सेंगर के खिलाफ उन्नाव रेप पीडिता की लम्बी लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता ने हारी ज़िन्दगी की जंग, 16 महीने लड़ी थी ज़िन्दगी और मौत की जंग
आदिल अहमद
रायबरेली. उसने उन्नाव रेप पीडिता की लड़ाई विधायक सेंगर के साथ लम्बी लड़ी थी. एक जुझारू अधिवक्ता था वो. उन्नाव रेप पीडिता की एक लम्बी लड़ाई लड़ने वाला अधिवक्ता अपनी ज़िन्दगी की जंग आखिर हार गया. रायबरेली के गुरुबख्शगंज थाना क्षेत्र में 16 माह पहले सड़क हादसे में घायल माखी दुष्कर्म पीड़िता के वकील की सोमवार को जिला अस्पताल में मौत हो गई। वकील की मौत के बाद दुष्कर्म कांड फिर से सुर्खियों में आ गया है। परिजनों की मौजूदगी में पुलिस ने तीन डॉक्टरों के पैनल व वीडियोग्राफी के बीच पोस्टमार्टम कराया।
मंगलवार को परियर घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। माखी थाना क्षेत्र की किशोरी से दुष्कर्म पर तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्र कैद की सजा हो चुकी है। कुलदीप सिंह सेंगर के छोटे भाई जयदीप सिंह उर्फ अतुल सिंह सेंगर ने वर्ष 2000 में ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान खुद पर हुए हमले में दुष्कर्म पीड़िता के चाचा को नामजद करते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मुकदमा विचारण के दौरान 4 अक्तूबर 2004 को न्यायालय द्वारा फैसला सुनाए जाते वक्त पीड़िता का चाचा न्यायालय में पेश नहीं हुआ था। नवंबर 2018 को उस पर गैर जमानती वारंट जारी हुआ। 20 नवंबर 2018 को माखी थाना पुलिस ने उसके दिल्ली स्थित घर से गिरफ्तार किया था।
उसे उन्नाव जेल से रायबरेली जेल शिफ्ट कर दिया गया था। 2 जुलाई 2019 को फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश प्रहलाद टंडन ने आरोपी चाचा को 10 साल कारावास की सजा सुनाई थी। 28 जुलाई 2019 को दुष्कर्म पीड़िता चाची, मौसी व वकील महेंद्र के साथ सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने के लिए कागजात तैयार कराने के सिलसिले में रायबरेली जेल जा रही थी। तभी उन्नाव-रायबरेली मार्ग पर रायबरेली के अटौरा बुजुर्ग गांव के पास कार और ट्रक में भिड़ंत हो गई थी। हादसे में दुष्कर्म पीड़िता की चाची व मौसी की मौत हो गई थी। दुष्कर्म पीड़िता व उसके वकील महेंद्र सिंह को ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया था।
छह दिन इलाज के बाद एयर लिफ्ट कर दिल्ली के एम्स ले जाया गया था। एम्स में 5 माह इलाज के बाद वकील महेंद्र सिंह को राममनोहर लोहिया अस्पताल लखनऊ शिफ्ट किया गया था। कोमा में होने से डॉक्टरों की टीम ने घर पर रखकर इलाज व देखभाल की बात कही थी। इसी साल अप्रैल में पारिवारिक सदस्य देवेंद्र सिंह आवास विकास कालोनी स्थित घर ले आए थे। तब से उनका यहीं इलाज चल रहा था। देवेंद्र के अनुसार तीन दिन पहले महेंद्र को सांस लेने में दिक्कत हुई। इस पर कानपुर के कल्याणपुर स्थित एक नर्सिंगहोम में भर्ती कराया था।
हालत में सुधार होने पर रविवार शाम घर लेकर आए। सुबह नौ बजे फिर से हालत बिगड़ी तो जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। परिजनों की मांग पर पैनल व वीडियोग्राफी के बीच शव का पोस्टमार्टम कराया गया। पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। इसलिए बिसरा सुरक्षित किया गया है। मृत अधिवक्ता के बेटे प्रिंस ने बताया कि मंगलवार को परियर घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।