सुशासन बाबू के नेतृत्व को लोजपा ने नकारा,अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी लोजपा

अनिल कुमार

पटना. लोजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एक अहम फैसला लिया गया,पार्टी के संसदीय बोर्ड के बैठक में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया गया। लोजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि चुनाव में विजय मिलने के बाद लोजपा के सभी विजयी विधायक भाजपा को सरकार बनाने में समर्थन देंगे। इस बैठक में सभी सदस्य मौजूद थे।

लोजपा बिहार विधानसभा चुनाव में 143 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है। लोजपा का कहना है कि केंद्र के तर्ज पर बिहार मे भी भाजपा की सरकार बने और लोजपा उस सरकार का समर्थन करेगा| लोजपा के सूत्रों के अनुसार कई सीटों पर एनडीए में दोस्ताना संघर्ष होने की उम्मीद है।

विगत कई दिनो से लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान सीधे तौर पर सुशासन बाबू पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाकर सीधे सीधे जदयू पार्टी से पंगा ले लिया था। इस कारण जदयू ने लोजपा के साथ सीटों के बंटवारे पर बातचीत करने का जिम्मा भी भाजपा को दे दिया था और इसके साथ ही जदयू ने लोजपा से दूरी भी बना ली।

लोजपा ने नीतीश कुमार के सात निश्चय के कार्यो में भारी पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की भी बात बोली थी। लोजपा ने सीधे सीधे यह आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना भ्रष्टाचार का पिटारा है और बिहार के किसी गांव में जाकर इसकी हकीकत को देखा जा सकता है। सात निश्चय योजना के सारे कार्य अधूरे रह गए हैं| इस कारण लोजपा सुशासन बाबू के सात निश्चय को नहीं मानती हैं। ऐसे ऐसे आरोप लगाने के कारण जदयू ने लोजपा से दूरी बनाते चली गई और उसका परिणाम यह हुआ कि लोजपा बिहार में अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया।

शनिवार तक कुछ उम्मीद बनी हुई थी की केंद्रीय मंत्री अमित शाह के हस्तेक्षप से लोजपा बात मान कर एनडीए के साथ चुनाव लड़ेगी। अब आने वाले चुनाव के रणक्षेत्र में चिराग पासवान का यह फैसला कितनी कारगार साबित होगी,यह 10 नवंबर के चुनावी परिणाम से साबित होगी।

बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान का यह फैसला उनके भविष्य के राजनीति का भी फैसला निर्धारित करेगा, क्योंकि चिराग पासवान के पिता व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान अस्पताल में भर्ती हैं और उनका हार्ट सर्जरी किया गया है| जिसके कारण राम विलास पासवान विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार का प्रचार से भी वंचित रह जायेंगे। इस कारण चुनाव का सारा नफा नुकसान चिराग पासवान पर ही जाएगा।

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