लव जेहाद पर बहस के बीच हाई कोर्ट का फैसला, हम सलमान और प्रियंका को हिन्दू मुसलमान के तौर पर नही देख सकते – हाई कोर्ट
तारिक खान
लखनऊ: एक तरफ जहा उत्तर प्रदेश की सरकार लव जिहाद कानून बनाने की तैयारी कर रही है वही इस प्रकरण में जमकर बहसबाजी का दौर भी जारी है। इसी दरमियान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित लव जिहाद के एक मामले में सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के सलामत अंसारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा, “एक व्यक्तिगत संबंध में हस्ताक्षेप करना दो लोगों की पंसद की स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीर अतिक्रमण होगा।”
कोर्ट ने कहा, “हम प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी को हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि वे दोनों अपनी मर्जी और पसंद से एक साल से ज्यादा समय से खुशी और शांति से रह रहे हैं। न्यायालय और संवैधानिक अदालतें भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “कानून किसी भी व्यक्ति को अपनी पंसद के व्यक्ति के एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे वे समान या अलग धर्म के ही क्यों न हों। यह जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूलभूत हिस्सा है।”
बता दें कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका खरबार ने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर पिछले साल अगस्त में शादी की थी। प्रियंका ने शादी से पहले इस्लाम धर्म कबूल किया और अपना नाम बदलकर आलिया रख लिया था।
प्रियंका के परिजनों ने सलामत पर “किडनैपिंग” और “शादी के लिए बहला-फुसलाकर भगा” ले जाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में POCSO एक्ट भी शामिल किया गया था। परिवार का दावा था कि जब शादी हुई तो उनकी बेटी नाबालिग थी।
सलामत ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी। सलामत की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 11 नवंबर को फैसला सुनाया।
फैसले की मुख्य बाते
- अपनी पसंद का जीवन साथी चुना मौलिक अधिकार – हाई कोर्ट
- अलग धर्म की वजह से शादी करने से नहीं रोक सकते – हाई कोर्ट
- किसी के रिश्ते पर एतराज या विरोध का अधिकार नहीं – हाई कोर्ट
- दो बालिग लोगों को सिर्फ हिंदू- मुसलमान मानकर ना देखें – हाई कोर्ट
- रिश्तो में दखल देना निजता के अधिकार में अतिक्रमण – हाई कोर्ट