कुंडा हादसा – जिगर चाक हो गए जब एक साथ एक दो नही 13 चिताओं में लगी आग
तारिक खान
प्रयागराज. कुंडा हादसे में बृहस्पतिवार रात जान गंवाने वाले छह बच्चों समेत 14 लोगों के शव शुक्रवार दोपहर बाद जिरगापुर गांव पहुंचे तो कोहराम मच गया। अपनों के शवों से लिपटकर घरवाले बिलखते रहे। हादसे में जान गंवाने वाले बच्चों का नाम लेकर घर की महिलाएं पुकारतीं रहीं। यह देख वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं। गांव के अधिकतर लोग सिसकते रहे। शाम करीब चार बजे के करीब एक साथ 13 अर्थियां उठीं आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा। अर्थियों के पीछे घर के लोग रोते हुए चले। मानिकपुर के करेंटी घाट पर शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले हादसे में मारे गए मासूम अंश का शव एंबुलेंस से ननिहाल जिरगापुर से उसके गांव हथिगवां भेजा गया।
जिरगापुर निवासी संतलाल यादव के बेटे सुनील यादव की बृहस्पतिवार को शादी थी। बरात नवाबगंज थाना क्षेत्र के शेखपुर मोहम्मदपुर गांव में गई थी। द्वारपूजा के बाद खाना खाकर दूल्हा सुनील के परिवार के सदस्य गांव के ही फौजी की बोलेरो से घर लौट रहे थे। जिसमें बच्चों समेत कुल 14 लोग सवार थे। देर रात करीब 12 बजे मानिकपुर थाना क्षेत्र के देशराज का इनारा के पास तेज रफ्तार बोलेरो अनियंत्रित होकर सड़क पर खड़े ट्रक में पीछे से जा घुसी। बोलेरो सवार सभी की मौके पर ही मौत हो गई थी।
शुक्रवार को पोस्टमार्टम के बाद एंबुलेंस से पुलिस सभी शवों को लेकर जिरगापुर पहुंची। घरों के करीब ही खाली स्थान पर पहले से ही अर्थियां तैयार कर रखी गई थीं। एंबुलेंस से शवों को उतारकर अर्थियों पर रखते ही परिजन दहाड़ मारकर रोने लगे। कफन में लिपटे 13 शवों के कपड़ों पर पहचान के लिए नाम लिखा गया था। वहां मौजूद लोगों की मदद से सभी के परिजन उनका अंतिम दर्शन करने पहुंचे।
चेहरा देखते ही लोग शवों से लिपटकर रोने लगते। घर की महिलाएं, पुरुष व बच्चों की चीत्कार देखकर हर किसी की आंखें भर आईं। अफरातफरी के बीच हर कोई मृतकों का अंतिम दर्शन करने के लिए आतुर था। करीब एक घंटे बाद एक साथ शवों को अंतिम संस्कार के लिए उठाकर एंबुलेंस में रखा जाने लगा। एंबुलेंस से ही शवों को अंतिम संस्कार के लिए करेंटी घाट ले जाया गया। एंबुलेंस के पीछे-पीछे पुलिसकर्मी अपने वाहनों से चल रहे थे। घाट पर पहले से ही अंतिम संस्कार की तैयारी थी।
पुलिस व रिश्तेदारों की मौजूदगी में चिताओं में परिवार के लोगों ने आग लगाई। सबसे बुरा हाल राममनोहर का रहा। वह अपने भाई दिनेश, नानभैया, बेटे गौरव व भतीजे अमन व पवन की चिताओं में आग लगाते समय बेसुध रहा। उसकी आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे। नान भैया के शव को बेटे प्रदीप ने मुखाग्नि दी, लेकिन साथ में राम मनोहर खड़ा रहा। घाट पर हजारों लोगों की भीड़ के साथ ही परिवार के लोग मौजूद रहे।