वाराणसी – क्या रिलायंस लाइफ इन्शुरेन्स का सिगरा स्थित यह कार्यालय महामारी अधिनियम में विशेष छूट पाया है? कोरोना पॉजिटिव मिले मैनेजर मगर नही हुआ आफिस सील
तारिक़ आज़मी
वाराणसी। प्राइवेट नौकरी जैसे टुल्लू लगा कर खून चूस लेना। वैसे ये कहावत हमेशा एक मज़ाक में कही जाती है। मगर बनारस के रिलायंस लाइफ इन्शुरन्स के सिगरा स्थित इस कार्यालय पर यह मज़ाक नही बल्कि हकीकत में लागू हो रही है। यहाँ के तैनात अधिकारी महोदय खुद के टारगेट के लिए इस कदर अति उत्साहित हो चुके है कि महामारी अधिनियम के कानून को भी ताख पर रख कर पुरे शहर को कोरोना संकट में डालने की कोशिश कर बैठे है। इस कंपनी में तैनात विध्यवासिनी नगर कालोनी निवासी रीजनल मैनेजर के कोरोना पॉजिटिव आने के बावजूद भी यहाँ के बड़े साहब ने आफिस सील नही करवाया बल्कि अगले ही वर्किंग डे पर अपने कर्मचारियों की मीटिंग बुलाई और कारोबार लाने के लिए जमकर प्रेशर बना कर उनको फिल्ड में पब्लिक डीलिंग तक के लिए रवाना कर दिया है।
प्रकरण कुछ इस प्रकार का है कि वाराणसी के सिगरा थाना क्षेत्र में स्थित टीवीएस शो रूम वाली बिल्डिंग में स्थित रिलायंस लाइफ इन्शुरन्स के कार्यालय में तैनात रीजनल मैनेजर की कोरोना रिपोर्ट पिछले सप्ताह पॉजिटिव आई थी। इसकी पुष्टि खुद रीजनल मैनेजर ने हमसे फोन पर बात करके किया था। उनकी जाँच वाले दिन मैनेजर साहब खुद कार्यालय रोज़ की तरह गए थे। सूत्रों की माने तो उन्होंने अपने अधिनस्थो की एक बैठक भी लिया था। मगर कांटेक्ट ट्रेसिंग में मामले को दबाने के लिए उन्होंने इस बैठक का ज़िक्र तक नही किया था।
बहरहाल, कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के उपरांत मैनेजर साहब तो खुद का स्वास्थय लाभ ले रहे है मगर उनके स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने वाले साहब भी कमाल के निकले। नियमो के अनुसार कार्यालय सील करके उसको सेनेट्राईज किया जाता है। मगर साहब के लिए महामारी अधिनियम कोई मायने ही नहीं रखता है और साहब ने कार्यालय अगले कार्य दिवस में ही खोल कर सभी अधिनस्थो की एक बैठक फिर से बुलवा लिया। प्राइवेट नौकरी और पापी पेट के सवाल पर नौकरी जाने का खतरा और सभी कर्मचारी बैठक में गये भी। रोज़ ही कार्यालय अपने निश्चित समय पर खुलता है। सभी कर्मी आते है। अधिनयम ताख पर रखकर कोई सेनेट्राइज़ नही हुआ और न ही कार्यालय अथवा बिल्डिंग सील हुई। इस कार्यालय के आने जाने वाले सभी कर्मचारी इस महामारी कोरोना के प्रचारक बनने की स्थिति में जा चुके है।
यही नही इन सबके बाद भी साहब का दबाव और कर्मी रोज़ ही न जाने कितने लोगो ने मिलकर उनको पालिसी समझाते है। खुद सोचे अगर इस संक्रमण का शिकार एक भी कर्मी हुआ है तो फिर वह कोरोना का वाहक बनकर शहर में कहा कहा कोरोना फैला सकता है। मगर साहब को तो कंपनी द्वारा नियत टारगेट पूरा करना है। कोई बीमार पड़े उनकी बला से। अम्बानी ग्रुप का नाम ही काफी है भला कौन आएगा बोलने के लिए। वही पुलिस प्रशासन को इसकी जानकारी न देकर पॉजिटिव आये रीजनल मैनेजर साहब ने खुद भी अपराध कर दिया है। अब देखना होगा कि वाराणसी प्रशासन क्या इस कार्यालय और इसके अधिकारियो पर कार्यवाही करेगा या फिर अम्बानी ग्रुप के नाम से ही छोड़ा जायेगा। शायद पिक्चर अभी बाकी है।