है। चलता है के तर्ज पर थाना लोहता काम करता रहेगा। हम भी जयकारा कर दे भाई वरना क्या पता अवधेश दरोगा जी कुछ नही तो मेरे ही गाडी का 20-25 हज़ार का चालान काट दे। भाई डर लगता है। इसीलिए लोहता पुलिस की जय………… खास तौर पर दरोगा सुभाष और दरोगा अवधेश तिवारी की जय, जय. जय……….. (नोट :- हम वायरल वीडियो के सत्यता को प्रमाणित नही करते है, वायरल वीडियो फारवर्ड एज रिसीव के अनुसार है)

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