2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र बढ़ गया है विधान परिषद् चुनावों का महत्त्व, सपा ने घोषित किया दो प्रत्याशी
तारिक़ खान
लखनऊ। चुनावी वर्ष 2022 से ठीक पहले का वर्ष होने के नाते इस साल इन चुनौतियों का राजनीतिक तौर पर न सिर्फ अलग महत्व हो गया है बल्कि भाजपा के राजनीतिक व रणनीतिक कौशल के अलग तरीके से इम्तिहान की भी घड़ी आ गई है। दरअसल, विधान परिषद की जिन 12 सीटों का चुनाव इस महीने होने जा रहा है उसमें विधायकों के संख्या बल को देखते हुए भाजपा के हिस्से में कम से कम 10 सीटें आने की संभावना दिख रही है।
इसके विपरीत सपा के खाते में काफी कोशिशों और दूसरे दलों से सहयोग लेने के बावजूद ज्यादा से ज्यादा दो सीटें ही जाने के समीकरण दिखाई दे रहे हैं जबकि उसके 6 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। सदन में इस समय सपा के 55 सदस्य हैं।
इसी बीच सपा ने अपने दो उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सपा ने एमएलसी चुनाव के लिए राजेंद्र चौधरी व अहमद हसन को प्रत्याशी घोषित किया है। वही भाजपा के खेमे में बैठकों का दौर जारी है। मुख्यमंत्री आवास पर मंगलवार शाम प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित पार्टी की कोर टीम के सदस्यों ने तीन घंटे से ऊपर विचार-विमर्श करके नामों की छंटनी की। लेकिन दावेदारों की सूची काफी बड़ी होने के कारण इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। जहां तक वीआरएस लेने वाले गुजरात काडर के आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा को परिषद भेजे जाने की चर्चाओं का सवाल है तो बैठक में उनके नाम पर भी कोई गंभीर चर्चा होने की जानकारी नहीं है।