पीएसी के कब्जे से श्रम हितकारी केंद्र को मुक्त कराने के लिए डीएलसी को सौंपा ज्ञापन
तारिक़ खान
प्रयागराज. इंडस्ट्रीयल लेबर कालोनी नैनी के वेलफेयर सेंटर को पीएसी के कब्जे से मुक्त कराने के लिए श्रमिक बस्ती कल्याण समिति ने गुरुवार को डिप्टी लेबर कमिश्नर प्रयागराज परिक्षेत्र राकेश द्विवेदी से मिलकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कालोनी की अन्य समस्याओं का भी उल्लेख करते हुए निदान की मांग की गई। समिति के अध्यक्ष शिवशंकर दीक्षित और सचिव विनय मिश्रा की अगुवाई में बस्ती के लोगों ने यह ज्ञापन सौंपा। जिस पर गंभीरता से अवलोकन कर समस्या के निदान का भरोसा डीएलसी ने दिलाया है।
कालोनी के वेलफेयर सेंटर में वर्तमान में 42वीं वाहिनी पीएसी ने कब्जा जमाया हुआ है। जबकि श्रम विभाग से पत्राचार कर पीएसी के रंगरूट जवानों के लिए अस्थाई तौर पर 25 दिन के लिए रहने की व्यवस्था इसमें कराए जाने का सहायक श्रमायुक्त गौतम गिरि से 42वीं वाहिनी के सेनानायक ने आग्रह किया था। जिसपर 31 जुलाई 20 से 25 दिन के लिए वेलफेयर सेंटर को नये आरक्षियों के लिए अस्थाई तौर पर दिया गया था। एक माह से ऊपर हो चुके हैं लेकिन सेंटर पर पीएसी का कब्जा जमा हुआ है।
यही नहीं सेंटर के प्रवेश द्वार को भी टीन शेड लगाकर पूरी तरह बंद कर दिया गया है। आरोप है कि जवानों के आने जाने के लिए सेंटर की चहारदीवारी तोड़कर अवैध रूप से रास्ता बना दिया गया है। जबसे पीएसी का कब्जा सेंटर पर हुआ है तब से इसके कम्पाउंड में मौजूद गृह निरीक्षक का कार्यालय भी नहीं खुल रहा है। जिससे कालोनी निवासी क्वार्टर का किराया भी नहीं जमा कर सकते। इस बीच लोक निर्माण विभाग की तरफ से दो सितम्बर को एक टेण्डर निकाल कर कालोनी में डीएलसी की जमीन पर दो सौ जवानों के लिए बैरक निर्माण कार्य की निविदा आमंत्रित की गई है। इसे लेकर कालोनी निवासी श्रमिकों में आक्रोश व्याप्त है।
श्रमिक बस्ती के निवासियों ने आशंका जताई है कि पीएसी गैर कानूनी रूप में कालोनी में कब्जा की कोशिश कर रही है। पीएसी के जवान भी कालोनी की सड़कों पर लाठी लेकर टहलते दिखते हैं जिससे श्रमिकों में रोष है। डीएलसी से मांग की गई है कि वेलफेयर सेंटर और कालोनी से पीएसी का अवैध कब्जा हटाया जाए। गौर करने की बात है कि 42वीं वाहिनी पीएसी ने कालोनी में कई बड़े मैदानों में भी पीएसी 42वीं वाहिनी ने अस्थाई निर्माण करा कर वर्षों से काबिज है। जबकि अर्द्ध सैनिक बलों को रिहायशी इलाकों से दूर बसने का सरकारी प्रावधान है।