वाराणसी – ईद मिलादुन्नबी पर रोशन हुई हर गलियाँ, हर सु आई आवाज़ “सरकार की आमद मरहबा”
ए जावेद/ मो0 सलीम
वाराणसी: रह्मतुल्लिल आलमीन, पैगंबर-ए-इस्लाम, सरवर-ए-कायनात, आका मुहम्मद मुस्तफा (स0) की यौमे पैदाइश 12 रबीउल अव्वल की शब (पूर्व संध्या) को शहर में जगहों पर जलसे का इत्माम हुआ। जिसमे शहर की कई अन्जुमानो ने शहर बनारस में बने विभिन्न स्टेजो पर सरकार-ए-दोआलम की शान में नातिया कलाम पेश किया। ये सिलसिला पूरी रात चलता रहा। इस दरमियान शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। हर गली मुहल्लों में रोशनी का इत्माम किया गया था। हर सु पूरी रात यही आवाज़ आती रही “सरकार की आमद मरहबा, दिलदार की आमद मरहबा।”
इन्ही कार्यक्रमों के दरमियान शहर के मुसाफिर खाना दालमंडी में सोशल डिस्टेंस का पूरा पालन करते हुवे पूरी रात अन्जुमानो के पढने का सिलसिला जारी रहा। इस दौरान एक जलसे का भी आयोजन हुआ जिसमे मुख्य वक्ता के रूप में मौलाना ज़किउल्लाह साहब असदुल कादरी ने जलसे को खिताब किया। मरकजी यौमुन्नबी कमेटी की जानिब से आयोजित इस जलसे के आयोजन में मुख्य रूप से कमेटी के अध्यक्ष पूर्व मंत्री शकील अहमद “बबलू”, सेक्रेटरी जियाउद्दीन खान, अबरार खान, इमरान खान, रिजवान खान, दिलशाद अहमद “दिल्लू”, मो0 अफज़ल, राशिद खान, रियाज़ अहमद “नूर”, मो0 जावेद खान आदि प्रमुख रहे।
गोल्डन गेट बना आकर्षण का मुख्य केंद्र
हर वर्ष की भाति इस वर्ष भी दालमंडी के मुस्लिम मुसाफिर खाने के पास तामीर होने वाला गोल्डन गेट आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा। स्वर्ण जैसे दिखने वाले इस गेट ने लोगो को हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आकर्षित किया। इस वर्ष थोडा अलग नजारों के साथ गेट बनाया गया। दूर दराज़ से आने वाले जायरीनो ने इस गेट के पास खड़े होकर सेल्फी भी लिया।
इस आलीशान लगभग 12 फिट ऊँचे गेट की तामीर शुद्ध पीतल के पत्तलों से किया गया है जिस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ है। बेहद खुबसूरत नक्काश के दस्त-ए-हुनर से सजे इस गेट पर अन्दर की तरफ से लाइट की व्यवस्था होने के कारण इसका आकर्षण और भी अधिक बढ़ रहा था। उधर से गुजरने वाला हर एक शख्स रुक कर इसकी खूबसूरती को ज़रूर देखता था। इस गेट के निर्माण में मुख्य रूप से फुरकान इलाही, मोहम्मद आरिफ आदि ने योगदान दिया।
आमद-ए-रसूल के इस्तकबाल में शहर के लभग हर एक मुस्लिम इलाके रोशनी से नहाए रहे। विद्युत झालरों से विभिन्न प्रकार की सजावट किया गया था। इसमें सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र लंगड़े हाफ़िज़ की मस्जिद रही। पूरी मस्जिद पर ही झिलमिलाती झालरों से रोशनी किया गया था। इसके अलावा सड़क पर भी रंग बिरंगी झालरों से रोशनी का एत्माम किया गया था। गोदौलिया चौराहे से लेकर बनिया बाग़ चौराहे तक हर एक कोना जगमगा रहा था।
रेवड़ी तालाब मार्ग, मदनपुरा मार्ग से लेकर गौरीगंज और शिवाला हर एक गली रोशन थी। झालरों के दरमियान झूमर आदि लगाकर मोहक सजावट की गई। शेख सलीम फाटक, हड़हासराय, बेनिया, मदनपुरा, दोषीपुरा, अर्दलीबाजार, पीलीकोठी, कच्चीबाग, बड़ी बाजार, जलालीपुरा, कोनिया, सलेमपुरा, कोयाला बाजार, चौहट्टा लाल खान आदि इलाकों में सजावट की गई है। इबादतगाहों को भी सजाया गया।
कोरोना महामारी के दृष्टिगत हर वर्ष निकलने वाला जुलूस इस वर्ष नही निकलेगा। बताते चले कि मदनपुरा से निकलने वाला जुलूस-ए-मुहम्मदी लाखो अकीदतमन्दो के साथ हरवर्ष निकल कर पुरे शहर का भ्रमण करता था। इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण इस जुलूस की अनुमति नही दिया गया है।
नही होगी आ जियारत
कोयला बाज़ार स्थित सलेमपुरा में प्रतिवर्ष होने वाली जियारत का कार्यक्रम भी इस वर्ष महामारी के कारण नही होगा। इस बात की पुष्टि मुतवल्ली मो आतिफ “बब्बल” ने किया। उन्होंने बताया कि संभावित भीड़ के कारण इस निर्णय को लिया गया था। इंशा अल्लाह अगले वर्ष ज्यारत का सिलसिला जारी रहेगा। बताते चले कि यहाँ पर हुजुर सरकार-ए-दोआलम, आका सरवर-ए-कायनात मुहम्मद मुस्तफा (स०) के मु-ए-मुक़द्दस और कपड़ो के साथ उनसे जुडी निशानियो की जियारत होती है। यह सियारत 12 रबीउल-अव्वल को हर वर्ष सुबह 8 बजे से लेकर शाम मगरिब की नमाज़ के वक्त तक जारी रहती है।