गुना की ये तस्वीर अगर आपको अन्दर तक न हिला दे तो फिर आपकी इंसानियत मर चुकी है
साभार – रविश कुमार के फेसबुक पेज से
गुना की यह तस्वीर, बच्चों की गोद में बाप की नहीं हैं ,भारत की मरी हुई आत्मा और जनता की है . गुना के कलेक्टर और एसएसपी को डिसमिस कर देना चाहिए। ये बीमारी ऐसे ठीक नहीं होगी। सदियों से घुसी हुई है और आज़ादी के बाद भी बढ़ती जा रही है। ये अफ़सर कुर्सी पर जाकर करते क्या हैं? क्यों नहीं तंत्र को सत्ता के ग़ुरूर से मुक्त करते हैं, वहाँ पहुँच कर भी इसकी सेवा उठाने लगते हैं। इसलिए इन दोनों अफ़सरों को नौकरी से निकालने की माँग करनी चाहिए। कोई तबादला नहीं कोई निलंबन नहीं। सीधे बर्खास्त करना चाहिए दोनों को। वैसे भी लोगों को फ़र्ज़ी केस में फँसाने के अलावा इनका कोई काम तो होता नहीं। तबादला धोखा है। इन्हें बर्खास्त करना चाहिए। इन अफ़सरों को शर्म भी नहीं आती होगी। न आएगी।
गुना का यह वीडियो और तस्वीर देखिए। पुलिस की मार खाने और कीटनाशक दवा पी लेने के बाद अपने पिता को गोद में लेकर चीखते बच्चों से आपकी आत्मा नहीं परेशान होती है तो आप इस लोकतंत्र के मरे हुए नागरिक हैं। आप एक लाश है। वैसे मुर्दा कहने और कहलाने से भी आपको फ़र्क़ नहीं पड़ता। राम कुमार अहिरवार और सावित्री देवी ने तीन लाख का लोन लेकर एक खेत में फसल उगाई। जब फसल बोई गई और उगाई गई तब क्या किसी ने नहीं देखा? इनके साथ किसी ने सरकारी ज़मीन बताकर धोखा किया तो कार्रवाई उस पर होनी थी या इन गरीब पर? कोई दूसरा रास्ता नहीं था हटाने का? हर काम बर्बरता से ही क्यों?
खड़ी फसल पर जेसीबी मशीन चलाई गई। राम कुमार ने रोका तो नहीं माने। कीटनाशक पी ली। बचाने के लिए राम के भाई आगे आए तो पुलिस लाठियाँ मारने लगी। उनके बच्चे अपने पिता को गोद में लेकर बिलख रहे हैं। इन बच्चों को भी गालियाँ दी गई हैं। राम कुमार और सावित्री देवी ज़िंदा हैं। दोनों को पुलिस ने बुरी तरह मारा है। प्रियंका दुबे ने लिखा है कि पुलिस ने महिला के कपड़े फाड़ने की भी कोशिश की है।
यह भी जानकारी है कि जिस भू माफिया ने इन्हें ज़मीन किराये पर दी थी वो भी अनुसूचित जाति का है। तो उस पर सीधे कार्रवाई नहीं होनी थी? प्रशासन क्या कर रहा था जब वह किसी गरीब से पैसे लेकर सरकारी ज़मीन किराए पर दे रहा था? आप कैसा सिस्टम चाहते हैं? ऐसा कि किसी को फँसा दो, किसी के साथ ये इंसाफ़ करो ? क्या भारत इस तरह का विश्व गुरु बनेगा? और ये विश्व गुरु होता क्या है? एक थाना इस देश में बेहतर तरीक़े से नहीं चलता है। शर्म आनी चाहिए कि आप ख़ुद को जनता कहते हैं। शर्म आनी चाहिए। शर्म आनी चाहिए।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : – लेखक रविश कुमार एक प्रसिद्ध पत्रकार है और मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित है. लेख में लिखे विचार लेखक रविश कुमार के खुद के विचार। जिसको उनके फेसबुक पेज से कापी किया गया है. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति PNN24 न्यूज़ उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार PNN24 न्यूज़ के नहीं हैं, तथा PNN24 न्यूज़ उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।