बांदा के जिलाधिकारी से ऊपर है जिला सुचना विभाग में तैनात महिला बाबू
जीशन अली
बांदा। बाँदा जिला सुचना अधिकारी कार्यालय में तैनात महिला क्लर्क का पावर शायद जिले के मुखिया जिलाधिकारी से भी अधिक है। उनको बिना देखे ही मालूम चल जाता है कि कौन असली पत्रकार है और पत्रकार के नाम पर केवल एक कलंक है। कभी कभी तो उनकी बातो से ऐसा प्रतीत होता है कि वह क्लर्क नही बल्कि एक भविष्यवक्ता है। मैडम के नाक पर गुस्सा रहता है और तुरंत पुलिस को बुला कर झूठे आरोपों में जेल भेजने की धमकी भी रहती है।
हुआ कुछ इस तरह की आज दो पत्रकार अपने नवनियुक्त पद हेतु नियुक्ति पत्र देने के लिए जिला सुचना कार्यालय में जाने की गलती कर बैठे। आखिर कैसे जा सकते है वो लोग इस बात को उनको सोचना चाहिए थे। क्योकि मैडम वहा का सारा काम देखती है। खुद जिला सुचना अधिकारी के कुर्सी पर बैठ कर खुद को जिला सुचना अधिकारी से कम थोड़ी समझती है वो। बहरहाल, नियुक्ति पत्र देने गए दोनों पत्रकारों को पहले तो लगभग आधे घंटे इंतज़ार करना पड़ा क्योकि मैडम स्वयं कार्यालय में उपस्थित नही थी।
आधे घंटे बाद मैडम के चरण कार्यालय में आये और उन्होंने नियुक्ति पत्र को देखकर कहा कि इसको पूरा प्रिंटेड लेकर आओ। प्रिंटेड नियुक्ति पत्र में संस्थान के मुहर और सिग्नेचर के बाद भी मैडम को नियुक्ति पत्र पूरा प्रिंटेड चाहिए था। अब समझ नही आ रहा था दोनों पत्रकारों को कि हस्ताक्षर तक कैसे प्रिंटेड हो सकता है। फिर क्या था पेशे से पत्रकारों के अन्दर का पत्रकार जाग उठा और उन्होंने मैडम से सवालों पर सवाल दाग डालने की जुर्रत कर डाली।
इससे नाराज़ मैडम ने तुरंत पुलिस को बुलाकर झूठे आरोपों में अन्दर करवाने की धमकी तक दे डाली। यहाँ तक मैडम ने बोल डाला कि डीएम कहे चाहे कोई भी कहे नियुक्ति पत्र जमा नही होगा। पत्रकारों को खुद के सामने कुछ नही होने की दलील भी मैडम ने जी भर कर दे डाली। कार्यालय में वैसे तो जिला सुचना अधिकारी रहते नही है तो उनसे बात करके समस्या का समाधान करना दूर की खीर नज़र आ रही थी।
वैसे मैडम खुद तो एक क्लर्क है मगर रुतबा उनका जिला सुचना अधिकारी से कम एकदम नही है। मैडम से बोलना और खुद के सर आफत मोल लेना एक बराबर है। फिर मरता क्या न करता। दोनों पत्रकारों ने अपना नियुक्ति पत्र उठाया और लेकर वापस जिलाधिकारी कार्यालय को चल दिए। मैडम का रुतबा देख कर तो कोई भी खौफज़दा हो जायेगा भाई। …… जारी………