है यह कठिन डगरिया चलना संभल संभल के
बापूनन्दन मिश्र
रतनपुरा (मऊ) अलीपुर रेलवे क्रॉसिंग के लगभग 200 मीटर पश्चिम से खरारगाड़ी गांव को जाने वाली लगभग 2 किलोमीटर लंबी सड़क जो आगे बकुची, तलरवा, रजमलपुर, इटौरा, अरदौना आदि गाँवों को जोड़ती है, अत्यंत जर्जर हो गई है। नाम तो सड़क है किंतु कहीं-कहीं पर पिच नामोनिशान तक नहीं है. दिखते हैं तो ऊखड़े हुए कंकड़।
सड़क की हालत ऐसी है के साइकिल सवारों को भी पैदल ही चलने में भलाई लगती है क्योंकि उन्हें कंकडो़ं के उपर से फिसल कर गिर जाने का भय सताता रहता है। खड़ारगाड़ी की जनसंख्या लगभग 2 से ढाई हजार के करीब है जिन्हें जिलामुख्यालय से जोड़ने वाला यह प्रमुख मार्ग है। बरसात के दिनों की बात करें तो इस गांव के लोगों का कहना है कि यह मार्ग पूरी तरह पानी में डूब जाता है और कमर तक पानी में से होकर आने जाने वालों दिन-रात गुजरना पड़ता है। गाँव में स्थित परिषदीय प्राथमिक अंग्रेजी माध्यम विद्यालय है जहां के शिक्षक बरसात के दिनों में गाड़ी लगभग 500 मीटर पहले ही खड़ी करके विद्यालयों तक जा पाते हैं।
गाँव वालों का कहना है कि इस जर्जर एवं खतरनाक मार्ग से हजारों राहगीर अपना जीवन जोखिम में डालकर प्रतिदिन अपनी यात्रा को अंजाम देते हैं। किंतु संबंधित विभाग आंखों पर गांधारी पट्टी बांधे राहगीरों को दुर्घटना के मुंह में धकेलने की कसम खाए बैठा है। लोगों का कहना है कि इस जर्जर मार्ग को अभिलंब ठीक न कराया गया तो कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।