वाराणसी – आदमपुर क्षेत्र के कोयला बाज़ार में सवाल रहे अनसुलझे, और चला जमकर वीडीए का हथौड़ा
ए जावेद
वाराणसी। वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध रूप से निर्मित एक भवन पर आदमपुर थाना क्षेत्र के कोयला बाज़ार स्थित भवन संख्या A24/67 पर जमकर हथौड़ा चला। इस कार्यवाही में स्थानीय पुलिस सुरक्षा व्यवस्था हेतु उपलब्ध रही।
प्रकरण के संबध में प्राप्त जानकारी के अनुसार A24/67 के स्वामी सुरेश गुप्ता उर्फ़ टुनटुन द्वारा बिना नक्शा पास करवाए अथवा वीडीए की अनुमति के बगैर ही एक भवन का निर्माण करवाया गया था। प्राधिकरण को इस सम्बन्ध में कई शिकायते मिल रही थी। इस क्रम में प्राधिकरण द्वारा कई बार नोटिस जारी करके भवन स्वामी को उसका पक्ष रखने की सुचना दिया। अंततः भवन स्वामी द्वारा उपस्थित न होने की स्थिति में विकास प्राधिकरण ने अवैध रूप से बने भवन को तोड़ने का निर्देश जारी कर दिया।
आज सुबह विकास प्राधिकरण की टीम स्थानीय थाने से उचित पुलिस फ़ोर्स के साथ मौके पर पहुची और अवैध रूप से निर्मित इस भवन को तोड़ने की कार्यवाही किया। इस मौके पर स्थानीय पुलिस चौकी इंचार्ज राजकुमार राणा, एसआई शमशुल कमर सहित भारी संख्या में पुलिस बल उपस्थित रही। वीडीए की टीम द्वारा अवैध रूप से निर्मित भवन को तोडा गया और कागज़ी कार्यवाही करके वापस लौट चुके है। समाचारों के अनुसार भवन स्वामी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है।
रहे सवाल अधूरे
वीडीए की कार्यवाही आंशिक अथवा पूर्ण रूप से पूरी हो चुकी है। कार्यवाही में ध्वस्तीकरण हो चूका है। कई दीवारे तोड़ी जा चुकी है। मगर ख़ामोशी के दरमियान कुछ सवाल अधूरे रह गए। प्राधिकरण के हर एक क्षेत्र में जेई से लेकर क्षेत्रवार कई कर्मचारी है। जॉब प्रोफाइल पर अगर गौर करे तो इनके कार्यो में क्षेत्र में घूमना भी शामिल है। फिर आखिर कैसे इतना बड़ा निर्माण अवैध रूप से हो जाता है वह भी लबे सड़क और विकास प्राधिकरण को जानकारी नही होती है।
क्या कर रहे थे स्थानीय जेई जो लबे रोड इस हो रहे निर्माण को नहीं देख सके और जब निर्माण अपने चरम पर पहुच गया यानी कि केवल फिनिशिंग बाकी रही तो इस मामले को जब क्षेत्र के लोगो ने शिकायत के तौर पर उठाया तो मामला विकास प्राधिकरण के संज्ञान में आया। वर्त्तमान जितना निर्माण सामने है जिसके ध्वस्तीकरण की कार्यवाही करने की बात प्राधिकरण कर रहा है वह निर्माण दिन नहीं महीनो का निर्माण है। फिर आखिर इन महीनो तक क्या स्थानीय प्राधिकरण कर्मी सो रहे थे जो निर्माण लगभग पूरा होने के बाद उसके ध्वस्तीकरण का कार्य करना पड़ा।
यही कार्य यदि विकास प्राधिकरण को करना था तो जब निर्माण शुरू हुआ और निर्माण हो रहा था तभी रोका गया। मगर सर्वविदित है कि निर्माण करने के लिए नकशा पास करवाने से पहले स्थानीय प्राधिकरण को “समझना” पड़ता है। आखिर प्राधिकरण इस प्रकार से कार्य कब तक करता रहेगा।