A-26/44 हसनपुरा (आदमपुर) का अवैध निर्माण –अधिकारियों का आदेश ताख पर, घर बैठ बनी क्या रिपोर्ट

तारिक आज़मी

वाराणसी। वाराणसी विकास प्राधिकरण पर अक्सर बड़े आरोप लगना आम बात होती जा रही है। बड़ी शहरी सीमा के कारण चाहते हुवे भी अधिकारी हर क्षेत्र में नज़र नही रख पाते है जिसका फायदा उनके अधीनस्थ उठाते है और खूब मनमाना, घर जाना का खेल हुआ करता है। इसकी बानगी आज वाराणसी के आदमपुर क्षेत्र के हसनपुरा में देखने को मिली जब अधिकारियो के आदेश होने पर भी क्षेत्रीय जेई ने स्थल निरिक्षण नही किया।

मामला कुछ इस प्रकार है कि आदमपुर जोन के हसनपुरा स्थित भवन संख्या A-26/44 पर अवैध निर्माण लगातार जारी है। बड़े धनबली के साथ भवन स्वामी एक बाहुबली विधायक का भी करीबी बताया जाता है। सेटिंग और गेटिंग भी ऐसी कि न नक्शा न बही, बस भवन मालिक जो कहे वही सही। इस कड़ी में हमारी खबर  न पास करवाओ नक्शा और न नियम रखो सही, वीडीए के जेई साहब को “समझे” वही निर्माण है सही शीर्षक से प्रमुखता के साथ उठाया था।

विभागीय सूत्र बताते है कि हमेशा की तरह ही वाराणसी विकास प्राधिकरण के कर्तव्यो का निर्वहन करने वाले अधिकारियो ने तत्काल खबर का संज्ञान लेकर क्षेत्रीय जेई को स्थल निरिक्षण करके प्रकरण में रिपोर्ट देने को निर्देशित किया। हम भी आज दिन भर इस निर्देश का अनुपालन करने आने वाले जेई साहब से चंद सवालात करने को बैठे ही रह गए। मगर हुजुर को नही आना था तो नही आये। देर शाम हमारे विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि पास के मोहल्ले में एक मेडिकल स्टोर पर बैठ कर जेई साहब ने भवन स्वामी से मुलाकात किया और सब ठीक हो जायेगा कहकर वही से चले गए। स्थल निरिक्षण गया कागजों के घोड़ो की पीठ पर। साथ ही अधिकारियो का निर्देश तो ताख पर पहले से ही है।

आदमपुर भवन संख्या A. 26/44 का अवैध रूप से निर्माण – न पास करवाओ नक्शा और न नियम रखो सही, वीडीए के जेई साहब को “समझे” वही निर्माण है सही

सूत्र बताते है कि जेई साहब ने चाय नाश्ते का बढ़िया फ़र्ज़ निभाया है और अपनी रपट भी बना लिया है। भवन स्वामी के नमक का फ़र्ज़ जो पूरा करना है। आखिर इतना तो करना पड़ेगा ही। जेई साहब सोच रहे होंगे कि पत्रकार है लिखेगा तो लिखने दो कितना लिखेगा। मगर शायद जेई साहब ये नहीं जानते है कि हमारे हाथो की कलम पैजामे में नाडा डालने के लिए नहीं है। कलम में जब तक स्याही है और साँसे चलती रहेगी तब तक कलम हकीकत बयान करती रहेगी। अब देखते है कि जेई साहब इस चाय नाश्ते और “समझ” लेने के भ्रम से कब तक बाहर आते है। आखिर कब तक जेई साहब ऐसे ही रिपोर्ट दिया करेगे। शायद पिक्चर अभी बाकी है।

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