“मुर्री बंद” चौथा दिन – बंद है लूम की खटर पटर, खामोश है ढरकी, निकली मोटरसायकल रैली, लोहता में आयोजित हुई बुनकरों की अहम बैठक

मो0 सलीम

वाराणसी – बनारस शहर और बुनकर तंजीम एक दुसरे के पूरक है। विगत तीन दिनों से बनारस के बुनकर हड़ताल पर है और मुर्री बंद का चौथा दिन है। इस क्रम में आज लोहता से गांधी जी की प्रतिमा के साथ हाथों में काली पट्टी बांधकर एक मोटरसायकल जुलूस निकला जो लोहता से शुरू होकर बुनकर बाहुल क्षेत्र ककरमत्ता, सुंदरपुर, लल्लापुर, बजरडीहा, अशफाक नगर, मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, गोदौलिया से होते हुए सिगरा, मलदहिया से होकर बड़ी बाजार, सरैया पुराने पुल, अंसाराबाद होकर गुज़रा और फिर पीलीकोठी, आदमपुर से बड़ी बाजार होते हुए बुनकर नगर कॉलोनी में 3:30 बजे समाप्त हुआ। इस दरमियान बुनकर बाहुल्य क्षेत्रो में जगह रैली में शामिल बुनकरों को पानी भी पिलाया गया।

इसी क्रम में बनारस के लोहता क्षेत्र स्थित धमरिया में मदरसा स्लाहुल मोमिनीन में बुनकरों की एक बैठक आयोजित हुई। सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुवे बुनकरों ने सरकार से इस लड़ाई को आर पार की लड़ाई लड़ने का फैसला किया। बुनकर बिरादाना तंज़ीम चौदहवां के इसरत उस्मानी ने कहा कि “हम समस्त बुनकर अनिश्चित समय तक मुर्री बन्द किये रहेंगे। हम सरकार से अपने हक के मांग रहे है।“ उन्होंने बताया कि जब मुआशरे में यह शब्द सामने आया कि बुनकरों की फ्लैट रेट बिजली सरकार हम बुनकरों से वापस ले रही है तो बुनकरों की समास्याओ को देखने के लिए मैंने खुद एक पॉवर लूम को अपने एक मित्र के माध्यम से चलवा कर मुलभुत समस्या को समझा।

उन्होंने बताया कि 12 बारह घंटे में एक लूम औसत 24 बिजली उठा रहा था। यानी लगभग 250 रुपयों की बिजली। इस हिसाब से महीने में एक लूम 7200 रुपयों की बिल खडी करेगा। अब एक बात ये ज़रा अपने संज्ञान में रख ले कि एक गरीब बुनकर जब बारह घंटे पावर लूम चलता है, तो तीन सौ (300) से (350) रुपये का काम करता है। इस तरीके से बिजली की बिल का भुगतान करने के बाद बुनकर के पास 50-100 र्रुपया प्रतिदिन कुल 12 घंटे मेहनत के बाद बचेगा। यही नही एक साड़ी को बनाने में घर के केवल कारीगर की मेहनत नही होती, बल्कि घर की माँ, बहने, बारह घंटे लगातार उस साड़ी में लगने वाले धागे को प्लास्टिक के पांच से छह इंच लंबे वस्तु पर धागे को भरने या लपेटने का कार्य करती है।

उन्होंने कहा कि अब सोचने वाली बात यह है कि जब दोनों शिफ्ट में लूम चलेगी तो बिल का भुगतान हमे (7200×2=14400 रूपये) चौदह हज़ार चार सौ रुपये प्रतिमाह देना होगा। हकीकत में इतना पैसा तो बुनकर अपना घर बेच कर भी नही दे पायेगा। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि आकर हम समस्त बुनकरों के बीच सच्चाई को देखे, तब समझ आएगा कि हमारे दिल का दर्द क्या है ? हम समस्त बुनकर बिजली का इतना भुगतान इस महंगाई के वक़्त में नही कर सकते तथा सरकार हमे फ्लैट रेट बिजली वापिस करे।

क्या कहते है लोहता के ग्राम प्रधान इम्तियाज़ फ़ारूक़ी

ग्राम प्रधान इम्तियाज़ फ़ारूक़ी ने कहा कि मैं इस लोहता क्षेत्र में पैदा हुआ लेकिन बुनकर समुदाय की ऐसी गंभीर हालात मैंने कभी नही देखी। यहां के बुनकर की कोविड19 जैसी महामारी बीमारी ने पहले ही कमर तोड़ डाली और उन्ही बुनकरों से सरकार फ्लैट रेट बिजली वापस लेकर बुनकरों को अपंग बना रही है। यदि फ़्लैट रेट बिजली नही मिली तो बुनकर न तो इस पार के होंगे और न ही उस पार के। इस बरबरतापूर्ण व कठोर फैसले से उत्तर प्रदेश सरकार अनभिज्ञ है कि न जाने कितने बुनकर बेरोज़गार हो जाएंगे। लगता तो ऐसा है कि सरकार जान बूझकर ऐसा कर रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार से बुनकरों हेतु फ़्लैट रेट बिजली बहाल करने की मांग किया है।

क्या कहते है महतो गुलाम हैदर

महतो गुलाम हैदर ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जो फैसला लिया है, यह फैसला हम बुनकरों के लिए असहनीय है। हम बुनकरों ने अभी तक सरकार से कुछ नही मंगा मगर हम बुनकर पहली बार सरकार से निवेदन, विनती, गुज़ारिश, रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि हमारी फ़्लैट रेट बिजली सुविधा हमको वापस दे। हम समस्त बुनकर जो  माँ, बहन, बेटी, बेटा, भाई इत्यादि के तन को ढकने का कार्य करते है हमे इसी तरह जीने दे। ,हमें एक गहरे गढ़े में न डाले यानी कि फ्लैट रेट बिजली हमे वापिस कर दे जो फिक्स रेट थी।

इस बैठक में प्रमुख रूप से सरदार मकबूल अंसारी, सरदार बदरुद्दीन, जनप्रतिनिधि इम्तियाज़ फ़ारूक़ी, इशरत उस्मानी, गुलाम हैदर महतो, निज़ाम खान, अब्दुल जब्बार, नूरुद्दीन, आफताब बी०डी०सी०, बाबू बिल्डर, बदरू महतो,फ़ारूक़,मुन्नू हाजी, अब्दुल्लाह, समसुद्दीन बाबा, अहमद भाई, बसारत अली, इत्यादि लोग शामिल रहे।

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