वह वाराणसी जेल से था फरार, उसके आतंक का था बोलबाला, हुई पुलिस से मुठभेड़ तो हो गया ढेर, जाने दीपक का अपराधिक इतिहास और पढ़े कैसे बालिग़ से अचानक बन गया था दीपक नाबालिक
तारिक़ आज़मी
मिर्ज़ापुर। एक नहीं वह तीन जिलो का इनामिया अपराधी था। उसके ऊपर एक नहीं बल्कि तीन तीन जिले की पुलिस ने इनाम घोषित कर रखा था। आतंक का पर्याय बन चूका था। शायद उसके आतंक का ही माहोल था कि पुलिस चेकिंग के दौरान रोके जाने पर पुलिस टीम पर सीधे कई राउंड फायर झोक दिया था। आखिर पुलिस ने खुद के असलहे निकाले तो आतंक मुह के बल औंधा गिर पड़ा और आतंक का खात्मा हो गया।
पूर्वांचल के भदोही जिले में देर रात दो बदमाशों और पुलिस की मुठभेड़ में एक बदमाश ढेर हो गया, जबकि दो जवान घायल हो गए। घायल पुलिसकर्मियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भदोही के एसपी रामबदन सिंह के अनुसार भदोही जिले के सुरियावां निवासी दीपक उर्फ रवि पुत्र छोटेलाल बदमाश पर 50,000 हजार रुपये का इनाम घोषित था। आरोपी वाराणसी की जेल से फरार था। इस पर भदोही जिले में 25,000 रुपये, अंबेडकरनगर में 15,000 रूपये और वाराणसी जिले में 10,000 रूपये का इनाम घोषित था।
उन्होंने बताया कि सोमवार की देर रात लगभग 1:30 बजे जब थानाध्यक्ष सुरियावां व स्वाट प्रभारी चेकिंग में थे तो चकिया तिराहे पर दो अज्ञात व्यक्ति मोटरसाइकिल से आते दिखाई दिए। जब उन्हें रोकने के लिए कहा गया तो बदमाशों ने पुलिस पर ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इसमें स्वाट टीम के कांस्टेबल सचिन झा के बुलट प्रूफ जैकेट में गोली लगी और स्वाट प्रभारी अजय सिंह के पैर में गोली लग कर पार हो गई। पुलिस द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में एक बदमाश मारा गया और दूसरा फायर करता हुआ भाग गया। भागे हुए बदमाश की पुलिस तलाश जारी है। मृतक बदमाश को घायल अवस्था में सीएचसी सुरियावां व स्वाट प्रभारी अजय सिंह को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है। सीएचसी में घायल बदमाश को मृत घोषित कर दिया गया और स्वाट प्रभारी अजय को इलाज हेतु जिला अस्पताल रेफर किया गया।
दर्ज है दीपक पर एक दर्जन से अधिक मामले
दीपक गुप्ता कई वारदातों में आरोपी था। उस पर भदोही, वाराणसी और अंबेडकरनगर जिलों में कुल 14 आपराधिक मामले दर्ज थे। इनमें से आठ मामले भदोही जिले में दर्ज थे। 2012 में भदोही के सुरियावां के ही एक अधिवक्ता की हत्या में भी वह वांछित था। बदमाश अपने जमीनी विवाद में अधिवक्ता और विपक्षियों के दखल को बर्दाश्त नहीं करता था। उस दौरान जमीनी विवाद को लेकर दीपक ने अधिवक्ता की हत्या कर दी थी। उसकी लाश सुरियावां रेलवे स्टेशन के पास एक कुएं से बरामद हुई थी। इसके अलावा अन्य मामलों में भी वह आरोपी था। पुलिस उसकी पूरी आपराधिक कुंडली खंगाल रही है।
वाराणसी में भी दर्ज है दीपक पर चार मुक़दमे
दीपक झुन्ना पंडित गैंग के साथ जुड़ने के बाद से ज़मीन के कारोबार में मलाई काट रहा था। विवादित संपत्ति खरीदने के बाद उसके विवाद को अपने नाम पर हल करवाने के बाद उसको बेच कर तगड़ी मलाई खाने का दीपक कारोबारी हो चूका था। उसके ऊपर 2010 में लूट का एक मुकदमा जीआरपी कैंट थाने में, 2010 में एनडीपीएस एक्ट के तहत एक मुकदमा कैंट थाने में और 2010 में ही गैंगेस्टर एक्ट के तहत एक मुकदमा कैंट थाने में दर्ज किया गया था। इसके अलावा बाल सुधार गृह से भागने के आरोप में 2014 में एक मुकदमा रामनगर थाने में दर्ज किया गया था।
झुन्ना पंडित जैसे अपराधी का था करीबी
इसके बाद दीपक पुलिस के लिए एक अबूझ पहेली बन गया था। दीपक झुन्ना के करीबी कुछ ग्राम प्रधानों की मदद से अपने छोटे भाई के साथ वाराणसी के सारनाथ, ललपुर और हरहुआ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद-बिक्री का काम कराता था। जानकारी से मिली सूचनाओं को आधार माने तो दीपक इस कदर का शातिर था कि मोबाइल का बेहद कम इस्तेमाल करता था और आमने-सामने की बातचीत में ही भरोसा रखता था।
दलील की पेंच और अपराधी के खेल की दिलचस्प कहानी है दीपक के अपराधिक कुंडली में
दीपक कैंट थाने के गैंगेस्टर एक्ट में निरुद्ध होने के बाद से चौकाघाट स्थित जिला जेल में बंद था। जमानत पर छूट कर वह बाहर आया। इसके बाद भदोही जिले के हत्या और गैंगेस्टर एक्ट के एक मामले में वह दोबारा जिला जेल में बंद किया गया। इन दोनों मामलों में जिला जेल में 18 माह रहने के बाद अचानक उसके अधिवक्ता उसकी कक्षा पांच की मार्कशीट न जाने शायद यमलोक से लेकर आ गए और उन्होंने अदालत में दलील रखी कि दीपक नाबालिग है और उसको बाल अपचारी घोषित किया जाना चाहिये। इस दलील को अदालत ने माना और दीपक को अपचारी किशोर घोषित करते हुए रामनगर स्थित बाल सुधार गृह में रखने का आदेश दिया।
जिसके बाद दीपक उर्फ रवि 25 मई 2014 की रात रामनगर स्थित राजकीय बाल सुधार गृह के कर्मचारियों को चकमा देकर फरार हो गया। जानकर बताते है कि दीपक को फरार करवाने के गरज से ही उसको बाल अपचारी घोषित करवाया गया था। इस प्रकरण में अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ इसी दीपक का था अथवा कोई और दीपक का था। क्या दस्तावेज़ प्रमाणित हुआ था अथवा नही हुआ था, इसकी जानकारी उपलब्ध नही हो पा रही है। मगर सूत्रों की माने तो यह मात्र एक षड़यंत्र के तहत किया गया था कि दीपक को जेल से फरार करवाया जा सके।