राष्ट्रीय चमार संघ के अध्यक्ष लालू राम मिर्धा द्वारा ज्ञापन के माध्यम से किया गया मुख्यमंत्री से सात सूत्रीय मांग
प्रमोद कुमार
राष्ट्रीय चमार संघ (गैर राजनैतिक संगठन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू राम मिर्धा द्वारा एक ज्ञापन के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को अवगत करवाते हुवे सात सूत्रीय मांग किया गया है. जिसमे उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश की पिछड़ी जातियां जैसे गोड़, तुरहा, कमकर, गड़ेरिया, सोनार, कूटरचित कागज लगा कर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर गांव व शहर में सवर्ण, पिछड़ी और अल्पसंख्यक जाति के लोगों को झूठे मुकदमे में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अधिनियम का दूरूपयोग कर फर्जी एफआईआर कर फसाने का कार्य करती है।
कहा कि आप की मशीनरी ने समय समय पर इन जातियों के बारे में कार्यवाही की है जैसे भारत निर्वाचन आयोग ने विधिवत उक्त जातियों का ब्योरा दिया है किस जगह व किस जिले में कितनी संख्या में है। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति जाति आयोग के अध्यक्ष ने उक्त जातियों को अति शीघ्र अनुसूचित जाति से हटाने की कार्यवाही किया और सरकार के विशेष सचिव अरविंद कुमार चौहान के दिशा निर्देश के अनुसार उपरोक्त जातियों का प्रमाणपत्र रद्द करने का निर्देश दिया जब की उत्तर प्रदेश के माननीय हाईकोर्ट तथा देश की सुप्रीम कोर्ट ने उक्त जातियों को पिछड़ी जातियों में माना है।
उत्तर प्रदेश की समय समय की सरकारों ने जैसे बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, भारती जनता पार्टी,15 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति में रखने का प्रस्ताव कैबिनेट में पास करा कर केन्द्र सरकार के पास भेजा था जिसे केन्द्र सरकार ने नहीं माना और वापस कर दिया था। जिसमें उक्त जातियां भी पिछड़ी जाति की सूची में अंकित थी तो यह जातियां अनुसूचित जाति कैसे हो गई
ज्ञापन में कहा गया है कि यह 15 जातियां भूल से भी अगर अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति में शामिल हो गई तो भारत में कोई भी अल्पसंख्यक, सवर्ण और पिछड़ी जातियां इस अधिनियम से बच नहीं पायेगीं तब समाज का क्या हाल होगा, प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने वाला है जिसके मद्देनजर उक्त जातियां स्थानीय नेताओं के माध्यम से लेखपालों पर दबाव बनाकर कूटरचित कागज लगा कर प्रमाण पत्र बनवाने का कार्य करेंगे।