सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म, OTT, News Portal अब सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन, जाने क्या है नियम और कैसे अब अफवाह फैलाना पड़ जायेगा भारी
पुनीत निगम
सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म, OTT, News Portal अब सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन आयेंगे। कोई खुराफात/गाली गलौज/धमकी देना/अश्लील वीडियो वायरल करना, अफवाह फैलाना या किसी का चरित्र हनन करके साफ बच जाना अब होगा असम्भव। सोच समझ कर करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल, वर्ना पड सकता है जेल जाना। सभी न्यूज पोर्टल को अपने संचालकों और प्रसारण स्थल का पूरा ब्योरा देना होगा। न्यूज पोर्टल को भी बनाना होगा अपना ग्रीवांस रिड्रेसल सिस्टम।
केंद्र सरकार ने आज सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद दोपहर दो बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेगुलेशंस की घोषणा की। नई गाइडलाइंस के दायरे में फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और नेटफ्लिकस, ऐमजॉन प्राइम, हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आएंगे। जावड़ेकर ने पहले कहा था कि इसके संबंध में दिशानिर्देश तैयार किए जा चुके हैं और जल्द ही उन्हें लागू किया जाएगा। दोनों मंत्री क्या बड़े ऐलान कर रहे हैं, आइए आपको बताते हैं –
सोशल मीडिया के लिए नई पॉलिसी
प्रसाद ने कहा, “सोशल मीडिया कंपनीज का भारत में कारोबार करने के लिए स्वागत है। इसकी हम तारीफ करते हैं। व्यापार करें और पैसे कमांए।” उन्होंने कहा कि सरकार असहमति के अधिकार का सम्मान करती है लेकिन यह बेहद जरूरी है कि यूजर्स को सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर सवाल उठाने के लिए फोरम दिया जाए। प्रसाद ने कहा कि हमारे पास कई शिकायतें आईं कि सोशल मीडिया पर मार्फ्ड तस्वीरें शेयर की जा रही हैं। आतंकी गतिविधियों के लिए इनका इस्तेमाल हो रहा है। प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग का मसला सिविल सोसायटी से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
सोशल मीडिया पॉलिसी में क्या है?
- दो तरह की कैटिगरी हैं : सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया इंटरमीडियरी।
- सबको ग्रीवांस रीड्रेसल मैकेनिज्म बनाना पड़ेगा। 24 घंटे में शिकायत दर्ज होगी और 14 दिन में निपटाना होगा।
- अगर यूजर्स खासकर महिलाओं के सम्मान से खिलवाड़ की शिकायत हुई तो 24 घंटें में कंटेंट हटाना होगा।
- सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया को चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर रखना होगा जो भारत का निवासी होगा।
- एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन रखना होगा जो कानूनी एजेंसियों के चौबीसों घंटे संपर्क में रहेगा।
- मंथली कम्प्लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी।
- सोशल मीडिया पर कोई खुराफात सबसे पहले किसने की, इसके बारे में सोशल मीडिया कंपनी को बताना पड़ेगा।
- हर सोशल मीडिया कंपनी का भारत में एक पता होना चाहिए।
- हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास यूजर्स वेरिफिकेशन की व्यवस्था होनी चाहिए।
- सोशल मीडिया के लिए नियम आज से ही लागू हो जाएंगे। सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को तीन महीने का वक्त मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ‘सरकार ने समझा कि मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एक लेवल-प्लेइंग फील्ड होना चाहिए इसलिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा। लोगों की मांग भी बहुत थी।’
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए क्या हैं गाइडलाइंस?
- OTT और डिजिटल न्यूज मीडिया को अपने बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी। रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है।
- दोनों को ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्टम लागू करना होगा। अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा।
- OTT प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई नामी हस्ती हेड करेगी।
- सेंसर बोर्ड की तरह OTT पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्यवस्था हो। एथिक्स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा।
- डिजिटल मीडिया पोर्टल्स को अफवाह और झूठ फैलाने का कोई अधिकार नहीं है।
दूसरी तरफ, इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने केंद्र सरकार से ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने से पहले स्टेक होल्डर्स से बातचीत करने की अपील की है। पूरी दुनिया में नेटफ्लिक्स, प्राइम और हॉटस्टार (डिज्नी प्लस) सहित कम से कम 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं।
SC तक जा चुका है मामला
केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के क्या कदम उठाने पर विचार कर रही है। पिछले साल अक्टूबर में, सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न ओटीटी/स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित संस्थान की स्थापना के लिए जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।