हाड कपा देने वाली ठण्ड भी नही ठन्डे कर पा रही किसानो के हौसले, किसानो ने जलाया जियो सिम, जाने क्या हुआ आज दिन भर किसान आन्दोलन में
आदिल अहमद
नई दिल्ली. दिल्ली में चल रही शीतलहर और हाड़ कंपा देने वाली ठंड भी किसानों का हौसला नहीं तोड़ पा रही है। वहीं आज किसानों को खुला समर्थन देते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक मार्च कर राष्ट्रपति से मुलाकात किया, जिसमें कृषि कानूनों को वापस लेने की बात हुई। वही बुराड़ी ग्राउंड में प्रदर्शन कर रहे भारतीय किसान यूनियन के सदस्य बिंदर सिंह गोलेवाला का कहना है कि, जब तक काले कानून रद्द नहीं हो जाते तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा, हमारे हौसले बुलंद हैं। सरकार जितनी जल्दी हो सके ये कानून रद्द कर दे नहीं तो संघर्ष और बड़ा होगा। हमें दुनिया का सहयोग मिल रहा है।
इस बीच आज भी दिल्ली के कई रास्ते व बॉर्डर बंद रहेंगे. आज कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने चिल्ला बॉर्डर पर जिओ की सिम जलाकर अपना प्रदर्शन वक्त किया। नोएडा से दिल्ली जाने वाला रास्ता किसानों के प्रदर्शन के कारण बुरी तरह से प्रभावित है। कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे किसान संगठन महामाया फ्लाइओवर के पास इकट्ठा हो गए हैं। जिसके कारण नोएडा से दिल्ली जाने का रास्ता पूरी तरह से जाम हो गया है। यूपी गेट पर किसानों के समर्थन में विजय हिंदुस्तानी ने अपने खून से पत्र लिखकर सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। विजय हिंदुस्तानी ने सात अन्य किसानों के साथ किसी भी तरह का कदम उठाने का अल्टीमेटम सरकार को दिया है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा यूपी के बिलासपुर के नवाबगंज स्थित गुरुद्वारा पहुंचे। वहां वह बोले, सुप्रीम कोर्ट ने भी किसानों को धरना प्रदर्शन करने का अधिकार दिया है तो यूपी पुलिस किस हक से किसानों को दिल्ली जाने से रोक रही है। उन्होंने कहा है कि जो किसान दिल्ली आना चाहते हैं, उन्हें पुलिस अपनी धक्केशाही से ना रोके। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने किसानों के आंदोलन को लेकर आज कहा, मुझे लगता है कि केंद्र सरकार अपने अहंकार के कारण कृषि कानून के मुद्दों पर अटकी हुई है। उन्होंने किसानों को खालिस्तानी, नक्सल, आतंकवादी और न जाने क्या-क्या नहीं कहा। सरकार की टालमटोल करने की तरकीब अब काम नहीं कर रही।
किसान संगठनों को सरकार ने चिट्ठी भेजकर कहा है कि वह सभी मुद्दों पर बात करने को तैयार है। सरकार ने ये भी कहा है कि तीनों कानूनों में एमएसपी की बात नहीं है, सरकार पहले ही सरकार इसे लेकर वर्तमान व्यवस्था चालू रहने के लिए लिखित आश्वासन देने को तैयार हो चुकी है, ऐसे में कानून से बाहर जाकर इसकी कोई मांग तर्कसंगत नहीं है। आवश्यक वस्तु एक्ट में संशोधन पर बात संभव है। विद्युत अधिनियम और पराली पर अभी सिर्फ प्रस्ताव ही लाया गया है। सरकार ने किसानों से वार्ता की तारीख और समय पूछा है।