कांग्रेस पार्षद मोहम्मद सलीम ने उठाई मांग, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के आवास पर बने संग्राहलय
अहमद शेख
वाराणसी। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का वो हुजरा जहा तमाम उम्र उन्होंने रियाज़ किया, इबादत किया, और संगीत साधना किया, अपने वतन की मुहब्बत के खातिर और उस हुजरे से अपनी उन्सियत के वजह से उन्होंने अमेरिकन नागरिकता के न्योते को ठुकरा दिया। आज उन्ही उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब के उसी हुजरे को अपने व्यक्तिगत आर्थिक मुनाफे की खातिर तोडा जान एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। उस्ताद के उस मकान पर संग्राहलय बनना चाहिये और उस संग्राहलय में उस्ताद से जुडी हर एक चीज़ होनी चाहिए।
ये बात वार्ड 65 बेनिया के पार्षद और कांग्रेस नेता मोहम्मद सलीम ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की पुण्य तिथि के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खान पुरे भारत की शान है। जिनकी शहनाई की धुन ने आज़ाद भारत की खुशिया बयान किया। जिन्होंने हमेशा बनारस से वो मुहब्बत किया जिसकी मिसाल नही मिल सकती है। मुहर्रम पर उनकी मातमी धुन सुन कर आँखे गम-ए-हुसैन से छलक पड़ती थी। आज उनकी पुण्य तिथि पर क्षेत्र की जनता देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तरफ इस उम्मीद की नज़र किये है कि वो उस्ताद की वरासत और उनकी यादो को सजोने के लिये इस स्थान पर संग्राहलय बनवाने का आदेश दे दे।
उन्होंने कहा कि आज एक नहीं तीन तीन गम है। आज से ही मुहर्रम का महिना शुरू है। हमको गम-ए-हुसैन है तो आज उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब हम लोगो से जुदा होकर इस दुनिया से रुखसत कर गए थे। वही तीसरा गम आज ये है कि कुछ लोग सिर्फ अपने मुनाफे के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की यादो को ज़मिदोज़ करके खुद के अरमानो का महल खड़ा करना चाहते है। हम कैसे और किस मुह से आज उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब को श्रधान्जली दे। जिला प्रशासन को जल्द से जल्द यहाँ संग्राहलय का निर्माण शुरू करवा देना चाहिए।
आज उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की पुण्य तिथि पर पार्षद तथा कांग्रेस नेता मोहम्मद सलीम और दालमंडी व्यापार मंडल के लोगो ने धार्मिक रीति रिवाज के तहत गरीब बेसहारा लोगो को खाना खिलाया गया। वही इस प्रकरण में स्थानीय समाज सेवक नुरुज्ज़मा उर्फ़ विक्की ने हमसे बात करते हुवे कहा कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खान बनारस की शान थे, है और रहेगे। अगर कभी शहनाई का ज़िक्र आएगा तो पहले नाम बिस्मिल्लाह साहब का लिया जायेगा। उन्होंने जिस कमरे में ताउम्र रियाज़ किया, इबादत किया आज उनके ही वरसा चंद सिक्को की लालच में उसको तोड़ रहे है। शायद ये सबसे अधिक शर्म की बात होगी।
हमसे बात करते हुवे विक्की ने बताया कि हमारे वालिद से बिस्मिल्लाह साहब के काफी करीबी ताल्लुकात थे। हमने अपने वालिद की ज़बानी भी सुना है कि बिस्मिल्लाह साहब खुद एक परिवार को ही नही बल्कि अपने पुरे कुनबे को समेट कर चलते थे। खुद की औलादों को जितनी मुहब्बत करते थे उतनी ही अपने भाइयो और चचेरे भाइयो के बच्चो को मुहब्बत करते थे। वो ऐसे थे कि पुरे मोहल्ले के लोगो से उनको मुहब्बत थी। आज उनके कमरे पर गडी बिल्डरों की काली नज़र पुरे इलाके के लोगो को तकलीफ दे रही है। सरकार को जल्द से जल्द इस जगह को अपने कब्ज़े में लेकर संग्राहलय बनाना चाहिये।